पाकिस्तान मेल - खुशवंत सिंह - उषा महाजन (अनुवाद)

भारत-पाकिस्तान के त्रासदी भरे विभाजन ने जहाँ एक तरफ़ लाखों करोड़ों लोगों को उनके घर से बेघर कर दिया तो वहीं दूसरी तरफ़ जाने कितने लोग अनचाही मौतों का शिकार हो वक्त से पहले ही इस फ़ानी दुनिया से कूच कर गए। हज़ारों-लाखों लोग अब तक भी अपने परिवारजनों के बिछुड़ जाने के दुख से उबर नहीं पाए हैं। सैंकड़ों की संख्या में बलात्कार हुए और अनेकों बच्चे अपने परिवारजनों से बिछुड़ कर अनाथ के रूप में जीवन जीने को मजबूर हो गए। इसी अथाह दुःख और विषाद से भरी घड़ियों को ले कर अब तक अनेकों रचनाएँ  लिखी जा चुकी हैं और आने...

राघव - खंड - 1- विनय सक्सेना

बॉलीवुड की फ़िल्मों में आमतौर पर आपने देखा होगा कि ज़्यादातर प्रोड्यूसर एक ही ढर्रे या तयशुदा फॉर्मयुलों पर आधारित फ़िल्में बनाते हैं या बनाने का प्रयास करते हैं। एक समय था जब खोया-पाया या कुंभ के मेले में बिछुड़े भाई-बहन का मिलना हो अथवा बचपन में माँ-बाप के कत्ल का बदला नायक द्वारा जवानी में लिया जाना हो इत्यादि फॉर्मयुलों पर आधारित फिल्मों की एक तरह से बाढ़ आ गयी थी। इसी तरह किसी एक देशभक्ति की फ़िल्म के आने की देर होती है कि उसी तर्ज़ पर अनेक फिल्में अनेक भाषाओं में बनने लगती हैं। एक बाहुबली क्या...

पूतोंवाली - शिवानी

आजकल के इस आपाधापी से भरे माहौल में हम सब जीवन के एक ऐसे फेज़ से गुज़र रहे हैं जिसमें कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा पा लेने की चाहत की वजह से निरंतर आगे बढ़ते हुए बहुत कुछ पीछे ऐसा छूट जाता है जो ज़्यादा महत्त्वपूर्ण या अच्छा होता है। उदाहरण के तौर पर टीवी पर कोई उबाऊ दृश्य या विज्ञापन आते ही हम झट से चैनल बदल देते हैं कि शायद अगले चैनल पर कुछ अच्छा या मनोरंजक देखने को मिल जाए। मगर चैनल बदलते-बदलते इस चक्कर में कभी हमारा दफ़्तर जाने का समय तो कभी हमारा सोने का समय हो जाता है और हम बिना कोई ढंग का कार्यक्रम...
 
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