कभी तो माएके जा री बेगम(ऑडियो/पँजाबी)सहित

मुझे मेरे एक मित्र ने ये कविता मेरे मोबाईल में ब्लूटुथ के जरिए फॉरवर्ड की थी।मुझे सुनने में बहुत अच्छी लगी तो मैँने सोचा कि इसे सभी के साथ शेयर करना बेहतर रहेगा।ये कविता दरअसल पंजाबी में है और जिन सज्जन ने इसे लिखा है ..मैँ उनका नाम नहीं जानता।शायद वो पाकिस्तान से हैँ।अपने सभी पढने वालों के फायदे के लिए मैँने इसका हिन्दी में अनुवाद करने की कोशिश की है।

उम्मीद है कि आप सभी को पसन्द आएगी। असली रचियता से साभार सहित

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राजीव तनेजा

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