लगता है राजीव जी आज समय नही था, तभी दो लाईनो मे निपटा दिया, वरना तो आधा दिन आप की पोस्ट के नाम होता है, बहुत सुंदर चित्र ओर शेर सुंदर इस लिये कि एक बार मेने यहां मेले मे अपने दोस्तो के संग ५ लीटर बीयर पी, पता नही केसे घर आया, ओर मेरी कमीज की जेब मै उस समय ८००० डी मार्क थे, एक भी नही खोया, ओर घर भी नही भुला, लेकिन मुझे नही पता कि मेने उस दिन क्या किया केसे घर आया, धन्यवाद
13 comments:
बहुत बढिया !!
बहुत सही --- पैमाना तो नज़र आ रहा है टूटी चप्पल कहाँ है?
bahut sahi........
बहुत भावपूर्ण रचना . दीवाली पर्व की हार्दिक शुभकामना
आज दो चुटकले हो गये:
एक तो: राजीव तनेजा ने माईक्रो पोस्ट लिखी...हा हा!!
दूसरा: ये शेर..हा हा!!
हा.. हा.. !!
लगता है राजीव जी आज समय नही था, तभी दो लाईनो मे निपटा दिया, वरना तो आधा दिन आप की पोस्ट के नाम होता है, बहुत सुंदर चित्र ओर शेर
सुंदर इस लिये कि एक बार मेने यहां मेले मे अपने दोस्तो के संग ५ लीटर बीयर पी, पता नही केसे घर आया, ओर मेरी कमीज की जेब मै उस समय ८००० डी मार्क थे, एक भी नही खोया, ओर घर भी नही भुला, लेकिन मुझे नही पता कि मेने उस दिन क्या किया केसे घर आया,
धन्यवाद
जिंदगी को इतने करीब से जाना है मैंने,
अमां पैग लगा के लिख डाला है तैणे,
यों ही लिक्खा तो लोग लगेंगे कैणे,
राजीव भाई तो इब गायेगा टैण टैणे.....
दिवाली से पहले इत्ता दिवाला...कमाल है बधाई हो ...हा......हा...हा....लगता है सारी कसर अगली पोस्ट पर निकलेगी...
बढिया!!
लगता है राजीव भाई ब्लॉगर्स हाउस में जाने से पहले मूड बना रहे
हैं...
जय हिंद...
जय जय शिव शंकर..
कांटा लगे ना कंकर..
ये प्याला तेरे नाम का पिया.....
गजब ढा दिया आपने।
धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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बहुत शानदार। आपकी उपर वाली वार्तालाप भी पढ़ रहा था, लेकिन आधी पढ़ ली है आधी फिर। जहां तक पढ़ी बहुत शानदार है।
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