ओह!…श्श…शिट ट…ट…निकल गई….

***राजीव तनेजा***

traffic_light_-_caution4

“ओह!…श्श…शिट ट…ट…निकल गई”….

चींssssssचींssss…..धडाम….

“अरे!….तनेजा जी…गाड़ी काहे रोक दिए?..इत्ता मजा आ रहा था"…

“उधर नहीं गुप्ता जी….इहाँ….सामने देखिये ..बत्ती लाल हो रही है"…

“पर हमरी तबियत तो हरी हो रही थी ना?…बेफाल्तू में गाड़ी रोक के सारा मजा किरकिरा कर दिए"….

“अरे!…अपने मज़े के लिए गाड़ी का सत्यानास करेंगे का?…लीजिए…ये दो ठौ रुपिय्या लीजिए और उहाँ…सामने जा के अपना आराम से  निबट के आइये…तुरंत …हम इहाँ….साईड में गाड़ी खड़ी कर के आपका इंतज़ार करता हूँ"…

“सामने का है?”…

“सुलभ वालों का असुलभ शौचालय"…

“ओहां जा के हम का करेंगे?”…

“ओही जो सब लोग किया करते हैं?”..

“का किया करते हैं?”…

“ई भी हमीं से पूछेंगे?”..

“अरे!…भय्यी…तुम्हरे शहर में नए-नए आए हैं तो तुम्हीं से पूछेंगे ना?”..

“तो अपने शहर में का बिल्कुले रोज़ा रखे थे कि ना कुछ खाएंगे…ना कुछ पीएंगे और…

“और?”…

“और ना ही कुछ उगलेंगे?"…

“का बात करते हैं तनेजा जी आप भी?….उहाँ तो हम तीनो टाईम खूब डट के दूध-मलाई के साथ ….

“तो आप ई कहना चाहते हैं कि इहाँ हम आप को भूखा रखते हैं?….खाने को नहीं देते?”…

“अरे-अरे!…हमने अइस्सा कब कहा?…हम तो कह रहे थे कि….

“सब समझ रहे हैं हम कि आप कहना का चाहते हैं और आपके मन में का है?”…

“का है?”…

“पहिले जाईए…जरा जल्दी से निबट के आईए"…

“अरे!..काहे को निबट के आईए?…किसी का खा रखे हैं का?”….

“फिर ओही बात….अभी दो घंटे पहिले हम जो अपने इन कोमल-कोमल हाथों से आपको ‘दाल-बाटी चूरमा’ खिलाए थे…ओ का था?”…

“हमें का पता कि…का था?”…

“क्या मतलब?”…

“आप खुद्हे बार-बार अपने मन से  कहे जा रहे थे कि ‘दाल-बाटी चूरमा’’दाल-बाटी चूरमा’…हम कोई उसे चीनते थोड़े ही हैं?”…

“तो का हम झूठ बोल रहे थे?”…

“हमें का पता?”…

“का?…का कह रहे हैं आप?…मतलब का है आपका?”…

“ओही तो हमरी समझ में भी नहीं आ रहा है कि मतलब का है आपकी इस बात का?”…

“का मतलब?”…

“ये जो आप बार-बार रट्टू तोते के माफिक रट लगा रहे हैं कि….

“निबट के आइये…जल्दी से निबट के आइये”…

"तो?”..

“मतलब का है आपकी इस बात का?”..

“अरे!…कमाल करते हैं आप भी…आप खुद्हे तो इत्ती जोर-जबर से चिल्लाए थे कि….

“ओह!…श्श..शिट ट…ट…निकल गई”….

“तो फिर निकलने दीजिए ना…आपके  बाप का क्या जाता है?…ससुरी आज निकल गई तो का हुआ?…कल-परसों फिर से आ जाएगी ….हम अभी दिल्ली में ही हूँ कौनु वापिस अपने मुलुक गया नहीं“…

“हद हो गई बेशर्मी की….कह रहे हैं कि…मेरे बाप का का जाता है?”…

“तो फिर बतईए ना कि…का जाता है?”…

“ये गाड़ी किसकी है?”…

“हमें का पता?”…

“क्या मतलब?..आपको पता ही नहीं कि ये गाड़ी किसकी है?”.

“अरे!..भय्यी…हम तो अभी दो-चार दिन पहले ही इहाँ आपके घर पर आया हूँ"…

“तो?”…

“हमें का पता कि गाड़ी आपकी खुद की है?…किराए की है?…मंगनी में लाए हैं या फिर चोरी की है?”..

“हम आपको चोर दिखता हूँ?”…

“जब आप खुद्हे मान रहे हैं तो फिर हमसे काहे कहलवाते हैं?”…

“का चोरी किया है हमने?…बताइए तो…का चोरी किया है?”…

“छोडिये इस बात को…कोई और बात कीजिए"…

“पहिले आप जरा जल्दी से धो के आइये"…

“काहे को?”..

“अरे!…आप खुद्हे तो अभी चिल्लाए थे कि नहीं?”…

“का?”…

यही कि….“ओह!…श्श..शिट ट…ट…निकल गई”….

“तो फिर इसमें हम का कर सकते हैं?…कौन सा हमरे हाथ में थी कि हम उसे रोक लेते"…

“अरे!…मानी आपकी बात कि रोक नहीं सकते थे लेकिन अब तो धो के आ सकते हैं ना?”…

“अब क्या फायदा?…अब तो चिड़िया चुग गई खेत"…

“तो?…इसका क्या मतलब?…आप ऐसे ही…इसी तरह हाथ पे हाथ धार के बैठे रहेंगे?…धो के नहीं आएंगे?”…

“अरे!…नहीं-नहीं…हम धोऊंगा…ज़रूर धोऊंगा लेकिन इहाँ…सबके सामने नहीं….आप गाड़ी चलाइए…हम घर जा के अपना आराम से धोऊंगा”…

“इहाँ का तकलीफ है?”..

“अरे!…इहाँ…दिल्ली में आपके होते हुए हमें तकलीफ काहे को होगी?…लेकिन वो…सबके सामने थोड़ा इन्सल्ट सा फील होता है ना”…

“लेकिन क्या इस ज़रा सी इन्सल्ट या बेईज्ज़ती से बचने के चक्कर में आप खुद अपनी ही नज़रों से गिर नहीं जाएंगे?”…

“अरे!..नहीं…ई बात नहीं है…लेकिन अब बीच रस्ते के मुंह धो के क्या फायदा?”…

“मुंह धो के?”…

“और नहीं तो का…..

“आप मुंह धोने की बात कर रहे थे?”…

“और नहीं तो का?….आप का समझ रहे थे?”…

“क्क्कुछ नहीं….लेकिन आप मुंह क्यों धोना चाहते थे….इत्ते सुन्दर तो लग रहे हैं आप"…

“अरे!…काहे को मजाक उड़ाते हैं तनेजा जी…..इस सांवले…सुन्दर..सलोने मुखड़े पे तो वो सुसरी कालिख पोत के चली गई"…

“कालिख पोत के?”…

“और नहीं तो का गोबर पोत के?”..

“मैं कुछ समझा नहीं"…

“इतने भोले तो नहीं हैं आप”…

“क्या मतलब?”…

“आप भी तो चोरी-चोरी उसी को देख मुस्कुरा रहे थे ना?”..

“किसे?”…

“उसी को…जो निकल गई"…

&^%$#@#$#%क्या बकवास कर रहे हो?….मैंने कब तुम्हारे….

“अरे!…हम ऊ काली बाईक पे बैठी लड़की की बात कर रहा हूँ जो अभी सर्र से फर्र-फर्र करती हुई हमसे आगे निकल गई"…

bike-girl-thumb5407576

“क्क्या?”…

“हाँ!…इसलिए तो हम इत्ती जोर से चिल्लाया था कि….

“ओह!…श्श..शिट ट…ट…निकल गई?”….

“ओह!…

***राजीव तनेजा***

Rajiv taneja

Delhi(India)

http://hansteraho.blogspot.com

rajivtaneja2004@gmail.com

+919810821361

+919213766753

+919136159706

 

20 comments:

SACCHAI said...

" maza aa gaya janab "

---- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

""बूंद बारिश की याद कुछ दिला गई "

Udan Tashtari said...

आप भी बेचारे के बारे क्या क्या सोच गये...:)

M VERMA said...

आप भी ..
वैसे आपके साथ थे कौन
बहुत मजेदार

शिवम् मिश्रा said...

बहुत उम्दा व्यंग्य !

girish pankaj said...

ha...ha...ha...akhir nikalhi gai...? kya baat hai.mazedar-hasypradhan rachanaa.

Unknown said...

jaadugar ho bhai............

waah
bahut khoob !

संगीता पुरी said...

हा हा हा ..
आजकल कुछ छांटी रह रही हैं आपकी पोस्‍ट .. एक बार में ही पढ पा रही हूं !!

राज भाटिय़ा said...

अगली बार जब भी अप के संग बेठना पडा तो मै तो चुप ही रहुंगा जी:) पता नही किस बात पर आप खिचाई कर दे....बेचारे गुपता जी

राजकुमार सोनी said...

इस व्यंग्य में जान है दोस्त.

अजय कुमार झा said...

हा हा हा ...चलिए वैसे भी ....शिट ..अगर ऊ भी निकल जाती गुप्ता जी की ...तो सब ठो औपशन्वा तो आप उनको दईये दिए थे ....एक दम धमाल धमाल ...अब कौनो टेंशन नहीं है....ई निकले कि उ निकले.........

http://anusamvedna.blogspot.com said...

वाह! पोस्ट पढ़ कर अपनी भी निकल पड़ी ... हा हा हा

सूर्यकान्त गुप्ता said...

हा हा हा हा हा हा हा आज तो तनेजा जी तान के ही लिख दिये हैं मजा आ गया।

शिवम् मिश्रा said...

बेहद उम्दा पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं!

आपकी चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं

Shah Nawaz said...

बहुत ही बेहतरीन, बहुत ही ज़बरदस्त! ;-)

Mahak said...

Part 1of 4

बहुत दिनों से एक विचार मेरे मन की गहराइयों में हिलोरे खा रहा था लेकिन उसे मूर्त रूप प्रदान करने के लिए आप सबका सहयोग चाहिए इसलिए उसे आप सबके समक्ष रखने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था की पता नहीं कहीं वो असफल और अस्वीकार ना हो जाए लेकिन तभी ये विचार भी आया की बिना बताये तो स्वीकार होने से रहा इसलिए बताना ही सही होगा .

दरअसल जब भी मैं इस देश की गलत व्यवस्था के बारे में कोई भी लेख पढता हूँ, स्वयं लिखता हूँ अथवा किसी से भी चर्चा होती है तो एक अफ़सोस मन में होता है बार-2 की सिर्फ इसके विरुद्ध बोल देने से या लिख देने से क्या ये गलत व्यवस्थाएं हट जायेंगी , अगर ऐसा होना होता तो कब का हो चुका होता , हम में से हर कोई वर्तमान भ्रष्ट system से दुखी है लेकिन कोई भी इससे बेहतर सिस्टम मतलब की इसका बेहतर विकल्प नहीं सुझाता ,बस आलोचना आलोचना और आलोचना और हमारा काम ख़त्म , फिर किया क्या जाए ,क्या राजनीति ज्वाइन कर ली जाए इसे ठीक करने के लिए ,इस पर आप में से ज़्यादातर का reaction होगा राजनीति !!! ना बाबा ना !(वैसे ही प्रकाश झा की फिल्म राजनीति ने जान का डर पैदा कर दिया है राजनीति में कदम रखने वालों के लिए ) वो तो बहुत बुरी जगहं है और बुरे लोगों के लिए ही बनी है , उसमें जाकर तो अच्छे लोग भी बुरे बन जाते हैं आदि आदि ,इस पर मेरा reaction कुछ और है आपको बाद में बताऊंगा लेकिन फिलहाल तो मैं आपको ऐसा कुछ भी करने को नहीं कह रहा हूँ जिसे की आप अपनी पारिवारिक या फिर अन्य किसी मजबूरी की वजह से ना कर पाएं, मैं सिर्फ अब केवल आलोचना करने की ब्लॉग्गिंग करने से एक step और आगे जाने की बात कर रहा हूँ आप सबसे

Mahak said...

आप सबसे यही सहयोग चाहिए की आप सब इसके मेम्बर बनें,इसे follow करें और प्रत्येक प्रस्ताव के हक में या फिर उसके विरोध में अपने तर्क प्रस्तुत करें और अपना vote दें
जो भी लोग इसके member बनेंगे केवल वे ही इस पर अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में publish कर सकते हैं जबकि वोटिंग members और followers दोनों के द्वारा की जा सकती है . आप सबको एक बात और बताना चाहूँगा की किसी भी common blog में members अधिक से अधिक सिर्फ 100 व्यक्ति ही बन सकते हैं ,हाँ followers कितने भी बन सकते हैं
तो ये था वो सहयोग जो की मुझे आपसे चाहिए ,
मैं ये बिलकुल नहीं कह रहा हूँ की इसके बदले आप अपने-२ ब्लोग्स लिखना छोड़ दें और सिर्फ इस पर ही अपनी पोस्ट डालें , अपने-2 ब्लोग्स लिखना आप बिलकुल जारी रखें , मैं तो सिर्फ आपसे आपका थोडा सा समय और बौद्धिक शक्ति मांग रहा हूँ हमारे देश के लिए एक बेहतर सिस्टम और न्याय व्यवस्था का खाका तैयार करने के लिए


1. डॉ. अनवर जमाल जी
2. सुरेश चिपलूनकर जी
3. सतीश सक्सेना जी
4. डॉ .अयाज़ अहमद जी
5. प्रवीण शाह जी
6. शाहनवाज़ भाई
7. जीशान जैदी जी
8. पी.सी.गोदियाल जी
9. जय कुमार झा जी
10.मोहम्मद उमर कैरान्वी जी
11.असलम कासमी जी
12.राजीव तनेजा जी
13.देव सूफी राम कुमार बंसल जी
14.साजिद भाई
15.महफूज़ अली जी
16.नवीन प्रकाश जी
17.रवि रतलामी जी
18.फिरदौस खान जी
19.दिव्या जी
20.राजेंद्र जी
21.गौरव अग्रवाल जी
22.अमित शर्मा जी
23.तारकेश्वर गिरी जी

( और भी कोई नाम अगर हो ओर मैं भूल गया हों तो मुझे please शमां करें ओर याद दिलाएं )

मैं इस ब्लॉग जगत में नया हूँ और अभी सिर्फ इन bloggers को ही ठीक तरह से जानता हूँ ,हालांकि इनमें से भी बहुत से ऐसे होंगे जो की मुझे अच्छे से नहीं जानते लेकिन फिर भी मैं इन सबके पास अपना ये common blog का प्रस्ताव भेजूंगा
common blog शुरू करने के लिए और आपको उसका member बनाने के लिए मुझे आप सबकी e -mail id चाहिए जिसे की ब्लॉग की settings में डालने के बाद आपकी e -mail ids पर इस common blog के member बनने सम्बन्धी एक verification message आएगा जिसे की yes करते ही आप इसके member बन जायेंगे
प्रत्येक व्यक्ति member बनने के बाद इसका follower भी अवश्य बने ताकि किसी member के अपना प्रस्ताव इस पर डालते ही वो सभी members तक blog update के through पहुँच जाए ,अपनी हाँ अथवा ना बताने के लिए मुझे please जल्दी से जल्दी मेरी e -mail id पर मेल करें

mahakbhawani@gmail.com

Mahak said...

हमारे इस common blog में प्रत्येक प्रस्ताव एक हफ्ते के अंदर अंदर पास किया जायेगा , Monday को मैं या आप में से इच्छुक व्यक्ति अपना प्रस्ताव पोस्ट के रूप में डाले ,Thursday तक उसके Plus और Minus points पर debate होगी, Friday को वोटिंग होगी और फिर Satuday को votes की गणना और प्रस्ताव को पास या फिर reject किया जाएगा वोटिंग के जरिये आये हुए नतीजों से

आप सब गणमान्य ब्लोग्गेर्स को अगर लगता है की ऐसे कई और ब्लोग्गेर्स हैं जिनके बौधिक कौशल और तर्कों की हमारे common ब्लॉग को बहुत आवश्यकता पड़ेगी तो मुझे उनका नाम और उनका ब्लॉग adress भी अवश्य मेल करें ,मैं इस प्रस्ताव को उनके पास भी अवश्य भेजूंगा .

तो इसलिए आप सबसे एक बार फिर निवेदन है इसमें सहयोग करने के लिए ताकि आलोचना से आगे भी कुछ किया जा सके जो की हम सबको और ज्यादा आत्मिक शान्ति प्रदान करे
इन्ही शब्दों के साथ विदा लेता हूँ

जय हिंद

महक

शरद कोकास said...

बस इतनी ठीक है ..।

Anonymous said...

ओह!…श्श…शिट ट…ट…

लगता है राजीव जी की तबीयत ठीक नहीं थी, तभी तो 200 मीटर की पोस्ट लिख निकल गए वरना पौने चार किलोमीटर की तो रहती ही है

हा हा हा

बी एस पाबला

baljit kumar said...

dino din aapki lekhni prakhar ho rahi hain . vayang achha thha .

 
Copyright © 2009. हँसते रहो All Rights Reserved. | Post RSS | Comments RSS | Design maintain by: Shah Nawaz