ये माईक स्साला… भी बड़ी ही कुत्ती चीज़ है…अच्छे-अच्छों के छक्के छुडा देता है..बड़े-बड़ों को पसीने ला देता है…सूरमाओं को धरती चटा पल भर में रुला देता है|सामने आ जाओ इसके तो साँस ऊपर-नीचे…नीचे-ऊपर होने लगती है…हाथ-पाँव फूलने लगते हैं…बदन कंपकपाने लगता है…
जुबान तालू से चिपक जाती है…आँखों के आगे अँधेरा ही अँधेरा नज़र आने लगता है …यूं समझिए जनाब कि अच्छे-भले बंदे की आधी ताकत एक अकेला माईक ऐसे निगल जाता है मानों माईक…माईक ना हो गया रामायण काल का बाली हो गया
या फिर उससे भी बढकर बरसों पुरानी बुड्ढी-खूसट घरवाली हो गया….
आधी ताकत तो इसको देख के ही निकल जाती है और बाकी की बची आधी ताकत सामने श्रोताओं को और उनकी पल-पल…प्रतिपल बदलती भाव-भंगिमाओं को देख के निकल जाती है…
बचा रह जाता है मेरे जैसा शुद्ध एवं निखालिस टट्टू…
लेकिन आप लोग कहेंगे कि सभी उगलियाँ एक बराबर नहीं होती…बिलकुल नहीं होती जनाब…कुछ-एक दिलेर टाईप के फूँ-फां करने वाले लोग भी होते हैं इस दुनिया में जो अपनी जाबांजी के चलते हर फ़िक्र और दुनिया-जहाँ की चिंता को बिलकुल भुला…बेफिक्र होकर घंटों तक माईक से ऐसे चिपक जाते हैं जैसे वो माईक…माईक ना होकर उनकी नई-नवेली दुल्हन हो गया…पीछा ही नहीं छोड़ते…
कुछ-एक तो तजुर्बेकार टाईप के फन्ने खाँ लोग भी होते हैं इस दुनिया में जो अपनी अच्छी-भली एक के होते हुए उधार स्वरूप स्वरूप पडोसी की मांग उसे अपने दरबार में सजा लेते हैं..
या फिर कई बार स्वत: ही दूसरों द्वारा उन्हें अपना सामान मुफ्त में इस्तेमाल करने के लिए एज ए गिफ्ट दे दिया जाता है..ऐसा बीवी के साथ नहीं बल्कि माईक के साथ होता है|
वैसे!..होने को तो कुछ भी हो सकता है… :-)
और हाँ!…अगर किन्हीं अप्रत्याशित कारणों फिर भी तसल्ली ना हो पा रही हो तो आस-पड़ोस से मांग कर दो-चार और को भी अपने आजू-बाजू में लगा…महफ़िल को सजा…उसे रौशन किया जा सकता है
लेकिन!…लेकिन ऐसा करने में रिस्क और जोखिम कुछ ज्यादा ही होता है..शार्ट सर्किट के जरिये करेंट लगने से सब कुछ स्वाहा होने का डर जो हमेशा बना रहता है…
अच्छा…अगर कहीं सुनाने के कड़े मापदंड हों…माल अपने पास झंण्ड हो…ऊपर से श्रोता बड़ा ही उद्दंड हो…तो कई बार पैंट के ढीले होकर गीले होते हुए खिसकने तक की भी नौबत आ जाती है…इसलिए हे बंधुओ…इससे पहले कि मेरी भी पैंट के ढीले हो के गीले होते हुए खिसकने की नौबत आ जाए…मैं पहले ही कलटी मार….नौ दो ग्यारह होते हुए खिसक लेता हूँ…
जय हिंद
***राजीव तनेजा***
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+919136159706
18 comments:
माईक महाराज की जय हो।
वाह राजीव जी पूरी माइक पुराण लिख डाली आपने...जंतर-मंतर पर आये थे की नहीं...आप जैसे लोगों से देश व समाज को बहुत आशा है...
पुराना माइक टेस्टेड होता है... इसलिए बिगड़ने पर सुधरने की गुंजाईश है... पर नया...........
हा हा हा
माइक एसा यंत्र है जिसके सामने शैतान भी फरिश्ते की भाषा बोलने लगता है ।
माइक महात्म पर पैनी नजर.... :)
हा हा हा... माइक की आड़ में बहुत कुछ कह गए... ज़बरदस्त!
हा हा हा बहुत धांसू राजीव भाई बहुत ही गजब । मैं जानता हूं कि जितनी सरल ये पोस्ट दिख रही है उतना ही ज्यादा श्रम लगा है इसे तैयार करने में .,....आपने शब्दों का काम चित्रों से बखूबी कर दिया ..हमें आपकी वो झटके वाली फ़ोटो बढिया लगी । एकदम मासूम लग रहे हैं आप ..वो तो हमही हैं जो पहचान गए वर्ना कुछ लोग तो इसे बंदर की फ़ोटो समझ रहे होंगे । हा हा हा हा हा हा बहुत मजेदार पोस्ट है
ha ha ha ha ha
gazab likha bhai
maza aa gaya
उत्तम प्रस्तुति।
हा..हा..हा..माइक पुराण तो नाइफ की तरह दिल में उतर गया।
हा..हा..हा..माइक पुराण तो नाइफ की तरह दिल में उतर गया।
ठहाका रोके न रुकता है
bahut khoob, bahut khoob Rajiv bhai ji, sachmuch maza aa gaya, aapki lekhi aur hasya ki tarif jitni ki jaye kam hi hain, ek aaphi hain jo ham logon ko tazgi se sarabor karte rahte hain, warna nirasta ke gart men hi hote ham
ओह माय माय .....
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माईक के जयकारे हम तक भी पहुँच गये। बहुत बडःइया। बधाई।
माइक की कहानी इतनी सरल भाषा में पहले कभी नहीं सुनी थी. सच में जबरजस्त लिखा है आप ने............
माइक पुराण कि जय हो ...बहुत बढ़िया ..मज़ा आ गया पढ़ के
माइक के कई नए अर्थ खुले , वाह क्या बात है !
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