हे!...ऊपरवाले...हे!...परवरदिगार....हे!... कुल देवता...
बहुतों पर उपकार किए हैं तूने...बहुतों को सर चढ़ाया है... कुछ हमारी भी खबर ले...
हे!... बहुतों के देवता.....हे!...सैंकड़ों के माई-बाप...
सबकी रक्षा तू सदा करता चला आया है... कुछ हमारी भी सोच... तेरे सिवा अब हमारा कोई नहीं...
ये आखिर हो क्या रहा है प्रभु हमारे इस देश में?....जगह-जगह धक्के खाने के बाद तीन?....सिर्फ तीन दिन मिले हैं अन्ना को अनशन के लिए?...वो भी पूरी गिन के बाईस शर्तों के साथ?...साथ ही ये हलफनामा देने के लिए कहा जा रहा है कि....
- पचास कारों और पचास टू-व्हीलर्ज़ से ज़्यादा वाहन नहीं खड़े किए जा सकते हैं पार्किंग में?...
- ऊंची आवाज़ में नहीं बोला जा सकता है...
- ध्वनि प्रदूषण इतने डैसिबल से ज़्यादा का नहीं होना चाहिए वगैरा...वगैरा...
ये क्या मज़ाक किया जा रहा है प्रभु हमारे साथ?....पूरे देश की जनता के साथ?..चलिये!....चलिये!.... कैसे ना कैसे करके इन सभी नाजायज शर्तों को मान भी लिया जाता है क्या हमारे देश की सरकार इस बात की गारंटी लिखित रूप में हर खास औ आम को देने के लिए तैयार है कि आज के बाद भविष्य में देश की राजधानी दिल्ली में होने वाले किसी भी जलसे...रैली या धरने के लिए भी इन्हीं बाईस शर्तों को पूरा करने का कडा मापदण्ड रखा जाएगा? ..
उफ़्फ़!... कैसी विडम्बना है ये हमारे देश की कि यहाँ जबरन रेलें रोक कर....तोड़-फोड़ कर...सरकारी संपत्ति को बेवजह नुकसान पहुंचा कर तो अपने मन की बात मनवाई जा सकती है लेकिन जो शक्स या संस्था ईमानदारी से .... लोकतान्त्रिक तरीके से शांतिपूर्वक ढंग से अपनी ....जायज़ बात को मनवाना चाह रही है तो उन्हें ही तरह-तरह से बिना बात के परेशानी की हद तक परेशान किया जा रहा है...उलटे-सीधे.... वाजिब-गैर वाजिब तरीकों से गढ़े मुर्दे उखाड़ने का प्रयास किया जा रहा है...
हे!...प्रभु....
कहने को तो हम कहते फिरते हैं कि पिछले चौसंठ वर्षों से आज़ाद हैं हम लेकिन क्या सही मायनों में आज़ाद हैं हम?...
बिलकुल नहीं....ऐसी अंधेरगर्दी....ऐसी लूटमार तो मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक के किसी भी जमाने में नहीं थी...ऐसी आज़ादी से तो गुलामी ही भली है ... हाँ!....ऐसी आज़ादी से तो गुलामी ही भली है... इसलिए...
हे!...शाहों के क्षणशाह... हे!...बादशाहों के बादशाह...
कुछ करम अपना हम पर भी कर..भ्रष्टाचार से त्रस्त है हम लोग...हमारा उद्धार कर....हमारा उद्धार कर...
मिटा दे कसाब को... झुका दे अफजल गुरु को... बर्बाद कर दे 'सिम्मी' को....गायब कर दे 'नक्सलवाद' को....
तू आ...अभी...इसी वक्त और दिखा चमत्कार आसमान से... तूने उन्हें नर्क से मुक्ति दिलाई... हमारी भी मदद कर... बहुत एहसान किए हैं तूने सब पर...तूने सद्दाम को मुक्ति दिलाई...तूने लादेन का सर्वनाश किया ...अब हमारी भी मदद कर... इसलिए...
हे!...अमेरिका....
मेरा अल्लाह भी तू है....मेरा मौला भी तू है...सिर्फ पाकिस्तान की नहीं... कुछ हमारी भी सोच... .तेरे सिवा अब हमारा कोई नहीं... तूने तालिबानियों को धूल चटा अफगानिस्तान का भला किया है... सद्दाम को मिटा इराक को संवारा है... कर हमारे यहाँ भी आक्रमण और मिटा दे सब पापियों को...वहाँ तो महज़ एक लादेन था...यहाँ तो पूरी संसद...पूरा सिस्टम भरा पड़ा है ऐसे लादेनों से...ऐसे कसाबों से .... इसलिए...
हे!...अमेरिका...
तू आ...अभी...इसी वक्त और दिखा चमत्कार आसमान से...
विनीत:
एक आम दुखी भारतीय नागरिक
12 comments:
हे भगवान ये क्या हो गया राजीव भैया को थान से सीधे रूपसी के ड्रेस के लायक सेंटीमीटर पे आ गये
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स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
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आज़ क्या बात है बड़े तीखे तेवर हैं..
कसाब जी अफ़जल जी सभी के सम्मान के लिये उतावलों को अन्ना की लाइन दिखा रए हो दादा .. क्या हुआ छोटे से भाले से कितने सीने नाप रहे हो दादा
वाह आनंद आ गया
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
इस मामले में अमरीका नहीं आता..अभी तो उनकी खुद की नहीं संभल रही.
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
बहुत सही तनेजा भाई... अमेरिका की खुद वाट लगी हुई है... प्रभु पहले उसकी रक्षा करे... हम जैसे तैसे निपट ही लेंगे
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
स्वतन्त्रता की 65वीं वर्षगाँठ पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
छोटा है , पर तीखा है ।
आक्रोश जायज़ है ।
स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें भाई जी ।
भ्रष्टाचार की कोई अलग होती है
शक्ल
जिसमें लग जाए सारी हमारी अक्ल
वाह!क्या तीखापन है|
हे!...ऊपरवाले...हे!...परवरदिगार....हे!... कुल देवता...
बहुतों पर उपकार किए हैं तूने...बहुतों को सर चढ़ाया है... कुछ हमारी भी खबर ले...
चिंता मत किजिये, ताऊ जल्दी ही पहुंच रहा है, फ़िर खबर लेगा.:)
स्वतंत्रता दिवस की घणी रामराम.
रामराम
हे अमेरिका ! हा अमेरिका !!
हे अमेरिका ! हा अमेरिका !!
हे!...अमेरिका...
वैसे प्रश्न वाजिब है कि किलोमीटर सेंटीमीटर में कैसे बदल गया
हा हा हा
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