फेसबुक हाय हाय…हाय हाय…बन्द करो ये फेसबुक- राजीव तनेजा

इस बात में रत्ती भर भी संदेह नहीं कि आजकल चल रही सोशल नेटवर्किंग साईट्स जैसे याहू..ट्विटर और फेसबुक वगैरा में से फेसबुक सबसे ऊपर है... यहाँ पर हर व्यक्ति अपने किसी ना किसी तयशुदा मकसद से आया है...बहुत से लोग यहाँ पर सिर्फ मस्ती मारने के उद्देश्य से मंडरा रहे हैं..कईयों के लिए ये फेसबुक प्रेमगाह या प्रेम करने के लिए सर्वोत्तम अखाड़ा साबित हो रहा है... हम जैसे लेखक टाईप के लोग फेसबुक जैसी सोशल साईट्स पर आए ही इसलिए हैं कि हमें अपने पंख फ़ैलाने के लिए एक नया आसमां...एक नया माहौल मिले..मुझ...

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते -राजीव तनेजा

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते  कभी कच्ची धूप से खिलते कभी घुप्प अँधेरे में सिमटते  तुरत फुरत इस पल बनते झटपट उस  पल बिगड़ते अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते बेगानों संग प्रीत जताते अनजानों संग पेंच लड़ाते कभी हँसते तो कभी रोते सपने पर नित नए संजोते अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते कभी किले हवा में हवाई बनाते कभी रेतीली ज़मीं पर कदम अपने ठोस टिकाते  कभी वीराने में मरुद्यान ढूंढते  कभी छिछली रेत में समंदर उजला तलाशते अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते अपनों को खुडढल लाइन...

छोड़ो ना कौन पूछता है (ऑडियो) - राजीव तनेजा

मेरी कहानी छोड़ो ना...कौन पूछता है का ऑडियो वर्ज़न अर्चना चावजी की आवाज़ में     ...

टाएं-टाएं फिस्स- राजीव तनेजा

“ओहो!…शर्मा जी…आप….धन भाग हमारे जो दर्शन हुए तुम्हारे”… “जी!…तनेजा जी….धन भाग तो मेरे जो आपसे मुलाक़ात हो गयी"… “हें…हें…हें…शर्मा जी….काहे को शर्मिन्दा कर रहे हैं?….मैं भला किस खेत की मूली हूँ?….कहिये!…कैसे याद किया?”… “अब…यार…क्या बताऊँ?…मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है"… “जब खुद की ही समझ में नहीं आ रहा है तो मुझे क्या ख़ाक समझाएंगे?”मैं झल्लाने को हुआ… “न्नहीं!…दरअसल मैं समझाने नहीं बल्कि समझने आया हूँ?”…. “क्या?”…. “यही तो समझ नहीं आ रहा है"… “क्क्या?”…. “जी!…. “आपको खुद ही...
 
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