***राजीव तनेजा***
फेसबुकिया नशा ऐसा नशा है कि एक बार इसकी लत लग गई तो समझो लग गयी...बंदा बावलों की तरह बार बार टपक पड़ता है इसकी साईट पर कि..."जा के देखूँ तो सही मुझे कितने लाईक और कितने कमेन्ट मिले हैं?"...
"अरे!...तुझे क्या लड्डू लेने हैं इन लाईक्स और कमैंट्स से जो बार बार फुदक कर पहुँच जाता है फिर से उसी नामुराद ठिकाने पे?"....
"क्या कहा?....दिल नहीं मानता?"....
"हुंह!...दिल नहीं मानता....अरे!...अगर दिल की सुनने का इतना ही शौक है तो क्यों नहीं सुनी तब अपने दिल की जब वो लम्बू का छोरा..हाँ-हाँ...वही (अभिषेक का बच्चा और कौन?) तेरी एश्वर्या को ब्याह के अपने बंगले पर ले गया?"...
"म्म्म...दरअसल....
"तब क्यों नहीं सुनी अपने दिल की जब कसाब को बीच चौराहे पे फाँसी लगाने को तेरा मन करता था?"....
"व्व्व...वो दरअसल ब्बात य्य्य....ये है कि...
"मैं पूछता हूँ...तब क्यों नहीं सुनी दिल की जब वो 'ओवैसी' का बच्चा 'यूट्यूब' पे पूरे देश को खुलेआम....बीच चौराहे....चुनौती दे रहा था?"....
"वव.....वो दरअसल बात ऐसी थी कि.....
"बस्स!...निकल गयी सारी हवा?....फुर्र हो गयी सारी हेकड़ी?...बात करेंगे".....
"छोड़ो...रहने दो....सब बेकार के ड्रामे हैं कि...एक बार बन जाने के बाद एकाउंट क्लोज नहीं कर सकते....सिर्फ डीएक्टीवेट कर सकते हैं"....
"जी!....
"अरे!...काहे नहीं कर सकते हैं?...बाप का राज़ है क्या?"....
"ब्बाप....का नहीं...'ज़ुकरबर्ग' का"....
"क्क...क्या कहा?...कौन से 'शतुरमुर्ग' का?".
"शतुरमुर्ग नहीं...'ज़ुकरबर्ग'"....
"अरे!...क्या फर्क पड़ता है...'शतुरमुर्ग' हो या 'ज़ुकरबर्ग'...है तो बर्ग ही ना.....ससुरे को कच्चा चबा जाओ...बिना टिक्की वाला सूखा...सडकछाप बर्गर समझ के"....
"अच्छा!...एक बात बताओ"....
"जी!....
"क्या वाकयी में...एक बार बन जाने के बाद फेसबुक एकाउंट को बन्द नहीं किया जा सकता?"...
"जी!...नहीं किया जा सकता?"....
"कोई जबरदस्ती है का?"...
"कुछ ऐसा ही समझ लें"...
"नहीं!...मैं नहीं मानता...कोई ना कोई तो तोड़ ज़रूर होगा इस बात का"....
"प्प...पता नहीं".....
"मुझे पता है"....
"क्या?"...
"इस 'ज़ुकरर्बर्गीय' जोड़ का तोड़"
"वो क्या?"...
"यही कि कैसे किसी के फेसबुकिये खाते को चक्रव्यूह में बाँधा जाए कि बंदा लाख चाहने के बावजूद भी अपने ही खाते को ना खोल सकते"...
"नामुमकिन...ऐसा कभी नहीं हो सकता"...
"हो सकता है बेटे लाल...हो सकता है...बस दिमाग थोड़ा खुराफाती होना चाहिए"...
"वो कैसे?"...
"वो ऐसे मेरे लाल कि...कोई मरीज़ भला खुद...अपनी मर्ज़ी से अपना इलाज करवाने के लिए खुशी खुशी कहाँ राजी होता है?"...
"जी!...
"अब कोई खुद तो अपना फेसबुक एकाउंट तो डीएक्टीवेट करेगा नहीं और परमानैंटली वो डिलीट हो नहीं सकता"....
"जी!....
"इसलिए किसी भी एकाउंट को नाकारा करने के मेरा फेसबुकिया कायदा तो यही कहता है कि किसी और व्यक्ति (उसका भरोसेमंद होना कतई ज़रुरी नहीं है) को अपना फेसबुक पासवर्ड बता कर उससे पासवर्ड बदलवाया जाए और
फिर बिना सोचे समझे ..आँखें मूंद कर (अपनी नहीं बल्कि उसकी)उस व्यक्ति को तड से गोली मार दी जाए"...
"क्क...क्या?".....
***राजीव तनेजा***
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5 comments:
हा हा हा ……………बस अब यही कसर और रह गयी है :)
हा हा हा हा बहुत अच्छे गुरूजी | अब आप अपना पासवर्ड मेरे से बदलवा लो | बाँदा हाज़िर है |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
पोस्टें छोटी होने लगीं
vry nice ji,,,facebook se chhutkara paane ka ya jail men jaane ka upaay...
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