हत्या

murder 

"हत्या"

पढना चाहता हूँ मैं...

बड़े प्रेम और लगन से...

मंत्रमुग्ध हो..

पन्ना दर पन्ना...

तुम्हारे उजले...निष्कलंक..अतीत और...

स्वाभीमानी वर्तमान का

ताकि भविष्य में तुम्हारे...

कभी मैं कर सकूँ...

आसानी से...निसंकोच

तुम्हारे ही...उजले चरित्र की...

'हत्या'

5 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना बुधवार 30 जुलाई 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

Unknown said...

बहुत ही बढ़िया।

Unknown said...

निःशब्द करती रचना

Pratibha Verma said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।

कविता रावत said...

उजले चरित के पीछे जाने कितना अँधेरे घिरा रहता है ......
बहुत सुन्दर

 
Copyright © 2009. हँसते रहो All Rights Reserved. | Post RSS | Comments RSS | Design maintain by: Shah Nawaz