"अररर..अरे!..ये क्या कर रहा है बेवकूफ़? मत उठा..पाप लगेगा..टोना है।" बीच सड़क कुछ फूल, मिठाई और छुटकर पड़े पैसों को उठाने के लिए लपकते हुए मेरे हाथों को वो जबरन खींच कर रोकता हुआ बोला।
"हुंह!...मुझे भला क्यूँ पाप लगेगा? पाप तो उस ऊपर बैठे ऊपरवाले को लगेगा जो हमें कई दिनों से भूखा मार रहा है।" मैं फिर झटके से अपना हाथ छुड़ा..नीचे झुकता हुआ बोला।
3 comments:
बहुत कम शब्दों में बहुत गहरी बात कह रहे हैं आप राजीव भाई
भूख
भूख कुछ नहीं देखती ।
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