एक मित्र मिले बोले
लाला तुम किस चक्की का खाते हो?
इस डेढ छटांक के राशन में भी
तोंद बढाए जाते हो
क्या रखा है माँस बढाने में?
मनहूस अक्ल से काम करो
इंटरनैट काल की वेला है
ब्लॉग लिखो जगत में नाम करो
हम बोले रहने दो लैक्चर
पिट जाओगे हो जाएगा फ्रैक्चर
लिख-लिख कलम घिसते रहें
इतने भी हम बेकार नहीं
ब्लॉग लिखना अपना काम नहीं
क्योंकि इसमें मिलता दाम नहीं
नोट:इस कविता का शुरूआती हिस्सा बचपन में स्कूल में पढा था...आज अचानक याद आ गया तो बाकी का आधा हिस्सा अपनी तरफ से जोड़ दिया
15 comments:
बहुत ही सुंदर जी
धन्यवाद
बढ़िया जोड़ा है... मस्त!!
ठीक ही तो है :-)
मजेदार जोड़ा है आपने. आखिर अक्ल का काम कर ही डाला.
बात है तो सोलह आने खरी।
बहुत अच्छा !!
आज तो आपकी पोस्ट चमक भी रही है :-)
ekdam sach likha ....
यह ब्लॉगर 4 सौ Bस है
नहीं एक कम उन्नीस है
http://nukkadh.blogspot.com/2009/07/420.htmlhttp://nukkadh.blogspot.com/2009/07/420.html
इसके कारनामे करारनामे ध्यान से पढ़ें
बढ़िया जोड़ा है.
raajiv jee chaah gaye.
jhallevichar.blogspot.com
वाह सुबह सुबह चाय की चुस्की के साथ आपकी कविता...अच्छा लगा पढकर....
ha..ha..ha...majedar rahi.
Wishing "Happy Icecream Day"...See my new Post on "Icecrem Day" at "Pakhi ki duniya"
बस ऐसे ही हिस्से जोड़ते रहिये और हमें गुदगुदाते रहिये...
मीत
हा..हा... वेट मशीन वाला कार्टून ग़ज़ब लगा ! मशीन के परखच्चे उड़ा दिए आपने भाई आपको जब भी वजन होने का मन होता है वे ब्रिज पर जाना चाहिए !!
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