पहली कहानी- बताएँ तुझे कैसे होता है बच्चा
दूसरी कहानी- बस बन गया डाक्टर
तीसरी कहानी- नामर्द हूँ,पर मर्द से बेहतर हूँ
चौथी कहानी- बाबा की माया
पाँचवी कहानी- व्यथा-झोलाछाप डॉक्टर की
छटी कहानी-काश एक बार फिर मिल जाए सैंटा
सातवीं कहानी-थमा दो गर मुझे सत्ता
आठवी कहानी- मेड फॉर ईच अदर
नौवीं कहानी- बतलाने की कृपा करेंगे आप?
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बतलाने की कृपा करेंगे आप?
6 Jan 2010, 1731 hrs IST
राजीव तनेजा
मान्यवर नेता जी ,
प्रणाम ,
एक बार फिर से चुनाव में विजयी हो हमारे क्षेत्र का पुन: प्रतिनिधित्व करने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई...अपने पिछले कार्यकाल के दौरान आपने हमारे क्षेत्र के लिए जो-जो कार्य किए...उनके लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं...आपकी पुरज़ोर कोशिशों के चलते ही इलाके में तीन किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर एवं सबवे का निर्माण संभव हो पाया...जिससे क्षेत्र की जनता को हर दिन घंटों तक लगने वाले जाम में फंसे रहने से मुक्ति मिल गई है।
- अपने क्षेत्र की जनता पर किए गए आपके इस एहसान के बदले हम आपके सदैव ऋणी रहेंगे..लेकिन एक जिज्ञासु एवं जागरुक मतदाता होने के नाते मेरे दिमागी भंवर में आपकी नेतृत्व क्षमता को लेकर कुछ प्रश्न मंडरा रहे हैं...राइट टु इन्फॉर्मेशन कानून के तहत मैं उनका उत्तर आपसे जानना चाहूंगा। उम्मीद है कि आप मुझको निराश नहीं करेंगे।
- आपने हमारे यहां की कच्ची गलियों को कंक्रीट की बनवा हमें कीचड़ एवं बदबू भरे माहौल से मुक्ति दिलवा दी, इसके लिए हम आपके बहुत-बहुत आभारी हैं...लेकिन इन गलियों के कच्चे से पक्के होने के पूरे प्रकरण में आपके कितने घर कच्चे से पक्के हो गए ? ये बतलाने की कृपा करेंगे आप ?
- आप अच्छी-भली स्ट्रीट लाईटों को खंभों समेत बदलवा उनका नवीनीकरण करवा रहे हैं, यह बहुत अच्छी बात है लेकिन बदले गए इन पुराने खंभों का क्या होगा ? क्या उन्हें पुन: इस्तेमाल के लिए संभाल कर रखा जाएगा या फिर किसी दिन उन्हें निष्क्रिय एवं नाकारा घोषित कर किसी स्क्रैप डीलर को कबाड़ के भाव तौल दिया जाएगा ? मेरा मन कहता है कि पुरानी चीज़ों को सम्भाल कर रखना बेवाकूफी से बढ़कर कुछ नहीं है...उम्मीद है कि मेरी इस बात से आप भी सहमत होंगे...अगर ऐसा है तो उन्हें किस कबाड़ी को और कितनी रकम के बदले बेचा जाएगा ? उसमें से आपका और आपके मातहतों का कितना हिस्सा होगा ? ये बतलाने की कृपा करेंगे आप ?
- आप की छत्रछाया में हमारे इलाके की सड़कों...फुटपाथों एवं कूड़ेदानों के नवीनीकरण के जरिए शहर का सौन्दर्यकरण हो रहा है। यह हमारे लिए गर्व की बात है लेकिन इस सारे प्रकरण के जरिए आप कितने नोट अपनी तिजोरी के अन्दर करेंगे ? ये बतलाने की कृपा करेंगे आप ?
- अपने क्षेत्र के मतदाताओं की बेरोज़गारी दूर करने के लिए आपके राज में नई नौकरियां गढ़ीं एवं दी जा रही हैं। इन भर्तियों की एवज में आप कितनों की, किस तरह (कैश..चैक...मनीऑर्डर या बैंक ड्राफ्ट/क्रेडिट कार्ड) और कितनी जेबें ढीली करेंगे ? ये बतलाने की कृपा करेंगे आप ?
- आप के सतत प्रयासों के जरिए हमारा इलाका साफ-सुथरा एवं सुन्दर बनता जा रहा है...इसके लिए आप प्रशंसा के पात्र हैं। इसी बात को जान कर यहां पर सफाई कर्मचारियों ने भी हाज़री लगाना लगभग बन्द सा कर दिया है। उनकी इस गैरहाज़री के बदले आप कितनी रकम अपनी तिजोरी के अन्दर हाज़िर करते हैं ? ये बतलाने की कृपा करेंगे आप ?
- आप ज़मीन से जुड़े हुए नेता हैं, इसलिए आपके राज में रेहड़ी-पटरी एवं खोमचे वाले खूब फल-फूल रहे हैं। उन्हें इस पूरे इलाके को नर्क बनाने की छूट देने के बदले आप उनसे कितना और कब-कब वसूलते हैं ? ये बतलाने की कृपा करेंगे आप ?
- आपके इलाके में खाली पड़ी निजी एवं सरकारी ज़मीनों पर कब्ज़ा कर झुग्गी माफिया (गरीब-गुरबा बेघर लोगों को छत प्रदान कर पुण्य का काम करते हुए) लाखों-करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहा है। शहर का मुखिया होने के नाते इसमें आपका कितना बड़ा हिस्सा है ? ये बतलाने की कृपा करेंगे आप ?
विनीत:
अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति सचेत एक जिम्मेदार नागरिक
जय हिंद
13 comments:
आपने नेताजी से अच्छे प्रश्न किए हैं .. पर यदि क्षेत्र की जनता का कल्याण हुआ हो .. तो नेताजी की कमाई के बारे में न सोंचकर संतोष कर लेना बेहतर है .. क्यूंकि किसी क्षेत्र में तो वो भी नहीं होता .. सारे पुल और सडक नेताजी की जेब में ही होते हैं !!
बहुत सटीक प्रश्न किये हैं..उम्दा आलेख!
Padh ke achchha laga Rajeev ji... aur aapko ek bar fir print media me dekh khushee hui... badhai..
Jai Hind...
अगर नेता कर दे जन कल्याण
हो न जाएगा हमारा देश महान्।
सटीक प्रश्नों के साथ... बहुत ही सुंदर व्यंग.... मज़ा आ गया....
कुटिल , अंधे, अनपढ़ और गवार नेतावो के लिए आपके ये महत्वपूर्ण प्रश्न कोई मायने नहीं रखते !
सटीक
फ़ॉन्ट साइज थोड़ा बढ़ा लें और टेक्स्ट का रंग थोड़ा गहरा कर लें तो पढ़ने में आसानी होगी
आपके यहां के नेताजी पढ़े हुये हैं!
आप से सहमत है जी, लेकिन यह गुंडे मवाली क्या समझे इन बातो को?
भाई राजिव जी ऐसे नेताओं को तो कबाड़ी[यदि मिला तो]के हाथ [जिस भाव भी]बीच देना चाहिए|
भाई राजिव जी ऐसे नेताओं को तो कबाड़ी[यदि मिला तो]के हाथ [जिस भाव भी]बेच देना चाहिए|
अच्छी कहानी। बधाई!
bahut hee badhiya savaal....shaandaar....jaandaar post....badhaai
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