बात कुछ कम जमी। राजीव जी, आप अपने ब्लाग को विजेट फ्री क्यों नहीं करते? जब भी खोलते हैं पीसी को हेंग करता है। टिप्पणी करना तक कठिन हो जाता है। आप का ब्लाग खोलने के पहले सौ किलो वेट उठाने जैसी तैयारी करनी पड़ती है।
है अगर दुश्मन ज़माना तो गम नहीं, गम नहीं, कोई आए, कहीं से, हम किसी से कम नहीं, कम नहीं... आज हम जैसे जिगर वाले कहां, ज़ख्म खाया है दिल पे तब हुए हैं जवां, तीर बन जाए दोस्तों की नज़र, या बने खंजर दुश्मनों की ज़ुबां आज तो दुनिया नहीं या हम नहीं, कोई आए, कहीं से, हम किसी से कम नहीं, कम नहीं...
हमसे मत किजिये दुश्मनों का गिला, हम तो हैं दोस्तों के सताये हुये, फ़िर रहें यंहा आज कुछ मेहरबां, आस्तीनों मे खंजर छुपाये हुये। हमसे मत किजीये दुश्मनों का …………………
अरे अरे राजीव जी... मुझे तो तरस आता है उन हसीनॊ पर जो आप पर प्यार से वार करती है दिनेश जी की बात बहुत सही है, पता नही आप ने वार से बचने के लिये अपने ब्लांग को ऎसा सुरक्षित बना लिया, जब भी आते है फ़ंस जाते है यानि हमारा लेपटाप हेंग हो जाता है
कोई सामने से वार करता है कोई छुप के प्रहार करता है तोड़ के भरोसा मेरा हर कोई खंजर दिल के आर-पार करता है दिल के आर-पार अगर खंजर हो जाता है तो खंजर का क्या कसूर! दिल थोड़ा और मजबूत करें.
13 comments:
बात कुछ कम जमी।
राजीव जी,
आप अपने ब्लाग को विजेट फ्री क्यों नहीं करते? जब भी खोलते हैं पीसी को हेंग करता है। टिप्पणी करना तक कठिन हो जाता है। आप का ब्लाग खोलने के पहले सौ किलो वेट उठाने जैसी तैयारी करनी पड़ती है।
नफरतों की दीवार को ढके मुहब्बत की ढाल से
क्या मजाल जो कोई खंजर आर पार हो ...!!
है अगर दुश्मन ज़माना तो गम नहीं, गम नहीं,
कोई आए, कहीं से,
हम किसी से कम नहीं, कम नहीं...
आज हम जैसे जिगर वाले कहां,
ज़ख्म खाया है दिल पे तब हुए हैं जवां,
तीर बन जाए दोस्तों की नज़र,
या बने खंजर दुश्मनों की ज़ुबां
आज तो दुनिया नहीं या हम नहीं,
कोई आए, कहीं से,
हम किसी से कम नहीं, कम नहीं...
जय हिंद...
जब चाहे खंजर चला देते है लोग
आदमी का लहु पी जाते है लोग्।
हमसे मत किजिये दुश्मनों का गिला,
हम तो हैं दोस्तों के सताये हुये,
फ़िर रहें यंहा आज कुछ मेहरबां,
आस्तीनों मे खंजर छुपाये हुये।
हमसे मत किजीये दुश्मनों का …………………
sahi baat hai... kya pata kaun khanjar chala de.. lekin theek hai likhte rahen.
अरे अरे राजीव जी... मुझे तो तरस आता है उन हसीनॊ पर जो आप पर प्यार से वार करती है दिनेश जी की बात बहुत सही है, पता नही आप ने वार से बचने के लिये अपने ब्लांग को ऎसा सुरक्षित बना लिया, जब भी आते है फ़ंस जाते है यानि हमारा लेपटाप हेंग हो जाता है
बिल्कुल सही कहा!
कोई सामने से वार करता है
कोई छुप के प्रहार करता है
तोड़ के भरोसा मेरा हर कोई
खंजर दिल के आर-पार करता है
दिल के आर-पार अगर खंजर हो जाता है तो खंजर का क्या कसूर! दिल थोड़ा और मजबूत करें.
Ae dil dil ki dunia me aisa haal bhi hota hai.. don't worry sir ji
बहुत मार्मिक !!!! :)
यही हर जगह हाल है सावधान रहने की ज़रूरत है..आदमी बदल रहें है...बढ़िया अभिव्यक्ति..धन्यवाद.
किसका है पता नही पर एक शेर याद आ गया
" खंजर से करो बात न तलवार से पूछो ,
मै कैसे हुआ कत्ल मेरे यार से पूछो .."
अरे वाह वाह तो करो भाई.....।
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