***राजीव तनेजा***
दोस्तों!…इस समय हिंदी ब्लॉगजगत में इस बात को लेकर धमासान मचा हुआ है कि ब्लोग्वुड का बादशाह कौन?…हिंदी का सच्चा सेवक कौन? …इस सब का सिलसिला शुरू हुआ ज्ञानदत्त पाण्डेय जी की एक विवादास्पद पोस्ट के आने के बाद|जिसको लेकर यहाँ ऐसा हंगामा मचा…ऐसा हंगामा मचा कि मानों सावन में लग गई हो आग जैसे …. आरोपों-प्रत्यारोपों के ढेर लग गए…अम्बार लग गए…कोई किसी के पक्ष में तो किसी के विपक्ष में खुल कर सामने आ गया| हद तो तब हो गई जब कोई-कोई तो दबे पाँव दोनों तरफ ही अपनी निष्ठा जताने लगा | …इस सब को देखकर मेरे खोते हुए ज़मीर ने चेतावनी देते हुए मुझे ललकारा कि… “ओए राजीव!…तू कहीं खोत्ता(गधा) तो नहीं है?”….
ये सुन मैं चौंका कि… “क्क्क्या मतबल्ल है आपका?”……
अंतर्मन से एक गुंजायमान से होती एक मधुर आवाज़ आई …“बेटे!…राजीव अगर इस समय तू इस सुनहरी अवसर को चूक गया तो समझ ले कि कोई तेरे माथे पे थूक गया"…
मैं गुस्से में चिल्लाया कि… “ये क्या बेहूदी सी बकवास कर रहे हो?”…
अंतर्मन से फिर वही शांत …सौम्य आवाज़ कर्कश स्वर में मुझे प्रवचन सी देती हुई प्रतीत हुई कि…. “अब अगर तू चूक गया ना बेट्टे…तो समझ ले कि तेरा टाईम खत्म…इस पूरे हिंदी ब्लॉगजगत में कोई तुझे सूखी …बिना रस की घास भी डालने वाला नहीं मिलेगा"…
मैं परेशान…मुंह से बस यही निकला… “ओह!…
“खा मेरी सौंह(कसम)… कि तू वी कोई ना कोई तगड़ा जेहा फूत्ती-फंगा(पंगा) ज़रूर लएँगा”…
मैंने कहा कि “ऐ सब्ब मेरे कल्ले दे वस्स दा नहीं ऐ"…(ये सब मेरे अकेले के बस का नहीं है)
“ते फेर अपनी जनानी नूं वी नाल रला लै”…(तो फिर अपनी बीवी को भी इस खेल में साथ मिला लो)
मैंने कहा कि .. “की गल्ल करदे हो तुस्सी जी?…मरदां दा खेल विच्च जनानियां दा की कम्म?”…(क्या बात करते हैं आप?…मर्दों के इस खेल में औरतों का क्या काम?)
“कम्म ते तेरा वी इस ब्लोगजगत विच्च कोई नय्यी ..लेकन फेर वी तू इत्थे अपनी हाजरी लगाना हैं के नहीं?”…(काम तो तेरा भी इस ब्लॉगजगत में कोई नहीं है लेकिन फिर भी तू यहाँ अपनी हाजरी बजाता है कि नहीं?)
“जी!…लगाना ते हैंगा लेकिन….
“लेकिन-वेकिन नूं मार गोल्ली ते फटाफट कोई फूत्ती-फंगा पा"…(लेकिन-वेकिन को मार गोली और और फटाफट कोई ना कोई पंगा डाल)
“ऐ सब्ब मेरे वस्स दा कोई नय्यी हैगा जी"…(ये सब मेरे बस का नहीं है जी)
“नय्यी है वस्स दा ते फेर खाली बै के टल्ली वजा"…(नहीं है बस का तो फिर खाली बैठ के घंटी बजा)
“की मतबल्ल?”…
“अरे!…अगर नहीं है बस का तो फिर वेल्ले बैठ के मैग्गी नूडल वालों को फोन कर कर के अपने सड़े से चुटकुले सुनाता रहिओ”…
“नहीं!….
खुद…अपने से ही नज़रें नहीं मिला पा रहा था मैं…..अनजाने में हुई इस भूल से मेरे आत्म-सम्मान को जो ठेस पहुंची थी…उससे मैं निजात पा…जल्द से जल्द खुद को पूरे ब्लॉगजगत का सूरमा साबित करना चाहता था…अब यही मेरा लक्ष्य…यही मेरा मकसद…यही मेरी मंजिल बन चुकी थी
अपने खोए हुए आत्म-सम्मान को फिर से पाने की लालसा इतनी अधिक मेरे मन में घर कर चुकी थी कि दिमाग ना होने के बावजूद मैंने दिन-रात एक कर के सोचना शुरू किया और घंटो की थकान भरी कड़ी मेहनत के बाद इस नतीजे पे पहुंचा कि चिड़िया के खेद चुग जाने के बाद पछताने से बेहतर यही रहेगा कि साँप के निकल जाने से पहले ही मैं अपनी लाठी भांज लूँ? ….क्यों?…सही सोचा ना मैंने?…
बस!…फिर क्या था जनाब?…एक से बढ़कर एक धाँसू आईडियाज़ (टपोरी टाईप के) रुपी कीड़े मेरे दिमागी भंवर में फंस कर कुलबुलाते हुए बुरी तरह से बिलबिलाने लगे…सच मानिए माईबाप!…मुझ से उन बेचारों की बिलबिलाहट देखी नहीं गई और विचलित हो मैं इस विवादास्पद मुद्दे पर ये पोस्ट लिखने का जुर्म कर बैठा ….
अब यार!…अब जब सब मौज ले रहे हैं तो मैं भला कौन होता हूँ खुद को रोकने वाला? …क्यों है कि नहीं? ….
लीजिए…आप भी मौज लीजिए….इसमें भला कौन सा टैक्स लग रहा है?
33 comments:
इस पूरे प्रकरण की गम्भीरता की हवा फुस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स करने के लिये बधाई । वैसे भी ब्लॉगजगत के बाहर के लोग इस तरह के गम्भीर ( ? ) विवादों की वज़ह से ही इसे गम्भीरता से नहीं लेते । ( मैं कुछ गम्भीर बात कह गया क्या ?)
बाकी तो सब ठीक है, ये अनूप जी और समीर जी के कदों में इतना फर्क क्यों दिखाया गया है...
और आखिरी चित्र में अनूप जी के साथ ये मोहतरमा कौन हैं...
जय हिंद...
जिन्होंने इस पूरे विवाद को हवा दी... ज्ञानदत्त पाण्डेय जी
मैं तो शुरू से ही मामले को हास्य की तरह ले रहा हूँ.. पता नहीं किसके मन में क्या है? खुदा जानता है..
रेफरी तो दिखा नहीं. मैच का फैसला हुआ कि नहीं?
इस उठा पटक में देख रहा हूँ कि आखिर तक आते आते अनूप जी की बॉडी बन गई एकदमे खली टाईप. :)
भाई समीर लाल ..ब्लागिंग के क्षेत्र में खली से कम नहीं हैं हैं ....बाकि तो ????..
बहुत खुराफ़ाती मौज ली है! जय हो!
दोनों ही सिकन्दरों को प्रणाम!
खिलखिलाता हुआ हास्य रचने के लिए
आपका आभार!
हा ....हा.....हा....हा....
आखिर कूद ही पड़े अखाड़े में ! शुभकामनायें !
वाह भाईजी ! सही मौज तो आज आपने ली है मजा आ गया :)
एक को पैण्ट, दूसरे को कच्छा!
ये मामला नहीं है अच्छा!!
:-)
आपका तो जवाब ही नहीं , विवाद को हास्य बनाना कोई आपसे सिखे ।
मुकद्दर का सिकंदर baad men dekhenge
pahle ye to batao
ye समीरलाल या अनूप शुक्ल hain kaun ?
हुण मौजां ही मौजां
बस मौज लिजिए।
दिल खुशदीप कर दि्या
कमाल के आदमी हो भाई
हंस रहा हूं...
यह भी अपने तरह की रचनाशीलता है। जो बात कई पोस्ट नहीं कह पाई। आपकी एक पोस्ट ने कह दिया कि कौन कहां खड़ा है।
अंत में आपने जिस भद्र महिला को दिखाया है वह भी खूब है। यही वह जिसने लगाई-बुझाई की है और अब छिपकर बैठ गई है। मामले को संभालने के लिए अपनी सहेलियो को भेज रही है। बाकी आपको बधाई।
और हां मौज वालों को तो समझ में आ ही गया होगा कि मौज इसको भी कहते हैं।
ये हुई न बात...............
वाह भाई वाह !
बल्ले बल्ले.........
ये हुई न बात...............
वाह भाई वाह !
बल्ले बल्ले.........
ऐसा मत करो। यह सब बंद करो।
कोहिनूर और कोयला फर्क जानता है जौहरी
किसी के कहने से थोड़ी कोयले को हीरा मानता है जौहरी।
सर्वश्रेष्ठ की प्रतियोगिता मे कहाँ नाम दर्ज हो रहा है ?
वैसे झन्नाटेदार मस्त पोस्ट है।
aisaa hee ilaaz shuru se hotaa to hriday-rogee kam bane hote ab tak !
...चारों तरफ़ गर्मा-गर्मी ही नजर आ रही है ...ब्लागजगत में बवंडर/तूफ़ान सा आया हुआ है !!!
ज्ञानदतक नपुंसकों को क्या मालूम कि उनक ेचहेते पिछ्ले कितने दिनों से उड़नतश्तरी पर आक्रमण जारी रखे हुए थे?बात यही थी कि उड़नतश्तरई से हिन्दी सेवा की अपील होती थी और मानसिक हलचल पर अंग्रेजी के बिगडाऊ शब्द लिखे जाते थे जो गंगा किनारे वाले छोरे को अपने हीरे लगते थे।इसके अलावा किसी महिला ब्लोगर द्वारा उडनतश्तरी को 'सो क्यूट' कहा जाना इतना नागवार गुजरा कि खुन्नस उतर ही नहीं रही।कोई भी मर्द का बच्चा जाकर पिछले तीन महीने की पोस्ट और इधर उधर की गई कमेट देख ले।फिर तरप्फदारी करे गंगा किनारे जा करगर नहीं हिम्मत है तीन महीने की खबर लेने की तो जा कर जननी की गोद में आराम करे।
Saarthak prastuti...
Blog par bhi raajniti ke tarah chhitakashi ka duar shuru hua dikhta hai...... sharmnaak hai yah khel!
Aapko chitanprad lekh aur chitran ke liye dhanyavaad....
very bad very bad...छोटू पहलवान को लंबू खली से लडाते हो और सेक्स चेंज कर देते हो. उसकी वाईफ़ क्या सम्झेगी its very bad very bad
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा
"अनूप जी और ज्ञानदत्त जी दबे हुए संस्कार ऐसे ही बाहर निकल आते हैं" वाली पोस्ट के बाद ब्लॉगवाणी तिलमिलाई!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जिसने धर्म के नाम पर आने वाली संवेदनशील ब्लोगों को नहीं निकाला उसने इस अनोखे ब्लोग को घबड़ाकर ब्लोगवाणि से निकाल दिया!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
आज की पोस्ट देखनी है तो आगे पढ़ें
ये ज्ञानदत्त तो बहुत ही गंदा आदमी निकला। उसके साथ अनूप शुक्ला भी। वैसे हजरत आपने अनूप शुक्ला साहब को चड्डी पहनाकर ठीक ही किया है। चड्डी भी उतार तो मौज हो जाए।
लोगों को पता तो चलेगा कि लोगों की बेइज्जती करने की सजा क्या होती है।
मैं कहता हूं लाखों लोगों के दिल की बात को सुनते हुए चड्डी उतार दो। उतारो चड्डी।
समीर जी काफ़ी लम्बे ओर गोरे दिखे.. ओर अंत तो दिखाया ही नही
प्रमाणित किया जाता है कि राजीव तनेजा जी को डॉक्टर झटका की उपाधि से सम्मानित किया जाता है क्योंकि उन्होंने एक झटके में विवाद को फोड़े की तरह फोड़कर फुस्स कर दिया जिससे सारा मवाद बाहर बह गया। आखिर की ज्ञान की बातें सीखने के लिए दर्द होते हुए भी हंसना जरूरी है और एक बार जब हंसने लग जाओ तो दूसरा भी हंसने लग जाता है। जैसे जब एक बार विवाद हो जाए तो सबके थोबड़े सूजने लगते हैं उसी प्रकार जब कोई हंसना शुरू करे तो सब पर हंसी का दौरा पड़ जाता है।
पर तनेजा जी आपको चड्डी पर बेल्ट बांधनी चाहिए थी और पैंट पर चड्डी पहनानी चाहिए थी। जिससे समीर लाल वाकई के टिप्पणीमान लगते और शुक्ल बाबू अनूप रूप के स्वामी।
वैसे एक सीन रेल का भी जोड़ो भाई। जितने लोग विवाद में शामिल हुए उन्हें विवादित स्थल का दौरा करवाने के लिए रेलगाड़ी में बिठा कर रवाना करना भी जरूरी है।
मैं पूरी तरह गंभीर हूं। इसे गंभीरता से लिया जाए।
vivad ko maje me badal diya aapne..jawab nahi rajiv ji..ham to aapke prsansak pahale se hi hai..
aaj bhi badhiya prstuti..badhai
ओह तो ये मामला था , हम सब समझ रहे थे कोई ब्लोग्गिंग का लफ़डा है , आपने जाकर क्लीयर किया तब माजरा समझ में आया है । हा हा हा ...............राजीव भाई ये मशीन कहां से लेकर आए हो आप ...सब को इसमें डाल कर जूस निकाल देते हो सबका ।
अजय भाई सच ही कहें हैं पर पाण्डे तो काफ़ी लिखेपढ़े है अफ़सर भी है अगर इस बात को लेकर हलचल थी तो आपसे पूछ लेते मामला तो एकदम साफ़ है
समीर ही ......बिलकुल सटीक जवाब दिये आप
हा हा हा
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