हद हो गई यार ये तो नासमझी की...पगला गए हैं सब के सब...दिमाग सैंटर में नहीं है किसी का... . बताओ!...जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी गुज़ार दी दूसरों को टोपी पहनाने में...उसे टोपी पहनने की नसीहत दे रहे हैं?.... टोपी!...वो भी किसकी?....अण्णा की...
क्यों भय्यी?....और कोई भलामानस नहीं मिला क्या इस भरी-पूरी दुनिया में या मेरे साथ ही अपनी सारी दुश्मनी निकालने की सोची है आपने?...हुंह!...बड़े आए कहने वाले कि....पहन के टोपी हो जाओ तुम भी अण्णा"....
अरे!....भय्यी...क्यों हो जाओ अण्णा?...काहे को हो जाओ अण्णा?...और कोई काम नहीं है क्या मुझे?...
मैं तो भय्यी...जैसा हूँ...जिस हाल में हूँ...उसी में खुश हूँ..परम संतुष्ट हूँ...मुझे नहीं बनना है अण्णा-फण्णा... आपको बनना है तो बेशक…चूस के गन्ना आप भी बन जाओ अण्णा....
ये भी भला क्या बात हुई कि.... "मैं भी अण्णा....तू भी अण्णा...अब तो सारा देश है अण्णा"...
अरे!...ऐसे-कैसे सारा देश है अण्णा?....बोलो तो गिन के कितने दिखाऊँ अब भी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में रिश्वत लेते और देते हुए लोग? ये तो कसम से टू मच हो गया कि...“हो जाओ रिश्वत से दूर...भ्रष्टाचार से दूर”...
अरे!...अगर सभी कुतिया काशी चली गई तो यहाँ बैठ के हरे-हरे नोटों की माला कौन जपेगा?...
दिमाग की नसें कमजोर हो गई हैं अण्णा की...कोतवाल से कह रहे हैं कि चोरी ना कर....अफसर से कह रहे हैं कि... हेराफेरी ना कर.. कर्मचारियों से कह रहे हैं कि... 'कामचोरी ना कर'... व्यापारी से कह रहे हैं कि मक्कारी ना कर....
अरे!...काहे को ना करें कामचोरी?...काहे को ना करें हेराफेरी?... खून का स्वाद लग चुका है हमारे मुंह को... आदत पड़ गई है हमें इस सबकी...हमारी रगों में लहू बन के दौड़ता है ये सब...हमारी साँसों में बसती है बेईमानी और मक्कारी...
अखबारों....टी॰वी वगैरा में इधर-उधर बाँच के चार कंठ माला क्या फेर ली...बन बैठे पूरे हिंदोस्तान के खुदा?... भय्यी वाह...बहुत बढ़िया...
आप बात करते हैं कामचोरी की...उस पर हमारी दिन पर दिन बढ़ती सीनाजोरी की....तो क्या जानते हैं आप कामचोरी के बारे में?...कितनी नालेज है आपको दफ्तरी काम-काज और उसके तौर-तरीकों की?....फॉर यूअर काईंड इन्फार्मेशन....एक प्रोसीजर होता है हर काम को करने का..हम उस पे चलने की कोशिश कर आपकी मुश्किलें बढ़ा दें तो आपको लगता है कि…ये अफसर तो जानबूझ के तंग कर रहा है...बिना लिए नहीं मानेगा और अगर सीधे एवं सपाट तरीके से आपके काम को आसान करते हुए खुद ही मुंह फाड़ के अपना हक समझ मांग लें तो आपको हमारी सीनाजोरी से तकलीफ होने लगती है...
जब आपको भी साफ-साफ पता है कि बिना लिए अफसर नहीं मानेगा और हमें भी एकदम क्लीयर कट मालुम है कि बिना लिए हम कोई काम करेंगे नहीं तो फिर इसमें दिक्कत क्या है?...ये तो हमारी आपस की म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग है...इसी के चलते अगर हम आपस में कुछ ले-दे लेते हैं तो इसमें अण्णा के पेट में क्यों अपच हो…तकलीफ होने लग जाती है?...
सैलिब्रिटियों को बुला...बेफालतू की हवा बनाने से...मंच पे चढ़ ऊल-जलूल बकियाने से या चंद सुने-सुनाए जुमले और नारे गढ़...इधर-उधर कैन्डल मार्च कर लेने से रातों रात इंकलाब नहीं आ जाता...बदलाव नहीं आ जाता.. लौंडे-लपाड़ों से भरी इस बेतरतीब भीड़ को सरकार के खिलाफ आंदोलित कर आखिर क्या साबित करना चाहते हैं अण्णा कि वो संसद से भी बड़े हो गए?...सांसदों से भी सर्वोच्च हो गए?....
चलो!...मानी आपकी बात कि रिश्वत ना लेने और ना देने की बात कर देश हित की सोच रहे हैं अण्णा...तो क्या हम इस देश के नागरिक नहीं?... हमारे भले के बारे में सोचना क्या अण्णा की ज़िम्मेदारी नहीं?...अच्छा!…चलो बताओ कि क्या हमारे रिश्वत ना लेने से ये देश सुधार जाएगा?... क्या जनलोकपाल बिल के कानूनी रूप अख्तियार कर लेने से पूर्ण कायाकल्प हो जाएगा?...
अरे!...खुद तुम्हारे…हाँ…तुम्हारे अण्णा जी भी मान रहे हैं कि इससे पूर्ण काया-पलट संभव नहीं है... 30 से 35 % तक भ्रष्टाचार तो फिर भी…कैसे ना कैसे करके रह ही जाएगा… अगर ऐसी ही बात है तो फिर भय्यी…हम गरीबों के हक का निवाला छीन… क्यों हमारे भरे पेट पे लात मारते हो?… जा के पहला जूता उन मोटी मुर्गियों के सर पे मारो ना जिनका दो नम्बर का लाखों लाख करोड़ रुपया बाहरले मुल्कों के विभिन्न बैंकों में पड़ा-पड़ा सड़ रहा है…उन्हीं पर काबू पा लिया तो इतना पैसा आ जाएगा हमारे देश में कि हम जैसी चिल्लर और रेजगारी को गिनने-संभालने की ज़रूरत ही नहीं पड़ेगी…
क्यों?…क्या हुआ?…बस!…निकल गई हवा?….फुस्स हो गया सारा जोश?….
नहीं डाल सकते ना हाथ उन मोटे चोरों के गिरेबाँ पर?… शर्म आ रही है या फिर डर लग रहा है उनके ताप और प्रताप से?…कहीं ऐसा तो नहीं कि मोटी मुर्गी हमेशा भींच के अण्डा देती है…इसलिए कतरा रहे हो?चलो!…छोडो…अण्णा जी…आपके बस का नहीं है इन बेलगाम घोड़ों को अपने बस में करना… इस जन्म में तो वो सब सुधरने वाले नहीं…चलो….आप भी क्या याद करेंगे….हम ही सुधर लेते हैं…
“क्यों?…ठीक रहेगा ना?”…
“ठीक है!…तो फिर आज से…अभी से …इसी पल से..रिश्वत लेना और देना…दोनों बन्द…आप भी खुश…हम भी खुश"….
“क्या हुआ?…विश्वास नहीं हो रहा है आपको मेरी बात का?”…
“चलिए!…आपकी तसल्ली के लिए बाकियों की तरह मैं भी ये नारा बुलंद कर देता हूँ कि….
"मैं भी अण्णा....तू भी अण्णा...अब तो सारा देश है अण्णा"...
“अब तो ठीक है ना अण्णा?…सच कहूँ तो मुरीद हो गया हूँ मैं दृढ इच्छाशक्ति का…परिपक्व विचारधारा का" …
बातों ही बातों में ये आलेख भी काफी बड़ा होता जा रहा है अण्णा…इसलिए इसे यहीं पर पूर्ण विराम देते हुए एक आख़िरी बात कह मैं आप सबसे विदा लेता हूँ…
“अण्णा!…चलते-चलते एक आखिरी विनती है आपसे कि अब जब आपकी दुआ से ऊपर की कमाई तो हम जैसों की बन्द ही हो जाएगी हमेशा…हमेशा के लिए तो आप कृपा करके हर महीने टाईम से मेरी कमेटी... कार और हाउस लोन की किश्त जमा करवा दिया करें अपने पल्ले से...और हाँ!...बेटे का एडमिशन करवाना है ना अगले महीने इंजीनियरिंग कालेज में?...दो लाख उसके लिए भी पहले से तैयार रख लेना ताकि ऐन वक्त पे आपके इस भक्त को…आपके इस मुरीद को कोई दिक्कत या परेशानी ना हो जाए...
"क्यों?...क्या हुआ?....साँप सूंघ गया या नानी मर गई?...."अरे!...अभी से ये आपका हाल हुए जा रहा है तो आगे क्या होगा?...अभी तो मैंने आपको चंद मोटे-मोटे खर्चे ही बताए हैं ...बाकी की पूरी लंबी फेहरिस्त गिनाना तो अभी बाकी है जैसे…
- बेटी के लिए बढ़िया वाले एंडरायड मोबाईल का लेटेस्ट वर्जन..आई पैड जैसे सैंकडों की तादाद में रोजाना आते-जाते गिज्मोज़….
- डिजायनर कपड़ों से लबालब भरी हुई कई-कई वार्डरोबज तथा ब्रैंडिड फुटवियर की ढेर सारी कलेक्शन….
- श्रीमती जी के लिए चम्पालाल ज्वैलर के यहाँ से सुनहरी आभा लिए रियल डायमंड ज्वैलरी के आठ-दस बड़े-बड़े सैट...
- मोड्यूलर किचन…
- जकूज़ी एवं सौना बात से सुसज्जित लेटेस्ट टाईप का वाशरूम…
- चुन्नू और मुन्नू के लिए आई पैड 4 …लेटेस्ट कंप्यूटर…44 इंच का L.E.D टी.वी …55000 वाट का होम थिएटर सिस्टम वगैरा…वगैरा…
चौंकिये मत… बिड़ला…टाटा या अम्बानी नहीं बनना है मुझे… सीधा…सरल….सादा एवं सच्चा जीवन है मेरा… बच्चों की खुशी में ही मेरी खुशी है…अपने लिए मुझे कुछ नहीं चाहिए..बस…इस सारे सामान को रखने के लिए 500 गज की एक चार मंजिला कोठी हर महानगर के पाश इलाके में और इन सब छोटी-छोटी इच्छाओं के अलावा अगर मारीशस में भी….
“ओह!….ओह माय गाड”….
“य्य….ये क्क्क…क्क्या हुआ?….क्क्या हुआ मेरे अण्णा को?”…
“अभी-अभी तो एकदम ठीकठाक ….शांतचित्त स्वभाव से मेरी बात सुन रहे थे कि अचानक गश खा के ऐसे गिरे धड़ाम कि…बस!….पूछो मत"…
“ये तो सच्ची…कसम से…टू मच हो गया"…
***राजीव तनेजा***
+919810821361
+919213766753
19 comments:
अन्नामय करती पोस्ट...बढ़िया व्यंग्य
rajiv ji , aap dwara likha gaya yeh vayng bahut hi samvedansheel laga. aap ne bahut hi kalatmk aur diplomatic roop se daftari babu logo ki rishvat lene ki bebasi bhi byaan kar di. aap ne bebasi byan karte charitr dwara yeh bhi jata diya ki ghag rajnitigyo ko bhrashtachaar ka paath parrana adhik prasangik hoga . kul mila kar vayang behad dilchasp ban parra hain . aapko is prayaas ke liye meri der sari shubhkamana.
sudradh bhashasaili ke saath2
samsamayik vishya par likha vyagya
behad sarahneeya, aapka hardik
aabhar.
सही बात है, यह भेडचाल ही तो है कि हम पश्चिम से होड़ भ्रष्टाचार के मामले में भी करना चाह रहे हैं. जबकि दूसरी तरफ सैकड़ों देश हैं जहां भ्रष्टाचार हमसे भी ज़्यादा है पर हम हैं कि मानने को तैयार ही नहीं :)
हा हा हा………………शानदार व्यंग्य्……………सारी बखिया उधेड दी।
हम भी काजल कुमार जी की बात से सौ प्रतिशत सहमत.:)
रामराम.
ये तो सच्ची… टू मच हो गया
:-)
वाकई, टू मच कर देते हो....:)
अन्ना ने शादी की होती तो इनकी प्राण प्यारी और चुन्नू-मुन्नू ही इ्न्हें सब समझा देते....
जय हिंद...
rajivji, ek blog dekh rahi thi, usme kuch aisa padha jisne man vichlit kar diya.
yadi samay ho to dekhiyega jarur
http://jan-sunwai.blogspot.com/2011/08/blog-post_31.html
कितना सीधा…सरल….सादा एवं सच्चा जीवन है आपका...कई बार लगता है कि आपको जेड सिक्यूरिटी दिलवानी ही पड़ेगी.
दिस इज टू मच यार !!!... अन्ना को तो होश में लाओ भाई... हम गरीबों को नारे लगा कर भड़ास भी तो निकालनी है
aap ki lekhni to sashakt hai hi aap vyakti bhi snehil hain, aapki snehil tippani dekhi, dhanyavaad
स्वागत योग्य विचार, हम आज नहीं तो कल इंसान बन ही जायेंगे
http://jan-sunwai.blogspot.com/
Achchi khabar li hai apne... ise padh to kal hi liya tha par comment nahi kar paya tha.
aabhar
मै भी अन्ना तू भी अन्ना, सारा देश अन्ना? तो फिर चोर कौन है? शानदार व्यंग। शुभकामनायें।
व्यंग्य तो बढ़िया लिखा है आपने राजीव तनेजा जी...
सुन्दर व्यंग मैं भी अन्ना तू भी अन्ना :)
Anna ji ke gae kajrival ke bare me kya vichar h mahoday
Anna ji ke gae kajrival ke bare me kya vichar h mahoday
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