बरसात पैसों की

"अरे तनेजा जी!...ये क्या?...मैंने सुना है कि आपकी पत्नि ने आपके ऊपर वित्तीय हिंसा का केस डाल दिया है।"

"हाँ यार!...सही सुना है तुमने।" मैँने लम्बी साँस लेते हुए कहा।

"आखिर ऐसा हुआ क्या कि नौबत कोर्ट-कचहरी तक की आ गई?"

"यार!...होना क्या था?..एक दिन बीवी प्यार ही प्यार में मुझसे कहने लगी कि...

"तुम्हें तो ऐसी होनहार....सुन्दर....सुघड़ और घरेलू पत्नि मिली है कि तुम्हें खुश हो कर मुझ पर पैसों की बरसात करनी चाहिए।"

"तो? ठीक ही तो कहा उसने।"

'"मैंने कब कहा कि उसने कुछ ग़लत कहा?"

"फिर?"

"फिर क्या?...एक दिन जैसे ही मैंने देखा कि बीवी नीचे खड़ी सब्ज़ी खरीद रही है। मैंने आव देखा ना ताव और सीधा निशाना साध सिक्कों से भरी पोटली उसके सर पे दे मारी।"

"क्क...क्या?"

***राजीव तनेजा***

12 comments:

रेखा श्रीवास्तव said...

ऐसे बरसात की जाती है कहीं ! जैसे नयी दुल्हन की गाड़ी पर सिक्के बरसाये जाते वैसे बरसाना चाहिए ।

राजीव तनेजा said...

इसे महज़ हास्य के तौर पर लें

डॉ. जेन्नी शबनम said...

कोरोनाकाल में पढ़कर हँसी तो आई. बहुत मजेदार.

राजीव तनेजा said...

शुक्रिया

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar said...

ये पैसे की बरसात थी या ओला गिरा दिया था.

राजीव तनेजा said...

शुक्रिया

अजय कुमार झा said...

हा हा हा हा हा आप संजू भाभी के बहाने सारी पोस्टें हथिया लेते हैं ।

वापसी का स्वागत है । अब लगे रहिए ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बढ़िया हास्य।

राजीव तनेजा said...

शुक्रिया

राजीव तनेजा said...

शुक्रिया

संगीता पुरी said...

हँसते रहे, हंसाते रहें !

दिगम्बर नासवा said...

हा हा ... तो ये तो आपने अपनी इंटेशन बता दी ...
आगे तो अब उसी को करना है ....

 
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