आजकल के इस आपाधापी भरे युग में कामयाब होने की ख़ातिर सब आँखें मूंद बढ़े चले जा रहे हैं। ऐसे समय में ना किसी को नैतिक मूल्यों की परवाह है ना ही इसकी कोई ज़रूरत समझी जा रही है। भविष्य की चिंता छोड़ महज़ आज को अच्छे से जीने की बात हो रही है। भले ही इसके लिए साम, दाम, दण्ड, भेद में से कुछ भी..किसी भी हद तक अपनाना पड़े या इसके लिए बेशक़ हमें, हमारे अपनों के प्रति ही भीतरघात करना पड़े या फ़िर फ़रेब का सहारा लेना पड़े। असली मकसद बस यही है कि कैसे भी कर सफ़लता हाथ लगनी चाहिए।
दोस्तों, आज मैं ऐसे ही फ़रेबी विषय पर लिखे गए एक उपन्यास 'फ़रेब का सफ़र' की बात करने जा रहा हूँ जिसे लिखा है मिर्ची एफ.एम में बतौर सीनियर कॉपी राइटर काम कर रहे अभिलेख द्विवेदी ने।
इस उपन्यास के मूल में एक तरफ़ कहानी गेमिंग और गैजेट फ्रीक, टेक एक्सपर्ट रोहित की जो अपने दोस्त रॉबी के ज़रिए एक डेटिंग एप डेवेलप करवाना चाहता है। मगर एप के अन एथिकल सैक्शन की वजह से वो उससे इनकार कर देता है। ऐसे में मोटी तनख्वाह पर एप डेवेलप करने का काम मोहित को मिलता है। उस मोहित को जिसकी वजह से उनके कॉमन दोस्त सनी का ब्रेकअप सिमरन से हुआ है।
सनी, जिसके किसी न किसी वजह से पहले ही दो ब्रेकअप हो चुके हैं। ऐसे में रोहित अपनी डेटिंग एप आज़माने के लिए सनी को कहता है। जिस पर सनी को एक-एक कर के रिया, तान्या और सोनल नाम के तीन मैच मिलते हैं। एक साथ तीनों से डेट करने वाला सनी अंततः फ़रेब के ऐसे जाल में फँसता है कि उसके हाथ कुछ नहीं आता है। फ़रेब के इस रोचक सफ़र में अब देखना ये है कि कौन किससे और किस हद तक फ़रेब कर रहा है या फ़िर इस हमाम में सभी नंगे हैं।
शुरुआत से अंत तक रोचकता बनाए रखने वाले इस तेज़ रफ़्तार उपन्यास में कहीं डेटिंग एप के ज़रिए मनचाहा साथी खोजने की कवायद होती नज़र आती है तो कहीं आपसी सहमति से थ्रीसम सैक्स वजूद में आता दिखाई देता है। कहीं लिवइन में आने का आग्रह होता दिखाई देता है तो कहीं लिवइन से छुटकारा पाने को मन मचलता नज़र आता है।
कहीं पहली ही चैट में मोबाइल नंबर एक्सचेंज होते नज़र आते हैं तो कहीं को कैरियर की ख़ातिर किसी को सीढ़ी बनाता दिखाई देता है। कहीं कैरियर के मद्देनज़र दोस्ती की बलि चढ़ती दिखाई देती है। कहीं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए लोगों के मन पढ़ने की बात होती दिखाई देती है तो कहीं कोई सबको अपनी उँगलियों पर कठपुतली माफ़िक नचाता नज़र आता है।
एक आध जगह वर्तनी की त्रुटि के अतिरिक्त कुछ एक जगहों पर प्रूफ़रीडिंग की छोटी-छोटी कमियाँ दिखाई दीं। उदाहरण के तौर पर पेज नम्बर 75 में लिखा दिखाई दिया कि..
'जब तान्या ने फ्लाइट बोर्ड की तो साथ-ही-साथ उसने सनी को भी मैसेज कर दिया की उसने फ्लाइट बोर्ड कर ली है'
यहाँ 'मैसेज कर दिया की उसने फ्लाइट बोर्ड कर ली है' में 'की' जगह 'कि' आएगा।
पेज नंबर 77 में लिखा दिखाई दिया कि..
'लेकिन वो भी जनता था कि वह ऐसा कुछ नहीं करने वाला'
यहाँ 'जनता' की जगह 'जानता' आएगा।
पेज नंबर 96 में लिखा दिखाई दिया कि..
'रिया ने के स्माइल के साथ पेपर्स को लहराते हुए सनी को दिया'
यहाँ 'रिया ने के स्माइल के साथ पेपर्स को लहराते हुए सनी को दिया' की जगह 'रिया ने स्माइल के साथ पेपर्स को लहराते हुए उन्हें सनी को दिया' आएगा।
पेज नंबर 113 में लिखा दिखाई दिया कि..
'रियाज़ ने के बारे में सारे सवाल खड़े कर दिए'
यहाँ 'रियाज़ ने के बारे में' की जगह 'रियाज़ ने रिया के बारे में' आएगा।
इसी पेज पर आगे लिखा दिखाई दिया कि..
'अब इस नंबर से मैसेज आए तो मुझे यही लगा की वह वापस आ गई है'
यहाँ 'मुझे यही लगा की' में 'की' की जगह 'कि' आएगा।
पेज नंबर 115 में लिखा दिखाई दिया कि..
'उसने सनी के किसी जवाब का इंतज़ार किया'
यहाँ 'किसी जवाब का इंतज़ार किया' की जगह 'किसी जवाब का इंतज़ार नहीं किया' आएगा।
128 पृष्ठीय इस उम्दा पैसा वसूल उपन्यास के पेपरबैक संस्करण को छापा है सन्मति पब्लिशर्स एण्ड डिस्ट्रीब्यूटर्स ने और इसका मूल्य रखा गया है मात्र 135/- रुपये जो कि कंटैंट की दृष्टि से बिल्कुल जायज़ अलबत्ता कुछ कम ही है। कोई आश्चर्य नहीं कि जल्द ही इस उपन्यास पर आधारित कोई फ़िल्म या वेब सीरीज़ देखने को मिले। आने वाले उज्ज्वल भविष्य के लिए लेखक एवं प्रकाशक को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
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