"क्या से क्या हो गया?"
***राजीव तनेजा***
"मैने उसे क्या समझा?और...वो क्या निकली"
"दिल ऐसा किसी ने मेरा तोडा...बरबादी की तरफ ला के छोडा"
"शायद ही इस पूरे जहाँ में मुझे कोई इतना प्यारा था लेकिन...
"जिस से जितना प्यार करो...वो उतना ही दूर भागता है"...
"ये बुज़ुर्गों का कहा आज मुझे समझ आया लेकिन क्या फायदा जब..
"चिडिया चुग गयी खेत"
"जिस कम्भख्त मारी के नाम मैने अपनी तमाम ज़िन्दगी कर दी...
उसी ने मुझे'दगा'दिया"
"काश!....एक बार"...
"बस एक बार वो मुझ से कह के तो देखती"....
"मै खुद ही अपने आप सब कुछ'सैटल'कर देता"
"आखिर प्यार जो उस से करता था"
"लेकिन..उस'बेवफा'ने मेरे विश्वास को तोडा"....
"मैँ किसी को मुँह दिखाने के काबिल ना रहा"...
"अब तो बाहर निकलते हुए शर्म सी आती है कि...
'लोग क्या कहेगे?"...
"कैसी-कैसी बातें करेंगे?"
"कैसे उनके चेहरे पे उभरते सवालों का जवाब दूंगा?"
"जानता हूँ....जानता हूँ...उसे'औलाद'चाहिये थी"...
"तो क्या मुझे'बाप'बनने का चाव नहीं था?"
"ये सही है कि वो ज़माने के तानों से तंग आ चुकी थी लेकिन...
थोडा सब्र तो उसे रखना ही चाहिए था कम से कम"
"मैने भी तो उसी की खातिर'ओवर टाईम'करना शुरू कर दिया था"..
"देर सवेर हमारी इच्छा ज़रूर पूरी होती"...
"लेकिन उसे मुझ पर विशवास हो तब ना"...
"कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी उसे'माँ'बनने की...
"लेकिन...इसका ये मतलब तो नहीं कि कहीं भी मुँह मारो जा के "
"कुछ'कंट्रोल-शंट्रोल'भी तो होता है कि नहीं?"
"हमें तो अपनों ने लूटा...गैरों में कहाँ दम था?"...
"अपनी कश्ती तो वहाँ डूबी...जहाँ पानी कम था"
"अब तो दिल में आग लगी हुई है कि...
अगर वो मेरी नहीं हो सकती तो फिर वो किसी की भी ना हो पाएगी"...
"अगर मैँ उसके साथ नहीं जी सकता तो...
किसी और को भी उसके साथ जीने-मरने का कोई हक नहीं है"...
"आँखो देखे कैसे मक्खी निगलूँ मै?"....
"वो मेरे ही सामने किसी और के संग गुलछर्रे उडाती फिरे और मैँ खडा तमाशा देखता रहूँ चुपचाप?"
"कम से कम'जात-बिरादरी'का तो ख्याल किया होता"....
"ना'जात'देखी और ना ही'पात'देखी उस'हवस'की पुजारिन ने"
"अगर उसे चक्कर चलाना ही था तो कम से कम अपनी'बिरादरी'में ही मुँह मारती कम्भख्त"...
"उस बावली को सब के सब निठल्ले जो नज़र आ रहे थे अपनी बिरादरी में इसलिए...
भाग खडी हुई बाहर वाले के साथ"
"ना तो अपना'साईज़'देखा और ना ही उसके'साईज़'पे गौर किया"
"कहाँ ये और कहाँ वो?"...
"कहाँ'राजा भोज'और कहाँ'गंगू'तेली?"
"कोई मेल भी तो हो"
"जोडीदार तो ढंग का ढूंढना था"
"दिमाग से पैदल तो वो थी ही...
साथ-साथ आँखो से भी अन्धी हो उठी जो उसे. ..
'अच्छा-बुरा'...
'भला चंगा'....
'ऊंच-नीच'...कुछ भी ना दिखाई दिया"
"जी में तो आता है कि'खुदकुशी'कर लूँ...
'डूब के मर जाऊँ कहीं"लेकिन...
'इतना कमज़ोर नहीं मैँ"
"मैँ क्यों'खुदकुशी'करूँ भला?"
"अगर किसी को दुनिया से जाना होगा तो वही जाएगी....मैँ नहीं"
"ये भला क्या बात हुई कि...'करे कोई और भरे कोई'?"
"अब इतना बावला भी नहीं हूँ कि ये भी ना जान सकूँ कि ...
मेरे लिए भला क्या है और बुरा क्या है"
"एक'बेवफा'के लिये अपनी ज़िन्दगी ही तबाह कर लूँ?"
"कभी नहीं!...कभी नहीं!..."
"और हिम्मत तो देखो उस...'नामुराद'की....
अपनी'नाजायज़'औलाद को मेरे पास ही लिए चली आई कि...
मैँ ही इसे अपना'नाम'दे दूं"जैसे...
मैने पूरी दुनिया का ठेका ले लिया हो"
"मेरा पारा सातवें आसमान तक जा पहुँचा"....
"नाम दे दूँ?"....
"इस...'@#$%ं&'..को?"
"भले ही सारी ज़िन्दगी बिन'औलाद'के बैठा रहूँ लेकिन...
'नाम'देने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता"
"ये...'@#$% ं&'साला!....लावारिस की मौत मरेगा"...
"लावारिस की..."
"ये सब सुन...वो गुस्से से बिफरते हुए बोली"लावारिस की मौत ये नहीं....तुम मरोगे"
"कोई कन्धा देने वाला नहीं होगा"
'$%#@'में दम नहीं ....हम किसी से कम नहीं"
"मेरा गुस्सा काबू में नहीं रहा"...
"झट से उस'बेवफा'की गर्दन दबोच ली और लगा ज़ोर से दबाने कि ...
आज ही सारा का सारा टंटा खत्म कर देता हूँ"
"इस...'&ं%$#@'को ज़िन्दा नहीं छोडूगा"
"दिल रो रहा था"...
"आँखो से झर-झर आँसू बहे चले जा रहे थे"...
"आखिर करता भी क्या मैँ?"....
"क्या कोई और चारा छोडा था उसने मेरे लिए?"...
"या तो मैँ..उसकी'बेशर्मी'को चुप-चाप देखता रहता और वो...
'बेहय्या'मेरे ही सामने अपने'आशिक'के साथ...
"नहीं....ऐसा कैसे सह सकता था मै?"...
"उसने'सरेआम'मेरी'मर्दानगी'को ललकारा था"...
"सबक सिखाना'निहायत'ही ज़रूरी हो गया था "...
"ताकि आज के बाद कोई भी ऐसा करने जुर्रत ना करे"..
"ऐसा सोचने से भी पहले उसकी'रूह'तक काँप उठे"
"क्या से क्या हो गया?...'बेवफा'...तेरे प्यार में"...
"चाहा क्या?...क्या मिला?...तेरे प्यार में"
***राजीव तनेजा***
1 comments:
सच मझेदार
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