हद हो गई ब्लागर सम्मेलनों की ...कोई यहाँ से बुला रहा है तो कोई वहाँ से पुकार रहा है... इनकी ऐसी की तैसी ....
मैं अकेली जान ...किसका घर आबाद करूँ और किसका बंटाधार करूँ? . और फिर सारे यही कहते हैं की आ जाओ हमारी नगरी..हमारे द्वारे..
पण भैया ई तो पहले तनिक बता दिओ की टिकिट अपने पल्ले से खरीद के आवे के बिना टिकिट ही घोड़े के माफिक हिनहिनाते हुए सरपट दौड़े चले आएं?..
हाँ-हाँ!...सब जानत है हम...आप तो ईहे कहोगे न कि हमरे राज मे टिकिट-फिकेट का कौनु जरूरी नाहीं...
आप बस सरपट दौड़े चले आईए ...हम पूछता हूँ भाई कि... रेलवे हमरे बाप की है क्या?...और फिर हम कोनु को गाय-बलद या घोड़ा-खच्चर थोड़े ही हूँ कि बेलगाम हो के सरपट दौड़ा चला आऊँ?..
हम ज़रूर आऊँगा...बिल्कुल आऊँगा...बकायदा आऊँगा...गाजे-बाजे के साथ धूमधाम से आऊँगा...
लेकिन उसमे तो अभी थोड़ा टाइम लगेगा ना...वो क्या है कि सर्दी बहुत है भाई...अब एक ठौ कंबल या रज़ाई से अपना तो कुछ होने वाला नहीं...इसलिए हम अपने घर मे ही भले...
हां!...लेकिन मैं आऊँगा जरूर...इंतज़ार रहेगा ना?..
"मुझे तुम याद करना और मुझको याद आना तुम
मैं इक दिन लौट के आऊँगा ये मत भूल जाना तुम"...
हमारी गैरहाजिरी मे आप इन फोटुओं से ही काम चला लीजिये और मौज लीजिये
21 comments:
अरे भैया खूब धांधलेबाजी है
अभी तक तो बाबाओं का ही हल्ला हो रहा था
जो कि अभी थमा भी नहीं है
उधर से टेक्नीकली ये फोटो
चीख चीख कर कर रही हैं कि
एफ आई आर लिखाओ।
बहुत कुछ उल्टापुल्टा
हो रहा है
गंभीरता बनाम हास्य टिप्पणियां
अपमान बनाम पुरस्कार
विवाद बनाम संवाद
अब फोटो बनाम टोफो
भागो भागो दौडो दौड़ो
आये तो कोई वापिस जाने न पाये।
राजू भैया ये जुगाड मस्त है
सभी चैंपा गये!! :)
ये आईडिया बढिया है....बिना खर्चे के ही घर बैठे ब्लागर सम्मेलन हो गया:)
अरे वाह जी कमाल है, बहुत सुंदर मजेदार,थोडे कपडे लत्ते भी बदल देते तो ज्यादा मजा आता
wah !
kamaal
kamaal
kamaal
___________jai ho.................
गांडीवधारी राजीवार्जुन का हंसने-हंसाने के खोल में वापस आने पर स्वागत...
हमको बस ऐसा ईच राजीव तनेजा परा मांगता...
जय हिंद...
nice
फोटो तो बहुत अच्छे लग रहे हैं।
वाह राजीव भाई , सच में इतना बडा ब्लोग्गर सम्मेलन कर डाला आपने कि बांकी सम्मेलनों की ऐसी की तैसी हो गई ...हा हा हा मजा आ गया
बार बार एक्कै फोटुआ ...सुईया अटक गवा का हो
ऐसा ईच राजीव तनेजा परा मांगता... तो खुशदीप बबुआआआअ,किसी कान की पूरी बात फोन पर सुन कर पोस्ट लिखने मत बैठ जाना अगली बार
आपके अपने आपकी पोस्ट से बहुत नाराज हुये हैं ये जान लीजे।किसको किसको शान्त करायोगे
मैं क्या सपना देख रहा था?
कूप कृ्ष्ण भाई,
ज़रा सामने तो आओ छलिए...
छुप-छुप छलने में क्या राज़ है...
यूं छल न सकेगा परमात्मा...
मेरी आत्मा की ये आवाज़ है...
पहली बात, आप किस पोस्ट की ओर इशारा कर रहे हैं...खुल कर बताइए...खुशदीप वो तिनका नहीं है जिसे कान या नाक से आई कोई हवा बहा कर ले जाए...सही को सही और गलत को गलत कहना मेरी फितरत है...अपने तो क्या,
गैर से गैर और बड़े से बड़े दुश्मन से भी गले मिलने का हौसला रखता हूं...बस यही चाहता हूं कि आग जहां भी जलती देखूं वहां पानी डालूं, पैट्रोल नहीं...बाकी आप जो भी है, खुल कर सामने आकर बात करते तो मुझे अच्छा
लगता...शायद और अच्छी तरह आप मुझे समझ पाते...
जय हिंद...
कमाल का जुगाड़ है राजीव भाई
कमाल हो गया
धमाल हो गया
बिना खरच के ही
ब्लागर सम्मेलन
हो गया-आभार
वाह यह भी खूब रही !!! :)
वाह वाह कमाल है ये ब्लागर मीट बधाई
बढिया रहा ये भी !!
खूब हंसाया आपने
वाह वाह कमाल है
paanch din baad net khol raha hoo. aur ha....ha....ha....''hasate raho'' ko dekhe bina neend bhi to naheen aatee. hansate hue neend kee aagosh mey jane se sapane bhi hansee vale aate hai.to subah bhi achchhi hoti hai -din bhi. jai ho.....
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