दिल्ली ब्लॉगर मीट-एकदम झूठ...बिल्कुल झूठ



अरे काहे का मीट?...किसका मीट?...सब बकवास
इतना झूठ?...
तौबा...तौबा...
कुछ तो उपरवाले के कहर से डरो...कुछ तो उसके ताप से घबराओ...जिसे देखो वही जो मन में आए बके चले जा रहा है...मीट...मीट...मीट
अरे!...काहे का मीट?...किसका मीट?... 
किसका?...किसका कत्ल हुआ था?...ज़रा बताओ तो
ना तो वहाँ किसी का गला रेता गया और ना ही किसी को हलाल किया गया....हमरी नजर में तो सभी ब्लॉगर लोग तो एक-दूसरे से हंस-हंस के ऐसे बतिया रहे थे मानों एकै लंगोट में सबने एक-दूसरे के साथ अब तक का पूरा जीवन बिता दिया हो
किसी मंझे हुए डिप्लोमैट की तरह मैं ये तो नहीं कहूँगा कि..."सब आपके मन का वहम है...वहाँ पर किसी किस्म की कोई हिंसा ...तोड़-फोड़ या आगजनी नहीं हुई"...
ज़रूर हुई...और होनी भी चाहिए...इसमें कौन सी बड़ी बात है?....और फिर हम कौनु इस बात से डिनाय कर रहे हैं?...
आपको बेशक मेरी बात से सहमत हों या ना हों लेकिन ऐसी मीटिंगों में जा के तोड़-फोड़ करते हुए ज़ोर-शोर से उत्पात मचाना हर हिंदुस्तानी का जन्मसिद्ध अधिकार है...
क्या हुआ?...यकीन नहीं है मेरी बात का?...
अरे!...नहीं है तो ना सही...कौन सा मैंने आपके घर की चक्की का पिसा आटा खाना है?....बेशक आपको मेरी इस बात पे रत्ती भर भी विश्वास ना हो लेकिन अपनी इस बात को साबित करने के लिए और अपने इस  दावे को पुख्ता करने के लिए मैं डंके कि चोट पे खुले दिल और दिमाग के साथ ये कह सकता हूँ कि ...."पूरी दुनिया में...पूरे विश्व में...यहाँ तक कि पूरे ब्रह्मांड में लाख ढूँढे से भी ऐसा कोई शक्स या मोहतरमा नहीं मिलेगी जिसे ये सब करना पसंद न हो"..
और हो भी क्यों ना?...हक बनता है उनका
अब इसमें भी आप में से कुछ प्रबुद्ध जन आलोचना करने के लिहाज से ये भी कह सकते हैं कि...
"जिस आदमी के शल्य क्रिया के जरिए ...दिल और दिमाग...दोनों ही खुल चुके हों..उसकी बात को सीरियसली क्या लेना?
अरे!..नहीं लेना तो मत लो लेकिन मेरे इस भीमसैनी काजल से सुसज्जित आलेख में टाँग अड़ाने से पहले कम से कम इतना तो जान लो कि...
  • किसका कत्ल हुआ था?...
'खीरे' और 'टमाटर' का(प्याज़ बेचारा तो वैसे ही मुफ्त में मारा गया था) ...और किसका?
  • किसे गरम तंदूर की सुलगती आँच में 'नैना साहनी' कि भाँति झोंक दिया गया था?....
'आटे' को...और किसको?  
  • किसे नंगी तलवारों से देखते ही देखते काट कर मृत्यु शैय्या पर लिटा डाला गया था?...
'पनीर' को ...और किसको?
  • किसे खौलते तेल में तल कर तिल-तिल कर मरने पे मजबूर किया गया था?...
'पापड़' को...और किसको?  
  • उबलती-उफनती जलधार  में समाहित कर किसकी हड्डियां तक गला दी गई थी?...
'आलू' की ....और किसकी?  
लेकिन यकीन मानिए माई-बाप कि...ई सब्ब में हम ब्लॉगरजन का कौनु दोष नाही...सब ऊ मुय्ये रसोईए की कारस्तानी है...हम सब उसी की घिनौनी साजिश का शिकार हैं हुजूर...
ससुरे ने खाना ही एतना स्वादिष्ट और लज्जतदार बनाया था कि किसी से रहा ना गया हुजूर और फिर आप इसमें सिर्फ हम ब्लोगरों को ही काहे दोष देते हैं हुजूर...ये 'गुलाब जामुन' भी कौनु दूध का धुला हुआ नाही  है ...सुसरा!...मौका पाते ही फट्टाक से हमरे मुँह में ऐसे ऐंटरी मार गया जैसे 'करीना' की लाईफ में 'सैफ'  ..
और फिर कौन हम 'शाही पनीर' या 'पालक-कोफ्ते' को खुदहे आमंत्रण दे के कहे थे कि..."आ के मेरे मुँह में शहीद हो जाओ...स्वाहा हो जाओ?" ...
सुसरा!...अपने आप ही हमरे मुँह में आ के चुपचाप घुलता चला गया...हम का करें? ...
 आप में से कुछ एक प्रबुद्ध जनों को इस बात पे ऐतराज़ हो सकता है कि ...."वनस्पतियों एव शाक-सब्जियों में भी तो जीवन होता है" ...
हाँ!...भाई...होता है...हम कौन सा आप से डिस ऐग्री कर रहे हैं?...लेकिन आप ही बताएँ कि इस चक्कर मा कि.."हर चीज़ में जीवन होता है...हर चीज में प्राण होता है"...
"तो का हम शाक-सब्जी के बजाए कंकड़-पत्थर उबाल के खाना शुरू कर दें?...
आप कहें तो हम खाना-पीना ...सांस लेना...सबै छोड़ दें?.. 
बहुते खूब...इत्ता बुरबक समझे हो का कि हम ई भी न जान पायी कि...कौन चीज हमरी सेहत के लिए अच्छी है और कौन चीज बुरी?
अरे भाई खाएँगे-पिएंगे नाहीं तो जिएंगे कैसे?और अगर जीयेंगे नाहीं तो ई रिपोर्टवा आप तक कइसे पहुंचएंगे? और पहुंचएंगे नाहीं तो आप लोगन को कइसे पता चलेगा की हम ब्लॉगर मीट में ...ऊप्स!..सोर्री ...क्षमा कीजिए 'ब्लॉगर मिलन समारोह' में खूब धमाल किए थे  
साथियो.....दिल्ली ब्लॉगर मिलन समारोह की अब तक तो आपके पास कई रिपोर्टें पहुँच चुकी होंगी और चित्र भी आप देख ही चुके होंगे तो मेरे पास तो कुछ बचा ही नहीं था पेश करने के लिए... तो मैंने सोचा कि क्यों ना आप लोगों का कुछ मनोरंजन किया जाए?...पता नहीं अपने इस प्रयास में मैं सफल हुआ हूँ या नहीं....अपनी अमूल्य प्रतिक्रियाओं द्वारा अपनी राय से ज़रूर अवगत कराइएगा ...
विनीत:
राजीव तनेजा   

24 comments:

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

आप तो डरा ही दिए थे..... इस धमाल को बखूबी निभाया आपने.... मज़ा आ गया पढ़ कर....

संगीता पुरी said...

ब्‍लॉगर मीट को प्रस्‍तुत करने का एक अलग ही अंदाज .. वाह क्‍या कहने !!

Yashwant Mehta "Yash" said...

ये अच्छा नहीं किया आपने, मैने लंच मिस किया था और उसका जख्म अभी भरा भी नहीं था कि आपकी ये कातिल पोस्ट, काली कमली वाले की कसम, आलु-प्याज-टमाटर सबको देख लेगें हम........

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

अंदाजे-बयाँ कुछ और तेरा,
बस मजा आ गया पढकरके.
अब धूम मचेगी ब्लागार मीट की.
खायेंगे सब हँस-हँस करके.

shikha varshney said...

hahahah ...ye bhi khoob rahi ..
rochak andaj maja aaya.

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

agali baar meet ka bhi inzaam hoga tabhi blogar meet kaha jaayegaa

परमजीत सिहँ बाली said...

vaah!!यह भी खूब रही...।

अच्छी पोस्ट लिखी।

Anonymous said...

यह भी खूब रही...।
मज़ा आ गया...

Unknown said...

क्या भाई सहवाग की तरह दे दनादन मारा है. जब तक सामने बाले को कुछ समझ आये दोहरा शतक पूरा.

बहुत मजेदार. सत्य बचन

अजय कुमार झा said...

हा हा हा राजीव भाई ये भी खूब रही , भई इत्ता मसाला था ....मीट मसाला था फ़िर भी मीट एकदम नीट बनी , कमाल है ,आपने तो अपनी रपट में उनका जिक्र किया जिनकी फ़ोटो भी नहीं खींची जा सकी थी
अजय कुमार झा

Girish Kumar Billore said...

हजूर गज़ब अंदाज़ है

Girish Kumar Billore said...

आपने मेरा प्रणाम न कहा होगा राज दादा जी को

विनोद कुमार पांडेय said...

सफल नही इसे महसफल कहते है..मनोरंजन की पूरी सामग्री प्रस्तुत किए है कहीं से कोई छूट नही की बिना हँसे मुस्कुराए कोई यहाँ से खिसक पाए...

दिनेशराय द्विवेदी said...

आप ने वहाँ भी अच्छा मसाला तलाश कर लिया। बहुत खूब।
पर आप के ब्लाग पर नीचे जो पाठक दिखाने वाली पट्टी चलती है वह परेशान करती है। उस की वजह से टिप्पणी फार्म बहुत देर तक नहीं खुलता। कुछ भारी भरकम विजेट दिखा कर इसे हलका बनाएँ ताकि ज्यादा पाठक इसे झेल सकें।

अविनाश वाचस्पति said...

खुद कबूल किया है
अब गवाही के लिए तैयार रहना
जब चलेगा मुकदमा
जब तक वकील साहब आयेंगे
तब तक आपकी कलम को
गवाही के लिए पकड़ कर ले जायेंगे
लीगल नोटिस तैयार कर लिया गया है
आपने सब कुछ आंखों से देखा है
आपके सामने सब सनसनी सनसना रही थी
आपको तनिक भी दया नहीं आ रही थी
मन में इतनी शांति कैसे बसी जा रही थी
लगता है भाभीजी से डर रहे थे
इसीलिए इतनी वारदातों के बाद भी खूब हंस रहे थे
मैंने देखा है कि
आपके घर पर लिखा है
हंसना मना है
इसलिए आपने अपने ब्‍लॉग पर लिखा है
जो घर का सामने नहीं आये।

इतना निर्दयी होना ठीक नहीं है
सच कहना ठीक नहीं है
सब समझ आ जाएगी
अब तो सभी सब्जियां आपके साथ दयालु हो जायेंगी
उन पर अत्‍याचार की खबर ब्‍लॉग पर दे दी है
वे खुश हो गई हैं
खुद ही आपके घर आ जाया करेंगी
कहेंगी हमें काटो मत
सीधे दांतों से काटो
उबालो मत
दांतों में दबा लो सीधे
छुड़ा देंगे आपके पसीने
आपको चढ़ने नहीं देंगे जीने
पानी भी नहीं देंगे पीने।

Randhir Singh Suman said...

nice

Anil Pusadkar said...

ओ मज़ा आ गया जी।इट्ज़ डिफ़रेंट।

Udan Tashtari said...

हम तो खुशी खुशी भागते आये कि चलो, यहाँ भी दंगल हुआ..सारा मटिया मेट कर दिये खुशी..ये ठीक नहीं है. इतने ब्लॉगर मिले और कोई झगड़ा नहीं..आप सब मिलकर परंपराओं को चूना लगा रहे हैं..हम तो कर भी देंगे लेकिन इतिहास न माफ करेगा..कम से कम झा जी को तो!!


:)

Khushdeep Sehgal said...

ऐसी आतंकवादी रिपोर्ट...सर के बाल तक खड़े हो गए...इस टार्चर के आगे तो ओसामा बिन लादेन, अजमल कसाब, अजहर मसूद, हाफिज मोहम्मद सईद भी भले आदमी नज़र आने लगेंगे...

वाकई सबसे अलग, सबसे लज़ीज रिपोर्ट...

जय हिंद...

स्वप्न मञ्जूषा said...

are ham roj ek atanwaadi ke saath jeewan bita rahe hain aur ab blog mein bhi atankwaadi aa gaye...kisi na kisi din hamra hart fel karbe karega...pakka baat hai ii to...haan nahi to..:):)

दीपक 'मशाल' said...

ekdam durust farmaya sabne... aapne to apne hi andaaz me vyagatmak report bana dali.. aapki bhi ada niraali hi hai Rajeev ji..

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

हाँ हाँ हाँ राजीव जी शीर्षक देख कर हम तो डर ही गए थे बहुत ही मजेदार रिपोर्ट है मजा आ गया
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

शेफाली पाण्डे said...

ekdam jhakaas....bole to maza aa gaya....

श्रद्धा जैन said...

aapke aish hai ji
blogger meet mein sabse mil liye
hamne sab miss kar diya........
magar aapki ye rochak yaatra padhte padhte maja aa gaya

 
Copyright © 2009. हँसते रहो All Rights Reserved. | Post RSS | Comments RSS | Design maintain by: Shah Nawaz