ye kya kar diya aapne??? baki sab ka to theek hai chalega.. meri, mahfooz bhaia aur yashwant ki to abhi shadi bhi nahin hui.. kya impression padega agle par :)
टिप्पणी से साबित होता है कि ललित शर्मा जी भांग के नशे में एकदम सज्जन होते हैं… :) देखिये ना "झकास", "घायल" और "क्यूट" के साथ "बहना" शब्द का उल्लेख किया गया है…। ललित शर्मा जी के चरण कहाँ हैं… :) :) होली है भई होली है… :)
post dekh kar to maza aaya hin tippani to auro mazedar laga lalit jee to HOLImay lagiye rahen hayn sath sath mahfuj bhai ki sundarta to kamal ki badh gayi hay..
Blog ke dhurandharon ko aaj choli me dekha.. itna mast mud sabka holli me dekha ab hamhu baura jaaye to maaf kijiye masti ki rangoili hay.. bhai jaan nahi nahi bahan jee bura na maaniye HOLI HAY.
ईमेल से प्राप्त टिप्पणी: from:Raj Bhatia rajbhatia007@googlemail.com
राजीव जी आज कई बार आप्के ब्लांग पर आया. टिपण्णी देने के लिये, लेकिन हर बार मेरा लेपटाप ओर पी सी हेंग हो गया, पता नही क्यो, आज के चित्र बहुत सुंदर लगे, बिलकुल होली के रंग मै डुबे हुये, आप कूर आप के परिवार को होली की बहुत बहुत शुभकामनाये
अविनाश जी---- क्या अदा क्या जलवे तेरे पारो दीपक भाऊ ---- सपने में मिलती है ओ कुडी मेरी सपने में मिलती है गिरिश भाऊ--- ले जायेगें ले जायेगें दिलवाले दुल्हनिया ले जायेगें ललित चाचा जी--- चांदनी ओह मेरी चांदनी......रंग भरे बादल पे..तेरे नैनो के काजल के.... खुशदीप भाऊ ---- भोली सी सूरत, आँखो में मस्ती दूर खड़ी मुस्काये....आय हाय..... महफ़ूज भाऊ --- सोणी सोणी आँखियों वाली, दिल देजा या दे जा तू गाली........... मोहिन्दर जी---- समदंर में नहा के और भी नमकीन हो गयी हो हो.......हो........ यशवन्त ---- दिल दे दिया है जान तुझे देगें दगा नहीं करेगें सनम सतीश जी --- सावन में लग गयी आग दिल मेरा हाय
इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे.. ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना.. लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है.. कोई बाहर का पक्का रंग लगाना.. के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये.. ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये.. इस बार.. ऐसा रंग लगाना... (और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)
होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...
16 comments:
हम्म्म...एक तो जेंडर चेंज कर दिया फिर धमका भी दिया .. बुरा न मानें क्योंकि होली है :)
ye kya kar diya aapne??? baki sab ka to theek hai chalega.. meri, mahfooz bhaia aur yashwant ki to abhi shadi bhi nahin hui.. kya impression padega agle par :)
हाय! खुशदीप बहना,
कितनी क्युट लग रही हो,
एकदम झकास, घायल कर दिया।
मुकुल बहना!
क्या अदा है क्या स्टाईल है
एक हाथ मे पॉडकास्ट
एक हाथ में मोबाईल है।
अब कैसे कोई हाथ मांगे
दोनो ही इंगेज है
बस जरा सी ठिठोली है।
बुरा न मानो हो्ली है।
राजीव जी बधाई हो
सभी हसिनाओं रुपसियों को होली की शुभकामनाएं।
टिप्पणी से साबित होता है कि ललित शर्मा जी भांग के नशे में एकदम सज्जन होते हैं… :) देखिये ना "झकास", "घायल" और "क्यूट" के साथ "बहना" शब्द का उल्लेख किया गया है…। ललित शर्मा जी के चरण कहाँ हैं… :) :) होली है भई होली है… :)
ललित जी का यह भी रूप है मुझे तो पता नहीं था.
फिदा हो गये भाई
post dekh kar to maza aaya hin
tippani to auro mazedar laga
lalit jee to HOLImay lagiye rahen hayn sath sath mahfuj bhai ki sundarta to kamal ki badh gayi hay..
Blog ke dhurandharon ko aaj choli me dekha..
itna mast mud sabka holli me dekha
ab hamhu baura jaaye to maaf kijiye masti ki rangoili hay..
bhai jaan nahi nahi bahan jee bura na maaniye HOLI HAY.
हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो हो
ये मूँछ वालियाँ कहाँ से आईँ हैं?
मूँछो वाली हसीनाएं :-))
ha ha ha ha waah!! itani sundar hasinae pahale na dekhi thi kabhi ...bhagwaan inhe buri nazar se bataae :)
Holi mubaarak ho !
Sadar
इसीकी कसर थी जो आपने पूरी कर दी ! आपका बहुत शुक्रिया !
उफ़्फ़ ,,,,कमाल की हसीनाएं हैं एकदम bold and beautiful ..अब तो किसी पर भी दिल आ सकता है ..क्या किया जाए ..एक से एक मनमोहिनी सूरत है
अजय कुमार झा
ईमेल से प्राप्त टिप्पणी:
from:Raj Bhatia rajbhatia007@googlemail.com
राजीव जी आज कई बार आप्के ब्लांग पर आया. टिपण्णी देने के लिये, लेकिन हर बार मेरा लेपटाप ओर पी सी हेंग हो गया, पता नही क्यो, आज के चित्र बहुत सुंदर लगे, बिलकुल होली के रंग मै डुबे हुये, आप कूर आप के परिवार को होली की बहुत बहुत शुभकामनाये
अविनाश जी---- क्या अदा क्या जलवे तेरे पारो
दीपक भाऊ ---- सपने में मिलती है ओ कुडी मेरी सपने में मिलती है
गिरिश भाऊ--- ले जायेगें ले जायेगें दिलवाले दुल्हनिया ले जायेगें
ललित चाचा जी--- चांदनी ओह मेरी चांदनी......रंग भरे बादल पे..तेरे नैनो के काजल के....
खुशदीप भाऊ ---- भोली सी सूरत, आँखो में मस्ती दूर खड़ी मुस्काये....आय हाय.....
महफ़ूज भाऊ --- सोणी सोणी आँखियों वाली, दिल देजा या दे जा तू गाली...........
मोहिन्दर जी---- समदंर में नहा के और भी नमकीन हो गयी हो हो.......हो........
यशवन्त ---- दिल दे दिया है जान तुझे देगें दगा नहीं करेगें सनम
सतीश जी --- सावन में लग गयी आग दिल मेरा हाय
हाय मैं कितनी सुन्दर हूँ हैं न अदा जी ललिता जी समीरा दी,
इस बार रंग लगाना तो.. ऐसा रंग लगाना.. के ताउम्र ना छूटे..
ना हिन्दू पहिचाना जाये ना मुसलमाँ.. ऐसा रंग लगाना..
लहू का रंग तो अन्दर ही रह जाता है.. जब तक पहचाना जाये सड़कों पे बह जाता है..
कोई बाहर का पक्का रंग लगाना..
के बस इंसां पहचाना जाये.. ना हिन्दू पहचाना जाये..
ना मुसलमाँ पहचाना जाये.. बस इंसां पहचाना जाये..
इस बार.. ऐसा रंग लगाना...
(और आज पहली बार ब्लॉग पर बुला रहा हूँ.. शायद आपकी भी टांग खींची हो मैंने होली में..)
होली की उतनी शुभ कामनाएं जितनी मैंने और आपने मिलके भी ना बांटी हों...
लगता है ललित शर्मा पर ज़्यादा ही मेहरबानी हो रही है ..बचके रहना ललित भैया .. ।
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