अपनी ब्लोगिंग के शुरूआती दिनों में एक ब्लॉग गीत लिखने की कोशिश की थी…मामूली फेर-बदल के बाद उसे आपके सामने पुन: पेश कर रहा हूँ…
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर
***राजीव तनेजा***
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
सम-समायिक पे तुम लिखो
हास्य में व्यंग्य मैँ लाता हूँ
चिट्ठे पे मेरे तुम टिपिआओ
तुम्हारे चिट्ठे मैँ टिपियाता हूँ
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
जतन से तुम ये-ये लिखो
प्रयत्न से मैँ वो-वो लिखता हूँ
कॉपी तुम वहाँ से करो
पेस्ट यहाँ से मैँ करता हूँ
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
पसंद मेरी तुम चटकाओ
तुम्हारी किस्मत मैँ ज़माता हूँ
टीका टिपण्णी तुम करो..
नुक्ता चीनी मैँ कर आता हूँ
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
तुम ई-मेल कर मेल बढाओ
मोबाईल से मैं बतियाता हूँ
ऑनलाइन नहीं..घर आओ
वाईन-पकोड़े मैँ मँगवाता हूँ
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
कवि गोष्ठी तुम रखवाओ
ब्लॉगर मीट मैँ बुलवाता हूँ
नॉन वैज तुम खिलवाओ
शाकाहार मैँ परोसवाता हूँ
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
ब्लॉग-प्रहरी तुम हो आओ
चिट्ठाजगत मैँ जा आता हूँ
नारद बन चुगली तुम करो
चिट्ठा मैँ सबका फैलाता हूँ
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
ब्ळोगवाणी से तुम्हें प्यार हो
सारथी रथ का मैँ घुडसवार हूँ
इष्ट का अपने तुम नाम जपो
सिद्ध को अपने मैँ तकता हूँ
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
आओ खेलें हम ब्लॉगर-व्लागर...
***राजीव तनेजा***
15 comments:
तुम ई-मेल कर मेल बढाओ
मोबाईल से मैं बतियाता हूँ
ऑनलाइन नहीं..घर आओ
वाईन-पकोड़े मैँ मँगवाता हूँ
मज़ा आ गया राजीव जी।
तुम ई-मेल कर मेल बढाओ
मोबाईल से मैं बतियाता हूँ
ऑनलाइन नहीं..घर आओ
वाईन-पकोड़े मैँ मँगवाता हूँ
कवि गोष्ठी तुम रखवाओ
ब्लॉगर मीट मैँ बुलवाता हूँ
नॉन वैज तुम खिलवाओ
शाकाहार मैँ परोसवाता हूँ
आओ ब्लागर ब्लागर खेलें
लगे रहे जिन्दगी के मेले
राजीव भाई बहुत बढिया कविता रचाई
म्हारे मन को भी खुब भाई।
आपको बधाई हो बधाई
राम-राम
अब तो खेलने की ही वास्तु रह गया है हिन्दी ब्लोगर :)
इतना भी सच मत कहो कि झूठ लगने लगे
खेल जारी है देखते रहिये
तू मुझे पंत कह, मैं तुझे निराला,
हमारा ब्लॉगर-ब्लॉगर का खेल है मतवाला...
तो फिर संडे शाम को ठीक रहेगा आपके घर वाइन-पकोड़ों का प्रोग्राम...
जय हिंद...
सड़े टमाटर , उबले आलू
जितने फ़ेंक सको तुम फेंको
कीचड फेंके जो आपस में
वे ही ब्लागर कहलाते हैं ,
मूंछ लगायें , हँसते हँसते
आओ ब्लागर ब्लागर खेलें !
जतन से तुम ये-ये लिखो
प्रयत्न से मैँ वो-वो लिखता हूँ
कॉपी तुम वहाँ से करो
पेस्ट यहाँ से मैँ करता हूँ
अरे बाबा आप तो सत्य वचन बोलने लगे जी, बहुत सुंदर
अभी भी क्या बदला है..
आओ, खेलें.. :)
आप को नव विक्रम सम्वत्सर-२०६७ और चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....
इसके बाद एक आरती भी लिखी जाये ।
तुम ई-मेल कर मेल बढाओ
मोबाईल से मैं बतियाता हूँ
ऑनलाइन नहीं..घर आओ
वाईन-पकोड़े मैँ मँगवाता हूँ
sab apas mein mil lete hain aaplog aur ham to bas sun kar hi khush ho lete hain...
haan nahi to...!!
तुम ई-मेल कर मेल बढाओ
मोबाईल से मैं बतियाता हूँ
ऑनलाइन नहीं..घर आओ
वाईन-पकोड़े मैँ मँगवाता हूँ
Bhaai bahut sahi kahi aapane....bahut bhadiya rachan!
Dhanywaad
अच्छा खेल है ब्लोगर ब्लोगर...
ye hui n baat
कवि गोष्ठी तुम रखवाओ
ब्लॉगर मीट मैँ बुलवाता हूँ
नॉन वैज तुम खिलवाओ
शाकाहार मैँ परोसवाता हूँ
चिट्ठा चर्चा नया बना लें
सांठ गाँठ दोनों कर लेंगे
लेख तुम्हारा हम लिंकेंगे
तुम मेरी रचना छपवाओ
एक दूसरे को टिप्पेंगे
एक दूसरे को हम झेलें
आओ ब्लागर व्लागर खेलें
..
आपके सभी आर्टिकल मुझे बहुत पसंद हैं ... गूगल रीडर पर पढता हूँ आपको ... आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आया हूँ ... बहुत बधाई और शुभकामनाएं
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