बिना खड़ग बिना ढाल-राजीव तनेजा

बस नहीं चलता मेरा इन स्साले…ट्रैफिक हवलदारों पर... "मेरा?...मेरा चालान काट मारा?...लाख समझाया कि कुछ ले दे के यहीं मामला निबटा ले लेकिन नहीं…पट्ठे को ईमानदारी के कीड़े ने डंक जो मारा था|सो!..कैसे छोड देता?…कोर्ट का चालान किए बिना नहीं माना| आखिर!…जुर्म ही क्या था मेरा?...बस…ज़रा सी लाल बत्ती ही तो जम्प की थी मैँने और क्या किया था?….और फिर इस दुनिया में ऐसा कौन है जिसने जानबूझ कर या फिर कभी गलती से गाहे-बगाहे  ऐसा ना किया हो?”.. "ठीक है!..माना कि मैँ ज़रा जल्दी में था और आजकल जल्दी किसे...

छोड़ो ना…कौन पूछता है? - राजीव तनेजा

   "एक...दो...तीन....बारह...पंद्रह...सोलह...   "ओफ्फो!…कितनी देर से आवाज़े लगा लगा के थक गई हूँ लेकिन जनाब हैँ कि अपनी ही धुन में मग्न पता नहीं क्या गिनती गिने चले जा रहे हैँ”बीवी अपने माथे पे हाथ मारती हुई बोली… “कहीं मुँशी से हिसाब वगैरा लेने में तो कोई गलती नहीं लग गयी?"...  "न्न..नहीं तो"मैं हड़बड़ाता हुआ बोला ..  "तो फिर ये उँगलियों के पोरों पर क्या गिना जा रहा है?"...  "क्क..कुछ भी तो नहीं"… “इतनी पागल तो मैं हूँ नहीं जितनी तुम समझ रहे हो” बीवी...

काम हो गया है…मार दो हथोड़ा- राजीव तनेजा

***राजीव तनेजा*** "हैलो!…इज़ इट...+91 804325678 ?”... "जी!..कहिये"... "सैटिंगानन्द महराज जी है?"… "हाँ जी!...बोल रहा हूँ..आप कौन?" "जी!…मैँ..राजीव बोल रहा हूँ"… "कहाँ से?”… "मुँह से"... "वहाँ से तो सभी बोलते हैँ...क्या आप कहीं और से भी बोलने में महारथ रखते हैँ?"… "जी नहीं!...मेरा मतलब ये नहीं था"... "तो फिर क्या तात्पर्य था आपकी बात का?"... "दरअसल!...मैँ कहना चाहता था कि मैँ शालीमार बाग से बोल रहा हूँ".. "ओ.के…लेकिन आपको मेरा ये पर्सनल नम्बर कहाँ से मिला?”.. "जी!...दरअसल ..वाराणसी...
 
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