लो जी हो गई तैयारियां पूरी…पासपोर्ट रेडी और वीसा तैयार….ब्लोगर बांग्लादेश की मच्छी मार्का धरती पर कूच करने को तैयार…
अरे!…अरे…रुको तो सही…इतनी जल्दी काहे को करते हो मेरे यार?…पहले ज़रा किसी पण्डित…मौलवी या फिर पादरी से शुभ लग्न व मुहूर्त तो निकलवा लो…
क्यों भाई लोग?…क्या कहते हैं आप…मुहूर्त निकलवाना चाहिए या नहीं?….
अच्छा!…ओ.के….चलिए मान लेते हैं आपकी बात कि शुभ मुहूर्त निकलवाना तो निहायत ही ज़रुरी है लेकिन यहीं से तो असली समस्या शुरू हो रही है जनाब कि घूंघट के पट सबसे पहले कौन खोलेगा?….याने के पहला कदम कौन बढ़ाएगा?…
अब इसे टी.आर.पी का चक्कर कह लें या फिर कुछ और…सभी अपने-अपने ढंग से इस खेल की शुरुआत करना चाहते हैं…कोई मंत्रोचार के जरिये इस शुभ कार्य को प्रारम्भ करना चाहता है तो कोई अपनी पीपनी बजा के कूच का आगाज़ करना चाहता है……
कोई अपनी दिव्य जोत से सबको विस्मित कर सबसे पहले निकलना चाहता है ….
पंगे यहाँ पर एक नहीं अनेक हैं….
अब यहाँ पर कोई अपने संग विदेशी बाला को भी हिन्दी ब्लोगिंग के गुर-पेंच सिखाना चाहता है…
तो कोई दो चुटकी सिन्दूर की कीमत का वास्ता देकर सबको भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल कर रही है….
तो कोई माला के मोतियों की भांति अपने को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध कर बाज़ी मार ले जाना चाह रहा है…
कोई अपनी पगड़ी का वास्ता दे सबसे अनुनय-विनय करता नज़र आ रहा है…
खैर!…हमें क्या?…तरीक सबके अलग-अलग और विचार जुदा-जुदा हो सकते हैं लेकिन सबकी मंजिल तो एक ही याने के हिन्दी का उत्थान ही है ना?….तो फिर क्या फर्क पड़ता है कि कोई कैसे भी अपने इष्ट को याने के अपनी मंजिल को पूजे…
अब इन सज्जन को ही लो…देखिये तो क्या रूप धरे बैठे हैं हिन्दी के उत्थान और खुद बिना मौसम के शाही स्नान की खातिर…
“अरे!…भाई…पता है हमको कि आप बांगलादेश जा रहे हैं लेकिन ये भी कोई बरसात का मौसम है जो आप छाता साथ ले के चल रहे हैं?…और फिर मान लो अगर बाय चांस…खुदा ना खास्ता…बीच रस्ते के आपकी लुंगी ढीली हो के खिसक गई तो हम तो कहीं के नहीं रहेंगे ना?…निम्बू निचोड़ के”
अरे!…माना कि लुंगी भी आप ही की है और छाता भी आप ही का है लेकिन इज्ज़त-आबरू तो हमरे देश की ही ना?…वो नीलाम होगी तो आपको कैसा लगेगा?…
छोडिये!…इस सब झमेले को यहीं पे और कोई अच्छा सा सूट विद बूट पहन के आइये और अपने जलवे दिखाइए
ये लो…एक को समझाया और दूजा चला आया….
अरे भाई…वहाँ जा के किसके मुँह पे खरोचें मार उसे नोचना है जो इनकी धार तेज करवा के चले आ रहे हो?….
हटाओ!…हटाओं इस बिना तहजीब वाली आदत को अभी के अभी …
“अरे!…पापा जी…तुस्स हाले तईय्यार नहीं होए”…
“की करा बादशाहों…हाल्ले ते दाढी वी नहीं मुन्नी"…
“ते फेर छेत्ती-छेत्ती करों ना बादशाहों…सिर्फ त्वाडे लय्यी सारे वेक्खो किन्ने परेशान हो रहे नें"…
हाय!…शुक्र है खुदा कि ये मस्त-मस्त हीरोइनें तो टाईम पे लक्क-झक्क तैयार हो गई हैं….
तो दोस्तों… सम्मेल की तैयारियां तो पूरी हो गई….अब बाकी की फाईनल रिपोर्ट सम्मलेन हो जाने के बाद…
“क्यों?…सही कहा ना मैंने?”…
***राजीव तनेजा***
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17 comments:
मजेदार है जी। हंस रहे हैं मुस्करा रहे हैं और खिलखिला भी रहे हैं।
अलबेली ताई तो गजब की है भाई। कमाल तो पंडत जी ने भी कर दिया।
पण वा दांतां की दुकान कोनी दिक्खी। :)
हे भगवान राजीव जी आपको तो कोई पुरस्कार मिलना चाहिये...क्या हाल बना दिया है सबका....हहहाह्ह
ओये राजीव मैं ते कहीं नजर ही नहीं आई मतलब आया मतबल आई ........... मतबल यू ........ मतलब वी ......... वी फॉर विक्टरी ऑफ हिन्दी ब्लॉर्ग्स इन हिन्दी।
अरे बाप रे
सारे घर के बदल दिये
हा हा११ राजीव जो न कर दें...वैसे है ह्म्मति....संजू पीछे दिख रहीं है...और गीता की बात कर रहे हैं.
हम्मति= हिम्मती
हा हा हा... कमाल करते हो आप भी राजीव प्रा
हा-हा-हा
बड़ी जोर दार तैयारी हुई हैं ...:) :)
ये हुयी है सही मायनो मे तैयारी…………हा हा हा
नशा बढ़ता गया ज्यों ज्यों पोस्ट परवान चढ़ती गई ।
has-has kar pet fool raha hai. itana bhi hasaana theek nahee. ''hasy-attaik' n aa jaye.
होली की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
तन रंग लो जी आज मन रंग लो,
तन रंग लो,
खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
प्यार के ले लो...
खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...
जय हिंद...
राजीव भाई आपको और भाभी जी को होली की बहुत-बहुत मुबारकबाद... हार्दिक शुभकामनाएँ!
लगता है देश निकाला ही दे दिया ....ठीक है हम भी देख लेंगे राजीव मियां !
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