"एक डुबकी और सही"
***राजीव तनेजा***
"भाईयो और @#$%^"
"अब अपने मुँह से कैसे कहूँ?"
"अब किसी को बहन तो मै केहने वाला नहीं....
अपने आप समझ जाओ ना यार....
"वैसे तो मैं आप ही तरह सीधा -साधा इंसान हूँ लेकिन....
अपने इस् दिल के कारण बडा परेशान हूँ...
अपने आप ललचाता है और लोग समझते है कि ये तो इसकी आदत है .. .
इसलिये अपने कीमती सामान को मुझ से बचा के रखते है
खास करके अपनी बीवियो को
अब यार अपने मुँह से कैसे कहू ? कि....
जैसे ही किसी की बीवी पे नज़र पडी....
बस अपना तो लाईन लगान चालू समझो
कई बार तो उल्टे लेने के देने पड गये थे इसी चक्कर मे
एक बार अपनी एक नई पडोसन बडी लिफ्ट दे रही थी
लगातार देखती ही रहती थी और बात-बेबात मुस्कुराती थी
कई दिन तक अपुन भी सब काम-धाम छोड कर ....
पूरी लगन और इमानदारी के साथ
सिर्फ और सिर्फ उसे ही लाईन मारते रहे
दो महीने बाद पता चला कि उसकी आँखे तो बचपन से ही तिरछी थी
दिल को झटका लगा लेकिन अपुन भी कहाँ एक के साथ चिपक के रहने वाला था
सम्भाला अपने आप को और तुर्रंत ही जुट गये नए शिकार की तलाश मे ....खँबा उखाड के
एक से चॆटिग करते करते सॆटिग हो गयी
बस कुछ खास झूठ नही बोलना पडा
अब थोडा-बहुत तो बोलना ही पडता है ....
भगवान झूठ ना बुलवाए
बस यही कहा था कि ....
"I am Unmarried"....
"गोरा रंग है" ....
"बाँडी से एकदम फिट "
लेकिन यार दर असल असलियत मे मै हूँ इसका एकदम उल्टा
शादी तो बचपंन मैं ही हो गयी थी अपनी और .. .
ऊपर वाले की दुआ से पूरे सात "सॅंपल" भी है अपने ..
और बॉडी तो अपनी बिल्कुल ही गोल मटोल है ...
रंग के बारे मैं अब क्या कहूँ
रंग थोड़ा काला है तो क्या हुआ ?
अपने श्री क्रिशन महराज भी कौन सा गोरे थे?
काले ही थे ना?
अब कौन समझाए इन बावलियो को ? कि....
रंग-रूप मे क्या धरा है ?
एक दिन् ऊपेरवाले की दुआ से मुलाक़ात की जगह फिक्स हुई ..
अब यार इधर उधर से कुछ उधार लेकर सीधा जा पहुँचा "ब्यूटी पार्लर"
वहाँ पे काम करने वाले मुझे देख के हँसने लगे कि "उमर तो देखो बुड्ढे की"
"मुह मैं दाँत नहीं और पेट मैं आंत नही ..."
"चले आए हैं पार्लर मैं मुँह उठा के" ...
एक बोला" बाबा... जिसका मेक-अप करना है उसे तो ले आते ...."
मैं बोला "बाबा ?.....
बाबा..
बाबा होगा तू ....
तेरा बाप.... "
"मुझे ही कराना है मेक -अप "
इतना सुनते ही उन्होने भी उल्टे सीधे दाम बताए ...
पर मैं कहाँ पीछे हटने वाला था
तुर्रंत हामी भर् दी
दाँत बाहर् निकाल के रख दिए मैने.....
फिर् दो-तीन मुस्सट्ण्डे मेरे चौखटे पे लीपा -पोती करने लगे ...
पैसे एड्वान्स मैं ही ले लिए थे उन्होने ...
डर था कही मै खिसक ही ना जाउँ काम पूरा होने के बाद .....
एक बोला "बाबा...पानी से बचा के रखना अपना चौख़टा".....
मैने हामी भर् दी ..
जेब ख़ाली हो चुकी थी लीपा-पोती के चक्कर मे
और उस कम्भखत- मारी ने जगह भी तो ऐसी भीड़ भाड़ वाली चुनी थी कि
बंदे का तेल तो मज़िल तक पहुंचने से पेहले ही निकल जाए... ...
दो-चार से लिफ्ट माँगी लेकिन मेरा चौख़टा देखते हुए वो हँसते हुए आगे बढ गये जैसे
मैं कोई बेहरूपिया हूँ और पैसे माँगने के लिए हाथ फैलाता हुआ ड्रामा कर रहा हूँ
पास ही एक नाई की दुकान थी
वहाँ शीशे मैं अपना चौख़टा देखा जो किसी लंगूर से कॅम नही लग रहा था
अब उन् बेचारे पार्लर वालो का भी क्या कसूर..
ऊपरवाले ने अपुन को भी वन एण्ड ओनली पीस बनाया है
काफी देर के बाद एक को तरस् आ ही गया मेरी जवानी पर और . ...
बिठा लिया अपनी फटफ़टी पर
अब फट्फटी की हालत मत पूछो यार
कण्डम से भी कण्डम थी
तीन बार तो धक्का लगाना पड़ा रास्ते मे
मंज़िल के क़रीब पहुँच चुके थे हुम् कि आगे किसी जलूस की वजह से रास्ता जाम था ...
अब यार दिल्ली मे जलूस भी तो रोज़ निकलते हैं ना
कभी कोई पार्टी तो कभी कोई ,
कभी किसी धर्म वाले तो कभी किसी और धर्म वाले ,.....
कभी लेबर वाले ..
तो कभी डॉक्टर...
तो कभी स्टूडेंट....
तो कभी औरते...
तो कभी बच्चे
बस झंडा पक्डो और चल दो जलूस मे
उसकी फटफ़टी के साथ साथ मै भी जाम मे फस चुका था
सडक पर इधर-उधर हिलने-डुलने लायक भी जगह नही थी
देखा तो पास खडी बैल गाड़ी का बैल मेरी तरफ़ बड़ी ही प्यार भारी नज़रो से देख रहा था
मुझे पता नही क्या सूझा और मै मुस्कुरा दिया ..
बैल भी अपनी मुंडी हिलाने लगा जैसे मेरी बात समझ रहा हो..
मुझ पागल को शरारत सूझी और मैने पंगा लेने के चक्कर मे झट से बैल महराज को आँख मार दी..
बस मेरा आँख मारना था और उसका मचलना था.....
सीधा उसने अपना लार टपकता मुँह मेरी तरफ़ बढा दिया ...
अब मै घबराया कि कहीं ये सींग ही ना मार दे...
फट्फटी से उत्तरने की कोशिश की तो वो सींग मारने के लिए तैयार ...
मै डर गया ....
जब जब मै उस से बचने की कोशिश करता.....
तब तब वो झपटने के लिए तैयार
मै बेचारा क्या करता ?
चुप् - चाप बैठ गया....
ले बेटा कर ले मनमानी और.....
बैल लगा करने अपनी सभी हसरते पूरी ..
कुछ देर तो लगा मुझे सूंघने और फ़िर्
हो गया शुरू बडे मज़े से चाटने
बड़ा अजीब लग रहा था.....
ऐसे लगने लगा जैसे मै 'जूही चावला हूँ और मुझे मजबूरी मे शाहरुख़ से प्यार करना पढ रहा है
बिल्कुल 'डर' फिल्म की तरह.....
मैने इधर-उधर 'सन्नी देओल'को ढूढने की बडी कोशिश की लेकिन.....
कोई मेरी मदद के लिए नही आगे बढ़ा ..
वहाँ कोई भी हीरो नही था मेरी इज़्ज़त बचाने के लिए.....
याद आया कि हीरो तो सिर्फ़ फिलमो मे ही होते है ...
असल ज़िंदगी मे कहाँ ये सब होता है ?
असल ज़िन्दगी मे तो सब के सब ...
"अब अपने मुह से कैसे कहूँ ?"
मेरी मदद करने के बजाय सब् के सब् ...
नास-पीटे मुँह छुपा के हँसते हुए लोट-पोट हुए जा रहे थे.....
मुँह छुपा के इसलिये नही की उनको अपनी 'मर्दानगी'पे शक हो रहा था
या फ़िर् अपनी जवानी पे 'शरम'आ रही थी बल्कि...
इसलिए की कहीं बैल की टेढी नज़र उनकी तरफ़ ना पढ जाए और
उनका भी चीरहरण हो जाए सरेबज़ार ....
बैंड बज जाए मेरी तरह...
और वो बैल ...कंभखत मारा था कि रुकने का नाम ही नही ले रहा था.....
चाटे जा रहा था दनादन
अब कैसे कहूँ इस मुँह से कि ....
मेरी हँसी और रोना एक ही साथ निकल रहा था
अरे यार मैं तो आपके आगे अपना दुखड़ा रो रहा हूँ और आप है कि ....
मेरी हालत पे तरस खाने के बजाये हँसे चले जा रहे हैं?
जाओ मैं आपसे बात नही करता ...
नहीं बोलता कह दिया ना ....
कुट्टी....कुट्टी....कुट्टी..
एक बार नही ...सौ बार कुट्टी
मेरी जगह ख़ुद को बिठा के तो देखो एक बार
अपने आप पता चल जाएगा की बात हँसने की है या फ़िर् रोने की.....
एक तरफ़ का सारा का सारा मेक-अप उतर चुका था ....
अब बैल दूसरे गाल की तरफ़ बढ़ा ही था कि ....
ऊपेरवाले को मुझ गरीब पर रहम आ गया और....
जाम खुल गया
गाडीवान ने बैल को आगे की तरफ हाँक दिया
अब तक मै आगे जाने क प्रोग्राम मैने कॅन्सल कर् दिया था ....
जाता भी किस मुँह से ?
क्या आपने कोई ऐसा शख्स देखा जो एक तरफ़ से गोरा हो और दूसरी तरफ़ से काला?
"नहीं ना " ...
"फ़िर् अपने आप समझ जाओ 'मेलोडी'खा के"...
अरे हाँ याद आया....
अब पल्ले पडी बात
उन् पार्लर वालों ने शायद कोई 'फ्रूट फेशियल बिद हँनी'इस्तेमाल किया था और ...
बैल महाराज को उसकी ही ख़ुश्बू खींच रही थी मेरी तरफ़्...
अब तो यार तौबा करने की सोच रहा हूँ..
ऊपेरवाला बचाए इन् कंभखत मारियो से
जो शक्स इनके चक्कर मैं फंस गया तो उसका डूबना तो पक्का ही पक्का समझो...
एक मिनिट.....
अरे ये क्या?
ये तो अपने बगल वाले मोहल्ले के शर्मा जी की बीवी है....?
बस मै यूँ गया और यूँ आया .....
समझा करो यार...
अब 'तौबा'तो करनी ही है तो क्यूं ना ......
"एक डुबकी और सही"
***राजीव तनेजा***
1 comments:
मसाले दार..।
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