"टीस सी दिल में सौ बार उठी है"
***राजीव तंनेजा***
टीस सी दिल में सौ बार उठी है
साथ मेरे बेबसी मेरी चली है
जुटा रहा जोडने यहाँ वहाँ दौलत
व्यस्त रहा भोगने तमाम शोहरत
भूला हुआ था मैँ उसे
याद नहीं इक पल मुझे
कब मैँने उसे याद किया
हरि नाम का जाप किया
अंत समय जब है आया
खोकर सब यही है पाया
मिथ्या है नश्वर है
बेकार है सब जग संसार
दिल का सौदा सौदा नहीं
बना है ये खेल व्यापार
रिश्ते नाते यारी दोस्ती
सब बेमानी सब बेकार
खाली हाथ आया था मैँ
खाली हाथ है जाना मुझे
छोड कर.. तोड कर...
मुँह मोड कर...
सब रिश्ते नातों के तार
छूटता देख रूठता देख
सब तन मन धन यहीं
टीस सी दिल में सौ बार उठी है
साथ मेरे बेबसी मेरी चली है
***राजीव तनेजा***
2 comments:
दोस्त, बहुत अच्छा लिखा है. नईं सुबह का नया सूरज एक बार फिर से आप का स्वागत करने के लिए आने वाला है और आप की ही बात सदियों से कहता आया है.....
हंसते रहो...मुस्कुराते रहो.
आप नहीं बेबस हैं
बेबसी भी नहीं हैं आप
कलम है तलवार है
सच्ची यही कार है भांप
करना है तो कर ले
कीबोर्ड कंप्यूटर का
नित पraति जाप।
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