काली बकसिया- आभा श्रीवास्तव

ऐसा बहुत कम होता है कि किसी का लिखा आप पहली बार पढ़ें और पहली बार में ही उसके लेखन के इस हद तक मुरीद हो जाएँ कि लव एट फर्स्ट रीड वाली बात हो जाए। आमतौर पर ऐसा देखने को मिलता है कि लेखक अपनी सबसे ज़्यादा प्रभावी..सबसे ज़्यादा मारक रचना को अपने संकलन में सबसे पहले रखते हैं लेकिन इस बार कहानियों का एक ऐसा संकलन पढ़ने को मिला जिसकी सभी रचनाएँ मुझे एक से बढ़ कर एक लगी। दोस्तों..आज मैं बात कर रहा हूँ आभा श्रीवास्तव जी के कहानी संग्रह "काली बकसिया" की। 

इस संकलन में कुल 16 कहानियाँ हैं और पढ़ने के बाद हर कहानी आपको कुछ ना कुछ सोचने पर मजबूर करते हुए काफ़ी समय तक याद रह जाती है।  ऐसा नहीं है कि लेखिका ने कुछ अनोखे पात्रों का चयन कर अपनी कहानियों को गढ़ा है या फिर ऐसी कहानियाँ आज से पहले हमने कही सुनी या पढ़ी नहीं हैं बल्कि कहानी को ले कर किया गया उनका ट्रीटमेंट पाठकों को सम्मोहित करता है। शुरुआती कुछ कहानियों की बानगी इस प्रकार हैं:

*जैसा बोओगे वैसा ही काटना पड़ेगा..इस बात की तस्दीक करती पहली कहानी है अपने बच्चों से अलग वृद्धाश्रम में रह रही बड़ी बहन की जो अपनी छोटी बहन को पत्र लिख बचपन से ले कर अब तक कि अपनी ग़लतियों की स्वीकारोक्ति कर रही है कि उसने अपने लालच और ईर्ष्या की वजह से हर वक्त छोटी बहन से इस हद तक द्वेष रखा कि उसकी, उसके माँ बाप एवं भाइयों से आपस में फूट डाल कभी बनने नहीं दी। मगर क्या तमाम तिकड़मों..बदनीयतों..कुंठाओं एवं चालबाज़ियों के बावजूद वो कभी खुश रह सकी? 

*जवानी से ले कर अधेड़ावस्था तक जो युवती प्रेमिका के रूप में कहानी के मुख्य किरदार के मन मस्तिष्क में बसी रही, उसी युवती की बेटी के विवाह का निमंत्रण जब उसे मिलता है तो उसके मन में पुरानी यादें..पुरानी बातें..पुराने जज़्बात..पुराना समय फिर से पुनर्जीवित तो हो उठा मगर ये भी तो सच है ना कि..समय बड़ा बलवान है?

*अगली कहानी एयरपोर्ट पर चंद क्षणों के लिए दिखे एक चेहरे के उपरांत घर के पुराने सामान की संभाल करने को मजबूर हुई उस युवती की है जिसे उस सामान में एक फोटो तथा बरसों पुराना विवाह का निमंत्रण पत्र मिलता है। जिसका रहस्य जानने की जिज्ञासा, उत्कंठित कर उसे, उसके ननिहाल जाने को मजबूर कर देती है जहाँ एक अलग ही रहस्य उसका इंतज़ार कर रहा है। 

*पैतृक घर में किसी दावेदार के ना रहने पर उस घर की रैनोवेशन करवा रही उस घर की पोती को पुराने सामान में एक काले रंग की बकसिया(छोटा बक्सा) मिलती है जिसमें किसी के कुछ पुराने प्रेम पत्र हैं। उन प्रेम पत्रों से जुड़ी बातें बेवफ़ाई..धोखे और सामूहिक बलात्कार जैसी दर्द भरी कहानी में अंत तक आते आते इस हद तक जा पहुँचती है कि एक औरत अपने पति की मौत की दुआ तक माँगने लगती है। 

धाराप्रवाह शैली में लिखी गयी इस संकलन की कहानियाँ कहीं मन को उद्वेलित करते हुए झकझकोरती हैं तो कहीं गहन चिंतन में डूबने के मौका भी देती हैं। इन कहानियों को पढ़ते वक्त एक कॉमन बात मैंने नोट की कि लगभग सभी कहानियों में अचानक किसी से कहीं मुलाकात होने के बाद फ्लैशबैक में कहानी आगे बढ़ते हुए फिर से वर्तमान में पहुँच जाती है। अगर कहानियों को अलग अलग समय अंतराल पर अलग अलग किताबों या स्थानों पर पढ़ा जाता तो इस तरफ़ ध्यान भी नहीं जाता लेकिन एक ही संकलन में सभी कहानियों को एक साथ पढ़ते हुए इनमें थोड़ी एकरसता तो खैर दिखी ही। कुछ जगहों पर नुक्तों की कमी दिखाई दी जिसे आने वाले संस्करणों में दूर किया जाना चाहिए।

यूँ तो यह संकलन मुझे उपहार स्वरूप मिला मगर अपने पाठकों की जानकारी के लिए मैं बताना चाहूँगा कि संग्रणीय क्वालिटी के इस 152 पृष्ठीय उम्दा कहानी संकलन के पेपरबैक संस्करण को छापा है हिन्दयुग्म ब्लू ने और इसका मूल्य रखा गया है 150/- रुपए जो कि काफ़ी जायज़ है। आने वाले उज्ज्वल भविष्य के लिए लेखिका तथा प्रकाशक को अनेकों अनेक शुभकामनाएं।

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