"तलाश मुझे है किसकी"
***राजीव तनेजा***
तलाश मुझे है किसकी
क्यूँ ये मैँ नहीं जानता
भूल जाऊँ कैसे उसे
दिल है नहीं मानता
एक झलक देखी जब से
अवचेतन मन बसी तब से
काश मिल जाए वो मुझे
सच जो चाहत है मेरी
भूल जा कहे गर खुदा भी
उडने दूं कैसे अपनी हँसी
पल-पल याद करता दिल
खोज लाउंगा ढूँढ लाउँगा
करूँगा हासिल
***राजीव तनेजा***
1 comments:
बहुत सुन्दर रचना.. हौंसला हासिल करने का कम न हो , बस यही कामना...
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