"नया मेहमान"
***राजीव तनेजा***
"आजकल तबियत कुछ ठीक नहीं रहती थी....
सो!...एक दिन'अपाइंटमैंट'ले'बीवी के साथ जा पहुँचा'डाक्टर'के पास"
"इत्मीनान से चैक करने के बाद मुस्कुराते हुए'डाक्टर'साहब ने कहा...
"बधाई हो!....'नया मेहमान'आने वाला है"
"खुशी से फूला नहीं समा रहा था मैँ"...
"सीधा जा के बीवी को सारी बात बताई तो वो भी मुस्कुराते हुए बोली...
"मै तो पहले ही कह रही थी"....
"आप..माने तब ना"...
"मम्मी भी कह रही थी कि अब पूरी सावधानी बरतनी होगी"...
"ज़्यादा मेहनत मत करना"...
"बस आराम करो"...
"खूब खाओ-पिओ"...
"और हाँ!....अब'ओवर् टाईम'तो बिलकुल नहीं"बीवी शरारती मुस्कान चेहरे पे लाती हुई बोली
"बच्चा एकदम तन्दुरस्त होना चाहिए"...
"समझा करो"...
"मैने भी अनमने मन से हाँ कर दी"...
"आखिर खानदान के होनेवाले'वारिस'का सवाल जो था"
"दिल...'गार्डन-गार्डन'हुए जा रहा था लेकिन थोडा घबरा भी रहा था मैँ क्योंकि ...
पहला-पहला'चांस'जो था हमारा"
"हाँ ...याद आया....
बाजू वाली'शर्मा आँटी'भी कह रही थी कि.."झुकना तो बिलकुल भी नहीं"
"अब बस खाली बैठे-बैठे....आराम ही आराम था"
"खाते-पीते'टीवी'देख-देख के टाईम पास हो रहा था"
"कभी'इंडियन आईडल'...
तो कभी'लाफ्टर चैलेंज"
"कभी-कभार घंटा दो घंटा'चैटिंग'या फिर'मेल-वेल'चैक कर के ही टाईम पास किया जा रहा था"
"जैसे -जैसे समय नज़दीक आता जा रहा था...वैसे-वैसे घबराहट बढती ही जा रही थी"...
"डाक्टर को बताया तो उसने कहा कि"चिंता ना करें,...सब ठीक हो जाएगा"
"धीरे-धीरे वक़्त बीतता जा रहा था"....
"अब तो पेट भी उभरने लगा था"...
"बाहर निकलते हुए शर्म सी महसूस होने लगी थी"...
"उफ!...ये लोगों की'तिरछी नज़र'...
उल्टे-सीधे'कमैंट'..."
"पता नहीं क्या मिलता है इस सब से ?"
"लेकिन नए मेहमान के आने खुशी से बढकर कुछ नहीं था हमारे लिए...
इसलिए किसी की परवाह न कर हम अपने में ही मग्न रहने लगे"
"पेट पर हाथ रखते हुए एक दिन बीवी बोली..."देखो जी ...कितने ज़ोर से हिल रहा है"
"मैने छुआ..तो झट से लात मार दी"
"खुशी के मारे मुँह से शब्द नहीं निकल रहे थे"
"अब'खट्टा'खाने को भी'जी'करने लगा था "
"इसलिए..इमली तो पहले से ही मंगवा के रख दी थी कि कहीं ऐन मौके पे दिक्कत ना हो"
"डाक्टर ने तारीख भी'फाईनल'बता दी थी ...
"अब सब्र कहाँ था हम में?...
"सो!..एक-एक पल काटे ना कट रहा था"..
"उलटी गिनती गिन रहे थे हम दोनो कि....अब इतने दिन रह गये और अब इतने"
"डाक्टर के कहे अनुसार हम डिनर करने के बाद'सैर'को निकल पडते थे रोज़ "...
"एक दिन गली में ही घूम ही रहे थे कि अचानक पाँव फिसल गया और ...नीचे गिर पडा मैँ"
"पता नहीं कौन भला'मानस'हमें अस्पताल पहुँचा गया"
"ऊपरवाले का शुक्र है कि'डाक्टर'जान पहचान का निकल आया"
"सो!...कोई दिक्कत पेश नहीं आई"
"तुरंत ही चैक करने के बाद बोला"आप टाईम पे आ गये हो"...
"अभी'डिलीवरी'करनी पडेगी"
"मैने बीवी की तरफ देखा तो उसने धीरे से मुंडी हिला कर अपनी हामी भर दी तो मैने भी चुपचाप हाँ कर दी"
"टैंशन बहुत हो रही थी क्योंकि डाक्टर ने कहा कि...
'सिज़ेरियन'ही करना पडेगा और कोई चारा नहीं है और खर्चा भी काफी आएगा"
"मेरी तो जैसे जान ही जैसे हलक में अटक गयी"..
"आँसू रोक पाना अब बस में ना था मेरे लेकिन बीवी ने हिम्मत दिखाई और बोली.....
"डाक्टर साहब!...जैसे आपको मुनासिब लगे...आप वैसा कीजिए"...
"कैसे ना कैसे हम मैनेज कर लेंगे"
"फटाफट बडे'डाक्टर'को बुलाया गया....
उनके आने तक'आप्रेशन'की सारी तैयारियाँ पूरी हो चुकी थी"
"आते ही बेहोशी का'इंजैकशन'लगाया गया और उसके बाद कुछ होश नहीं"...
"कुछ याद नहीं"...
"बस हल्की-हल्की सी कुछ आवाज़ें कहीं दूर सुनाई दे रही थी"
"घबराना नहीं"....
"घबराना नहीं"
"हाँ...ज़ोर लगाओ"....
"हाँ...और ज़ोर"...
"शाबाश!..."...
"बस!...हो गया"
"हिम्मत से काम लो"....
"शाबाश!..."
"ऊपरवाले का नाम लो"
"सब ठीक हो जाएगा"
"मैँ भिंचे दाँतों से मन ही मन'इष्ट'देव को याद कर प्रार्थना किए जा रहा था"...
"हे ऊपरवाले!...हमारी लाज रख लो"...
"हमें और कुछ नहीं चाहिए...बस हमारी लाज रख लो"
"अचानक मेरी बन्द आँखें कौंधिया गयी जब एक चमकती हुई सी अनजान सी रौशनी मुझे छू के निकल गयी"
"साथ ही साथ बच्चे के रोने की आवाज़ से हमारी ज़िन्दगी का सूनापन ...अब सूना नहीं रहा"
"खुशी से भर उठा मैँ"
"जिसका मुझे था इंतज़ार...वो घडी आ गई....आ गई"
"हुँह...अब देखूँगा कि कौन हम पे उँगलियाँ उठाता है"...
"कौन ताने कसता है?"...
"एक-एक को मुँहतोड जवाब ना दिया तो मेरा भी नाम'राजीव'नहीं"
"आखिर!...हम बदनसीबो पे तरस आ ही गया'परवर दिगार'को "
"और आता भी भला क्यों ना?"
"कौन सी कसर छोड डाली थी हमने भी उसे मनाने में?"
"हर जगह ही तो जा-जा के सर झुकाया था"...
"चाहे वो...'मन्दिर'हो या फिर कोई'मस्जिद'
यहाँ तक कि'चर्च'और'गुरूद्वारे'भी हो आए थे हम"
"चेहरे पे अब तसल्ली का सा भाव था कि ...चलो एक काम तो बना"
"और यही सबसे मुशकिल काम भी तो था"
"नर्स ईनाम के लालच में आँखो में चमक लाती हुई बोली "बधाई हो..'लडका'हुआ है"
"पाँच सौ का कडकडाता हुआ'नोट'लिए बिना वो नहीं मानी"
"लेकिन कोई गम नहीं...नए मेहमान की खातिर तो ऐसे कई नोट कुर्बान कर दूँ"
"खुशी के मारे सब बावले हो चहक रहे थे"
"बीवी की खुशी छुपाए ना छुप रही थी और...
मेरे आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे"
"खुशी के आँसू जो ठहरे"...
"हमारा'ओवर टाईम'अपना रंग और कमाल दोनों दिखा चुका था"
"आखिर!...'कडी मेहनत'...
'पूरी लगन'...
'पक्का इरादा'और साथ ही मंज़िल तक पहुँचने का'ज़ुनून'जो था"
***राजीव तनेजा** *
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gajab ki post
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