"मेरे ख्यालों में"
***प्रभाकर***
(मेरे अंकल द्वारा लिखी हुई एक गज़ल)
मेरे ख्यालों को बुलन्द परवाज़ दे
एहतिरामे ज़ुबाँ हो वह अलफाज़ दे
मेरे तसव्वुर में बस उभरे तेरी तसवीर
मेरी ज़ुबाँ पे बस तू अपनी आवाज़ दे
मेरा वजूद तेरे वजूद से है कायम
मुझे अपनी रहमत से तू नवाज़ दे
तेरी जल्व:गरी का रहा मुन्तज़र"प्रभाकर"
मेरी तलाश को अब तू नवाज़ दे
तारीक-ए-जहालत में गुज़रे क्योंकर
मेरे हाथों में अब इल्मे-चिराग दे
जो पेड ना दे साया मुसाफिर को
तू कैसे उसे उम्र दराज़ दे
बुलन्द= ऊँची , परवाज़=उडान
अलफाज़=शब्द , तसव्वुर=ख्याल
जल्व:गरी=दीदार , एहतिराम-इज्जत देना
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