"शादी का लड्डू"

"शादी का लड्डू"

***राजीव तनेजा***

दोस्तो!..सर्दियाँ चालू होने वाली हैँ....

तैयार हो जाओ...

खर्चे का मौसम जो आ गया है"


अब आप पूछेंगे कि "सर्दी से खर्चे का भला क्या कनैक्शन है ?"


"तो भैया मेरे,...बडा ही तगडा कनैक्शन है ...

"अब यार पहले पूछो तो सही....

तभी तो मैँ बताऊँ या फिर यूँ ही ...

'गली-गली'जा-जा के धक्के खाते हुए मुफ्त में ही ज्ञान बांटता फिरूँ?"

"कोई इज्जत है कि नहीं मेरी?"

लो अब आप सोचने लगे कि..."अपने मुँह से कैसे कहें?"


"चल छोड यार मेरे!"...

"जब बिन ही माँगे मोती मिल रहे हैँ तो फिर पूछ के करोगे भी क्या ?"

"चलो आप भी क्या याद करोगे कि कोई दिलदार मिला था कहीं"

"खुद ही बता देता हूँ"

"ज़्यादा सस्पैंस भी ठीक नहीं"

"क्या कहा?"

"अच्छा रुकूँ?"....

"पता चल गया आपको?"

"ये तो बडी ही अच्छी बात है कि आप सिर्फ इशारे भर से ही समझ गये"

"समझाने की ज़रूरत ही नहीं है"

"अच्छा भला बताओ तो सही कि क्या मतलब था मेरी बात का?"

"धत तेरे की"...

"कर दी ना आपने वही छोटे लोगों वाली बात"

"अब मियाँ इतनी छोटी-छोटी बातें करोगे तो भला बडे आदमी कैसे बनोगे?"

"बडा आदमी बनना है कि नहीं?"

"या फिर यही इसी तरह छोटे लोगों की तरह तमाम ज़िन्दगी बिता देने का इरादा है"

"लो कर लो बात.....कह रहे हैँ कि...

"सर्दी की वजह से ठ्ण्ड बढ जाएगी,...

'रजाई'खरीदनी पडेगी....

तो खर्चा बहुत बढ जायेगा"


"कर दी ना फिर'बिहारियों'वाली बात"

"अरे मियाँ!..ऐसी छोटी-छोटी बातें ही करते रहे तो ...

भले ही पूरी ज़िनदगी गुज़र जाये...

बडा आदमी बनना तो दूर की बात है ...

तुम तो इस सोच के भी आस-पास नहीं फ़टक पाओगे"


"लगता है मुझे ही सब कुछ समझाना पडेगा"लेकिन...

"अब ये तो तुम पर है कि कितना दिमाग लगाते हो और...

कितना बचा के रखते हो अपनी होनी वाली 'बीवी'के लिये"


"अरे ये क्या?"...

"कमाल है ?"...

"मेरे मुँह से खुद-बा-खुद असली बात बिना कहे निकलने लगी"

"चमडे की ज़बान जो ठहरी,कभी फिसल भी जाती है बेचारी"

"चलो जब आधी बात आपको पता चल ही गयी है,तो बाकी आधी से आपको महरूम क्यों रखा जाये?"

"दर-असल बात ये है कि सर्दियों में शादी करने का सबसे अच्छा सीज़न होता है"

"ना तो वो गरमी की तपतपाती 'लू',...

"ना वो एक-दूसरी का 'टावल'से पसीना पोंछना",...

"ना ही वो पँखे की 'घरर-घरर',...

"ना ही कूलर में बार-बार पानी डालने का झंझट"...और ना ही...

'A/C'के चक्कर में बिजली के लम्बे चौडे बिल"


"अब यार बिजली के ये लम्बे-चौडे बिल देख के अपना तो दिमाग ही काम करना बन्द कर देता है"

"या फिर....

'सरकार'...

'पडोसियों'...और....

'दुशमनों' की टेढी नज़र बचा कर रात के अन्धेरे में चुप-चाप...

'सरकारी'खम्बे पर चढ कर 'तार'जोडना"

"बडी कोफ्त होती होगी ना?"

"अमाँ यार!...तुम भी अजीब हो ,...

जब सारी-सारी रात खम्बे पर चढ कर ही गुज़ार दोगे ,तो फिर....

शादी का आनंद क्या खाक उठाओगे?"

"और फिर हर समय यही डर कि कही कोई 'मरदूद'कम्प्लेंट ही ना कर दे "

"या फिर कोई 'नास-पीटा'तार ही ना चुरा डाले चुपके से"

"अगर ऐसा हुआ तो फिर ...

'डोलते'फिरना लट्ठ लिए गली-गली"


"यही सब करने की सोचने लगे ना?"

"हद हो यार तुम भी"

"लेकिन इस सब से पहले एक बात तो ध्यान से सोचो ज़रा कि ...

अगर उसे चोर कह रहे हो तो भला सबसे बडा चोर कौन हुआ?"


"आईने में देखो ज़रा..

खुद ही बडे चोर बन गये ना अपने आप?"


"पता नहीं ये साला!..दिमाग को क्या होता जा रहा है?"

"बात 'सर्दियों'से शुरू होकर...

'रजाई'से होती हुई'शादी'के जरिए...

'गरमी','कूलर'और....

'A/C' से मिलते हुये 'खम्बे' पर चढ कर चोर तक कैसे जा पहुँची"


"अब क्या करूँ यार?"

"आप बातें ही इतनी 'मसालेदार'करते हो कि ध्यान ही नहीं रहा कि बात 'घूम-फिर'कर ...

'कहाँ'से होती हुई 'कहाँ की कहाँ'जाती जा रही है"


"लगता है जैसे हम फिर अपनी मंज़िल से भटकने लगे"

"बात हो रही थी कि शादी की"

"तो यार मेरे!...शादी का असली मज़ा 'गरमी'में नही बल्कि 'सर्दी'में ही है"

"भले ही जेब थोडी ज़्यादा क्यों ना ढीली करनी पडे लेकिन शादी सिर्फ और सिर्फ सर्दी में ही करना"

"कौन सा रोज़-रोज़ हो रही है?"

"अब जब 'शादी'की बात निकल ही पडी है तो एक बात बडे ही ध्यान से गांठ बाँध लो"....

"बाद में फिर ये ना सुनने को मिले कि "राजीव ने तो बताया ही नहीं"

"अब यार! ...आप पूछोगे नहीं तो कोई क्यूँ बताने लगा खुद ही?"

"अच्छा छोडो ये सब...

दर-असल बात ये है कि आपने अपने बडे-बूढों से तो सुना ही होगा कि ...

"शादी वो 'लड्डू'है...जो खाए वो 'पछताए'.....

और जो ना खाए .......वो भी 'पछताए'"


"समझे कुछ?"...

"या फिर लद्दू के नाम से ही मुँह में पानी आने लगा?"

"अब यार!.. जब ऊपरवाले ने मुँह दिया है और 'लड्डू'की बात चल निकली है ..

तो फिर मुँह में पानी आना तो लाज़मी ही हुआ ना?"

"इसमें अचरज की क्या बात है?"


"अब जब मुँह में पानी आ ही गया है तो यार!..अपनी शादी में 'लड्डू'ज़रूर बनवाना"

"समझ गये ना कि 'बनवाना'है....

"मैँ ये नहीं कह रहा कि'मंगवाना'बल्कि मैँ तो ये कह रहा हूँ कि'बनवाना'"

"कहीं ये ना कर बैठना कि चुप-चाप से'साईकिल'उठाई और चल दिए मुँह उठा के सीधे ...

चौक वाले'मुस्सदी लाल'हलवाई की दुकान पर कि ...

"ले बेटा 'तौल'दे दस-बीस किलो"

"घर पर ही....

खुद ही अपनी 'निगरानी'में...

अपनी 'तेज़ नज़रों'के सामने ...

'पूरी सफाई'के साथ"...

बडे ही 'प्यार'से ,...

बिलकुल सही'नाप-तौल'से'लड्डू'असली'देसी घी'में ही बनवाना"

"ये नहीं कि किसी बेकार से पडे'रिफाइंड आयल'...

या किसी..'कनस्तर' से बचे हुए 'डालडा'में बनवा लेना"


"अगर शादी का मामला नहीं होता तो यार!...कुछ भी करते...

'कोई फर्क नहीं पडता'किसी को कि ...

'खराब माल'से बने हुए 'लड्डू'खाने से कितने 'मरे'और कितने 'बिमार'हुए?"

"शादी का मामला है...

कुछ तो सोचो कि ....

क्या असर पडेगा उस पर जो आपके घर में रहने आ रही है और उसके रिश्तेदारों पर?"


"हाँ तो फिर ध्यान रहेगा ना कि'माल'बिलकुल'असली'इस्तेमाल करना है...

भले ही बेशक थोडा-बहुत'कर्ज़ा'कर लेना"

"कोई गम नहीं"

"लेकिन ये'कर्ज़ा'आखिर लोगे किस से ?"

"अब आप मेरी तरफ यूँ क्यूँ ताकने लगे?"

"अपना हाल तो पता ही है आपको...

"खुद देखते ही तो हो कि मैँ कभी...

'बुरखा'पहन कर,...

तो कभी 'सर मुँडवा'कर,...

तो कभी 'नकली मूछें'लगा कर.. ..

तमाम लेनदारों से बचता फिरता हूँ"

"अब अपने मुँह से कैसे कहूँ कि इस मामले में तो अपुन बिलकुल ही 'ठन-ठन गोपाल'हैँ"

"बेहतर होगा कि हमसे कोई उम्मीद भी ना रखना"

"हाँ कभी अगर किसी भी तरह की'सलाह'की ज़रूरत आन पडे तो शरमाना बिलकुल भी नहीं"

"सिर्फ इशारा भर कर देना"

"'बे-हिसाब'और 'अनगिनत'दे दूंगा"


"छडड यार!....ये कर्ज़े-वरज़े के नाम से ही मेरी तो हिचकियाँ शुरू हो गयी"

"इसका तो अपने आप ही'जुगाड'करते रहना"


"'जुगाड'पता है ना?"

"अरे यार ये 'हिन्दुस्तान'और 'पाकिस्तान'में हर चीज़ जुगाड से चलती है"
"चाहे वो 'स्कूटर'हो....

'टट्टू ठेला'हो...

'रिक्शा'हो या फिर ...

'कोई भी'...

'किसी भी तरह की'चलने वाली चीज़"

"यहाँ तक की इन दोनों देशों की'सरकारें'भी जुगाड से ही चलती है"

"अब तो ये 'फिरंगी'भी ये सोच-सोच पछ्ता रहे हैँ कि...

'आज़ाद'करते वक़्त ये साला'जुगाड'यही क्यूँ छोड दिया?"

"कोहेनूर'के साथ-साथ इसे भी गायब कर देना था"


"क्यूँ ठीक कहा ना मैने?"...

"अगर आपको तनिक सा भी लगे कि ....

ये राजीव का बच्चा बिलकुल 'सोलह आने दुरस्त'बात कर रहा है तो...

'कमैंट बाक्स'में एक-आध प्यारा सा रिपलाई ज़रूर मार देना"

"अरे ये क्या?"

"ये तो लगता है कि मैँ बिना किसी की इच्छा के अपना'एड'खुद ही दिखाने लगा"

"वो भी बिना किसी ब्रेक के"

"वाह रे!...'मियाँ-मिट्ठू' वाह!..."

"धत तेरे की...ये 'लड्डू'साला तो फिर गायब होने लगा'टापिक'से "

"लगता है सचमुच ही 'असली घी'में तैयार हो रहा है"...

"फिसले जो जा रहा है बार-बार"

"अब यार! तुम कहीं अब ये ना पूछ बैठना कि आखिर ये 'लड्डू'बनता कैसे है?"


"नहीं पता?"

"तो फिर लो ना....

"भला कौन मना करता है?....

"और आखिर करे भी क्यूँ?"...

"शादी का मामला जो ठहरा",लेकिन...

'किंतू'....,

'परंतू'....बात ये है कि...

ये लड्डू बनाने का तरीका कम्भख्त मारी अपुन की आठवीं माशूका ने अँग्रेज़ी में भेज दिया है 'मेल'में ...


"बावली को पता भी है कि'अँग्रेज़ी'मे अपुन थोडा पैदल है"

"अब अपने मुँह से कैसे कहें कि ...

'कहीं-कहीं'...

'थोडा-बहुत'...

'लेफ्ट-राईट'हो ही जाता है ना मिस्टेक से"

"अब यार आप तो जान ही गये हैँ कि ये बन्दा एक बार जो शुरू हुआ तो...

'कब रुकेगा?'...

'कौन जाने?"

"सो आप मेरी फिकर छोड,...

मज़े से लड्डू बनाने का तरीका सीख लें ,वो भी 'अँग्रेज़ी'में"

"अगर समझ आ जाए तो'वैल एण्ड गुड'....

'अच्छी बात है' ...

"नहीं तो वो कोने वाली दुकान तो है ही अपने'मुस्सदी लाल'हलवाई की








"Besan Ka Ladoo"
----------------

Ingredients :

Ghee - 225 gms

Besan - 225 gms

Castor sugar - 350 gms

Cashewnuts chopped - 1 tsp

Almonds chopped - 1 tsp

Pistachio - 1 tsp

Method:


Place the ghee and besan in a pan over a low heat.
Keep stirring the mixture to avoid the formation of lumps.
When the mixture is cooked, it will release an aromatic flavour.
Remove the pan from the heat and let it cool.
Add the sugar and chopped cashewnuts to the besan mixture and
stir in thoroughly.
Now mould small balls of appropriate size, from the mixture
Serve hot or cold

'जय हिन्द"'

***राजीव तनेजा***

Rajiv Taneja"

1 comments:

Anonymous said...

कागझ के लड्डू...। मझेदार

 
Copyright © 2009. हँसते रहो All Rights Reserved. | Post RSS | Comments RSS | Design maintain by: Shah Nawaz