अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते -राजीव तनेजा

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते 




कभी कच्ची धूप से खिलते
कभी घुप्प अँधेरे में सिमटते 
तुरत फुरत इस पल बनते
झटपट उस  पल बिगड़ते

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते

बेगानों संग प्रीत जताते
अनजानों संग पेंच लड़ाते
कभी हँसते तो कभी रोते
सपने पर नित नए संजोते

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते

कभी किले हवा में हवाई बनाते
कभी रेतीली ज़मीं पर
कदम अपने ठोस टिकाते 
कभी वीराने में मरुद्यान ढूंढते 
कभी छिछली रेत में
समंदर उजला तलाशते

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते

अपनों को खुडढल लाइन लगा
बेगानों में खुशी सच्ची तलाशते
बिन मतलब इधर बढते उधर भटकते
निजता खोते  संभाले न सँभलते

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते

यहीं पर खाते यहीं पर पीते
यहीं पर नहाते यहीं पर धोते
दामन अपना हमेशा पाक साफ़ बताते
अपने किए पे कभी खुद खेद जताते
तो कभी लांछन दूजे पे सौ सौ लगाते

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते

कभी बेगानी शादी में
अब्दुल्ला बन दीवानों सा नाचते
कभी अपनों से ही हर पल कतराते
कभी बिन चाबी का ताला खोजते
कभी पैसों में हर चीज़ को तोलते

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते

कभी खुद को पाते कभी खुद को खोते
बेवजह इनमें पिसते एडियों को घिसते
पागल बन बिन मौसम बरसात माँगते 
आवारा बन सच्चा जीवन साथ चाहते

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते

इक पल में लाखों अरमां जवां कर डालते
पल अगले ही सबकुछ तबाह कर डालते
पल अगले ही सबकुछ तबाह कर डालते

अजब ये फेसबुक और अजब इसके रिश्ते 


***राजीव तनेजा***

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छोड़ो ना कौन पूछता है (ऑडियो) - राजीव तनेजा

मेरी कहानी छोड़ो ना...कौन पूछता है का ऑडियो वर्ज़न अर्चना चावजी की आवाज़ में 

archana_chaoji[3]

 

 

 
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