हाथ बन्द ना हो और काम *&^%$#@ ना हो- राजीव तनेजा

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“हैली!…इज इट…..9810821361?

“येस्स!…स्पीकिंग"…

“आप फलाना एण्ड ढीमका प्लेसमेंट एजेन्सी से बोल रहे हैं?”…

“जी!…बिलकुल बोल रहे हैं"…

“थैंक गाड…बड़ी ही मुश्किल से आपका नंबर लगा है…सुबह से ट्राई कर रहा हूँ"…

“जी!…आजकल बड़ा सीज़न चल रहा है ना…इसलिए"…

“ठण्ड का?”…

“नहीं!…बेरोजगारी का"…

“जी!…जिसे देखो…वही…मन हो ना हो…बेरोजगार बन के घूम रहा है"…

“और जिसे ना देखो?”….

“वही कामयाब नज़र आता है"…

“तो फिर जो कामयाब हैं…आप उन्हें क्यों नहीं देखते?”…

“कैसे देख सकता हूँ?”….

“आँखों से"…

“लेकिन देखते ही जो इनफीरियरटी काम्प्लेक्स आ जाता है खुद में…उसका क्या?”…

“जी!…ये बात तो है"….

“जी!….इसलिए मैं इन तथाकथित कामयाब लोगों की तरफ देखना तो क्या मुँह करके मूतना तक पसन्द नहीं करता”….

“अच्छा करते हैं आप….ऐसे ही बेकार में खामख्वाह हीनभावना हमारे ज़हन में अपना घर बसाए…क्या फायदा?”… 

“जी!…

“अब क्या इरादा है?”…

“कुछ कर दिखाने का"…

“दैट्स नाईस"…

“जी!..

वैसे!…आप क्या कर के दिखाना चाहते हैं?”…

“ऐसा कुछ भी जिससे भले ही कोई आमदनी हो या ना हो लेकिन मुझे और मेरे जान-पहचान वालों को इतना ज़रूर लगे कि मैं कुछ कर रहा हूँ…वेल्ला नहीं बैठा हूँ"…

“ओह!…अच्छा…तो इसलिए आप हमारी शरण में आए हैं"…

“नहीं!…मुझे पागल कुत्ते ने जो काटा है"…

“ओह!…रियली?….दैट्स नाईस"…

“नाईस?"…

“जी!…

“वो कैसे?”….

“आपको पागल कुत्ते ने काटा…तभी तो आपको हमारी याद आई"…

“ओ!…हैल्लो…कुत्ते ने मुझे नहीं बल्कि मेरी बीवी को काटा"…

“तो?”…

“तो क्या?…हमारे घर में कमाने वाली इकलौती वही थी"…

“ओह!…अच्छा…उसे पागल कुत्ते ने काटा तो वो काम से लाचार हो गयी और इसलिए उसने तुम्हें….

“ओ!…हैल्लो…उसे सचमुच में नहीं बल्कि वर्चुअली रूप से पागल कुत्ते ने काटा और वो मेरे पीछे पड गयी"….

“हाथ धो के?"….

“नहीं!…मुँह पोंछ के"…

“मुँह पोंछ के?"..

“जी!…उसके मुँह को स्वाद जो लग चुका था"…

“खून का?”…

“नहीं!…बढ़िया खाने का"…

“तो?”…

“तो क्या?…पागल की बच्ची मुझे कहती है कि अब तुम भी कमा के लाओ…तभी पार पड़ेगी"….

“पार पड़ेगी या मार पड़ेगी?”…

“कमा के नहीं लाया तो मार पड़ेगी"…

“ओह!…अच्छा"…

“ख़ाक!…अच्छा…अच्छी-भली आराम से कट रही थी…अब पापड बेलने पड़ेंगे"….

“आप पापड बेलना चाहते हैं?”….

“जी!…

“लेकिन क्यों?”….

“गांधी जी ने जो कहा है"…

“क्या?”….

“यही कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता"…

“बस!…उसके दाम में फर्क होता है"…

“जी!….

“अब आप क्या चाहते हैं?”…

“यही कि आप मुझे अपनी प्लेसमैंट एजेन्सी के जरिये कोई ऐसा काम दिलाएँ जहाँ हाथ बन्द ना हो और काम &^%$#@ ना हो”…

“आप ऐसा क्यों चाहते हैं कि ‘हाथ बन्द ना हो और काम &^%$#@ ना हो’”…

“अब आपसे क्या छुपाना?…दरअसल!…मेरी नीयत ही ठीक नहीं….एक्चुअली…मैं चाहता ही नहीं कि मैं कोई ढंग का काम करूँ?”…

“तो फिर इस सारे ड्रामे को रचने की कवायद किसलिए?”…

“अभी बताया ना कि मेरी बीवी को….

“पागल कुत्ते ने काटा है?”…

“जी!…और अब वो अपने रिश्तेदारों और संगी-साथियों के जरिये मुझ पर दबाव डाल रही है कि मैं कुछ करूँ?”…

“आपके ना चाहने के बावजूद भी?”…

“जी!…

“और आप चाहते हैं कि … ‘हाथ बन्द ना हो और काम &^%$#@ ना हो’?”…

“जी!…बिलकुल"…

“तो फिर आप एक काम कीजिये…सरकारी बाबू या क्लर्क बन जाइए"…

“नहीं!…वो तो मेरे बस का नहीं है"….

“लेकिन क्यों?”…

“वहाँ तो मैं मर-मर के करूँगा या फिर जैसे भी करूँगा…कुछ ना कुछ काम तो होगा ही"…

“तो?”…

“दरअसल!…मैं सिर्फ ये दिखाना चाहता हूँ कि मैं कुछ काम कर रहा हूँ और जीजान से मन लगा कर कर रहा हूँ"…

“लेकिन असलियत में आप चाहते हैं कि काम हो ही ना?”…

“जी!…

“तो फिर आप एक काम कीजिये"…

“क्या?”…

“आप कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर सांसद बन जाइए"…

“तो?…उससे क्या होगा?”….

“यही कि ‘हाथ बन्द ना हो और काम *&^%$#@ ना हो’"….

“वो कैसे?”…

“कैसे…क्या?…अभी भी तो ‘लोकपाल बिल' को लेकर यही सब हो रहा है कि ‘हाथ बन्द ना हो और काम *&^%$#@ ना हो’"….

“जी!…लेकिन कांग्रेस पार्टी तो दुनिया की भ्रष्टम पार्टियों में से एक…उसके साथ मेरी पटरी कैसे बैठ सकती है?”…

“खैर!…छोडो….इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा….आप किसी भी पार्टी को ज्वाइन कर जैसे-तैसे सांसद बन जाइए…आपका काम हो जाएगा"…

“वो कैसे?”…

“दरअसल!…कोई भी पार्टी अपने सर पे ये ‘लोकपाल बिल' रूपी तलवार लटकती देखना नहीं चाहती और किसी ना किसी बहाने से इसकी राह में रोडे अटकाएगी ही अटकाएगी"…

“ओह!…अच्छा…थैंक्स…थैंक्स फॉर यूअर काईंड एडवाईस"….

“इट्स माय प्लेज़र"…

“बाय"…

“ब्बाय"….

***राजीव तनेजा***

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+919213766753

बोलो तारा रारा-राजीव तनेजा

slap

शरद को हरविंदर मिला करके लम्बे हाथ
करके लम्बे हाथ   थप्पड़ जोर से मारा
थप्पड़ जोर से मारा काबू रहा ना गुस्से पे

चढ गया ऊपर पारा….

चढ गया ऊपर पारा

सूज गयी सारी आँख सूज गया बूत्था सारा

सारे मिल के बोलो  तारा रारा…तारा रारा

***राजीव तनेजा***

 
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