"अब तक छ्प्पन"
"अब तक छ्प्पन"***राजीव तनेजा***"ये साला!.....कम्प्यूटर भी गज़ब की चीज़ है ....गज़ब की क्या?......बिमारी है साला....बिमारी""एक बार इसकी लत पड गयी तो समझो कि....बन्दा गया काम से" "कुछ होश ही नहीं रहता" ....."ना काम-धन्धे की चिंता" ....."ना यार-दोस्तों की यारी" "यहाँ तक की बीवी-बच्चों के लिये भी टाईम नहीं होता" .... "बस हर वक़्त क्म्प्यूटर ही कम्प्यूटर" "शुरु में तो खाना-पीना तक छूट गया था""ना दिन को चैन और ना ही रात को आराम",...."हर वक़्त बस काम ही काम"..."अब अपने मुँह से कैसे कहूँ कि ....क्या काम करता था मैँ?""अरे कुछ खास नहीं,बस वही सब जो आप अपने बुज़ुर्गों से ...'छुप-छुप के'... 'चोरी से' ......"समझ गये ना?""बीवी बेचारी की तो समझ...