क्या हम ब्लॉगर देशभक्त हैँ?
कर चले हम फिदा जान औ तन साथियो...
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो
अरे!...ये क्या?...मैँ तो अभी से मरने की बातें करने लगा....अभी तो हमें बहुत लिखना है...बहुत पढना है...अपने ओजस्वी लेखों के जरिए देश और समाज में अलख जगाना है
आज ऐसे ही दिल में सवाल उठा कि क्या हम ब्लॉगर देशभक्त हैँ?...
- क्या हम में देश सेवा का जज़्बा कूट-कूट कर भरा हुआ है?
- क्या भ्रष्टाचार और अन्याय होते देख हमारा खून खौल उठला है?...
- क्या किसी गरीब...किसी मज़लूम...किसी बेसहारा के उत्थान के लिए हम दिल से कोशिश करते हैँ?...
शायद नहीं...
गाँधी जी ने अपने समय में हिन्दु.मुस्लिम.सिख और ईसाई...सभी को एकजुट कर के अँग्रेज़ों से लोहा लिया था...लेकिन यहाँ हम छोटी-छोटी बातों को अपना अहम बना लेते हैँ...यहाँ कोई किसी धर्म को लेकर एक पोस्ट लिखता है ...तो हम उसे बहस का मुद्दा बना आपस में लड़ने-झगड़ने लेते हैँ
कल्पना कीजिए कि हम ब्लॉगरों को भी अपने मुन्ना भाई की तरह यदि कभी गाँधी जी से मिलने का मौका मिले तो क्या हम में भी वो जोश...वो ज़ुनून पैदा नहीं हो जाएगा कि हम देश के खिलाफ काम कर रही...हिन्दी ब्लॉगिंग के खिलाफ काम कर रही ताकतों का मुँहतोड़ जवाब दे सकें?