मृगया- अभिषेक अवस्थी

साहित्य क्षेत्र के अनेक गुणीजन अपने अपने हिसाब से व्यंग्य की परिभाषा को निर्धारित करते हैं। कुछ के हिसाब से व्यंग्य मतलब..ऐसी तीखी बात कि जिसके बारे में बात की जा रही है, वह तिलमिला तो उठे मगर कुछ कर ना सके। वहीं दूसरी तरफ मेरे जैसे कुछ व्यंग्यकार मानते हैं कि व्यंग्य में तीखी..चुभने वाली बात तो हो मगर उसे हास्य की चाशनी में इस कदर लपेटा गया हो कि उपरोक्त गुण के अतिरिक्त सुनने तथा पढ़ने वाले सभी खिलखिला कर हँस पड़ें।आज व्यंग्य की बात इसलिए दोस्तों कि आज मैं अनेक प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगातार...