उफ्फ़!..तौबा ये वर्ल्ड कप- पहला अंतराष्ट्रीय हिन्दी ब्लोगर सम्मलेन बांगलादेश में(7)-राजीव तनेजा

anup and sameer

उफ्फ़!…तौबा ये वर्ल्ड कप वाले भी ना बस…वर्ल्ड कप वाले ही हैं…तुरन्त अपनी फटफटी पे आ के कहने लगे मुझसे… “मान ना मान..मैं तेरा मेहमान”…

मैंने पूछा उनसे कि… “भईय्या…वो कैसे?”…

छूटते ही कहने लगे “पहले आप अपने ये शब्द वापिस लें"…

मैंने कहा “कौन से?”…

वो बोले… “हम अपने मुँह से कैसे कहें?”…

मैंने कहा कि… “आपके मुँह में पान…गुटखा या फिर तम्बाकू है क्या?”…

वो बोले “कतई नहीं…इनसे तो कैंसर होता है"..

मैंने पूछा “फिर क्या दिक्कत है?”..

वो बोले.. “बोलने में ही तो दिक्कत है"…

मैंने कहा “तो फिर लिख के बता दीजिए"…

padam singh

“जी!…बिलकुल"…

“लेकिन हिन्दी में"…

“फिर तो मुश्किल है"…

मैंने कहा… “क्यों मुश्किल है?…इतना आसान तो है"…

“दरअसल!…हमें हिन्दी लिखना नहीं आता"…

“हिन्दी लिखना नहीं आता?…इतना आसान तो है… ‘ह’ के ऊपर छोटी ‘ई’ की मात्रा फिर आधा ‘न्’ और उसके बाद…

“न्न्..नहीं!…दरअसल हमें हिन्दी में लिखना ही नहीं आता"…

“क्या लिखना नहीं आता?”…

“क्क…कुछ भी नहीं"…

“क्क..क्या?”…

“जी!…

“लेकिन क्यों?”..

“क्यों…क्या?…कभी सीखने की ज़रूरत ही नहीं समझी"…

मैं बोला “वाह!…बहुत बढ़िया…हिन्दी लिखना नहीं आता है लेकिन हिन्दी वालों को अपना माल बेच पैसा कमाना आता है?”….

“ही…ही…ही…उसमें तो हम एक्सपर्ट हैं"..

“एक्सपर्ट नहीं हैं बल्कि हमारे देश की जनता पागल है जो आप जैसे अंग्रेज़ी के पिट्ठुओं के आगे-पीछे नाचती है"…

“खैर!…जो भी हो आप बस पहले अपना ये शब्द ‘भईय्या’ वापिस लें"…

“क्यों?…इसमें क्या दिक्कत है?”…

“दरअसल!…क्या है कि हम आपके इस पूरे देश पर…इसके दिल और दिमाग पर छा जाना चाहते हैं ना कि सिर्फ एक प्रदेश या राज्य पर"…

“ओह!…तो फिर ऐसा कहना था ना…बताइये…मैं आपकी क्या खिदमत कर सकता हूँ"…

“बस!..आप अपनी ये पहले अंतराष्ट्रीय हिन्दी ब्लोगर सम्मलेन वाली रिपोर्ट से पहले हमारे कुछ खिलाड़ियों को अपने इस ब्लॉग मंच पर अपना जलवा बिखेरने का चाँस दे दें"…

“लेकिन!…क्यों?”…

“जब से आपने ND T.V के कार्यक्रम ‘हम लोग' में डायलाग मारा है…तब से आपके ब्लॉग की टी.आर.पी बढ़ गयी है"…

“तो?”…

“हम उसी का फायदा उठाना चाहते हैं"..

“मुफ्त में?”…

“जी!…बिलकुल"…

“अच्छा!…तो फिर ठीक है…जाओ…मौज करो…आप लोग भी क्या याद करोगे कि किसी दिलदार से पाला पड़ा है"..

“जी!…शुक्रिया"…

dinesh rai

avinash

khushdeep 

sameer lal

 shivam 

17 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

जाओ…मौज करो…क्या याद करोगे कि किसी दिलदार से पाला पड़ा है"

हा हा हा

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

जब से NDTV के कार्यक्रम ‘हम लोग' में डायलाग मारा है…तब से ब्लॉग की टी.आर.पी बढ़ गयी है"

और ब्लॉगरों की भी :)

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

आज तो लग रहा है कि सौ दो सौ टिप्पणी कर ही दूं, लेकिन बाकी मित्रों के लिए भी स्पेस छोड़ना पड़ता है। :)

Khushdeep Sehgal said...

ब्लॉगरों की टीम अब दुनिया फतेह करने के लिए तैयार है...

जय हिंद...

बाल भवन जबलपुर said...

ham log hee vishv ko chalayenge
pakka

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बढ़िया टीम बनी है ... :)

Padm Singh said...

bahut sahi.... :) australia Gayee kaam se :)

शिवम् मिश्रा said...

सही है महाराज ... आजकल एकदम मस्त फॉर्म में है आप ... जमे रहिये मैदान में !

राज भाटिय़ा said...

मस्त जी मस्त अगर मुफ़त मे रेफ़री चाहिये तो मुझे याद रखे.मोहल्ले की लडाई मे हमेशा हमीं रेफ़री होते थे, ओर छोटी सी बात बतगड बन जाती थी...

ताऊ रामपुरिया said...

थर्ड एंपातर के लिये मैं अपनी सेवाएं मुफ़्त में देने को तैयार हूं.:)

रामराम.

Udan Tashtari said...

हा हा!! मजेदार...

ताऊ रामपुरिया said...

भूल सुधार :-

एंपातर = एंपायर

पढा जाये.

रामराम

Udan Tashtari said...

ताऊ आजकल वर्तनी पर ध्यान सटाये हैं....

ताऊ रामपुरिया said...

@ उडनतश्तरी

ताऊ और राज भाटिया ५ वीं फ़ेल हैं, इस बार दोनों ने ५ वीं पास करने की ठान ली है सो दोनों ही ने वर्तनी सुधारने के लिये मिस समीरा टेढी से ट्युशन लेना शुरू किया है. यह उसी का परिणाम है.:)

रामराम

Satish Saxena said...

छा रहे हो गुरु तनेजा ....शुभकामनायें !

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Unknown said...

Bahut accha

 
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