चढ़ी जवानी बुड्ढे नूं

{पति ड्रेसिंग टेबल के आगे सज संवर रहा है ।उसको देख कर उसकी पत्नी कैमरे की तरफ मुंह करके शुरू हो जाती है।}

"देखा आपने कैसे बुढ़ापे में इनको ये सब चोंचले सूझ रहे हैं।  बताओ...ज़रा से बाल बचे हैं सिर पर लेकिन जनाब को तो हफ्ते में दो बार शैम्पू विद कंडीशनर इस्तेमाल करना है और ड्रायर...ड्रायर तो बिना नागा रोज़ ही फेरना है। अब आप ही बताओ क्या रोज़ रोज़ ड्रायर फेरना सही है? एक तो पहले से ही खेत बंजर होता जा रहा है। ऊपर से ये क्या कि बची खुची फसल को सुखा मारो? माना की कभी शशि कपूर जैसी पर्सनैलिटी थी लेकिन अब...अब कुछ दिन और ऐसे हालात रहे ना तो पिंचु कपूर तक पहुँचते देर नहीं लगेगी।"

"औरों की तो छोड़ो...अपने घर में...अपने ही बीवी बच्चों से कंपीटीशन करने चले है।"

"जब से ये मुय्या ऑनलाइन का सिस्टम शुरू हुआ है। घर बैठे जनाब मोबाइल पे उंगलियाँ टकटकाते हैं और कभी बाल रंगने का डाई तो कभी दाढ़ी मुलायम करने की क्रीम घर बैठे मँगवा मारते हैं।  बताओ जवानी में तो कभी सोचा नहीं...अब  इस उम्र में ये मुलायमियत का एहसास करवाएंगे?"

'मैं तो सच्ची तंग आ गयी हूँ इनसे। कभी फेसवाश तो कभी माउथ वाश....अब मुँह के अंदर थोड़ी बहुत ठंडक आ भी गयी तो बताओ किसको फ्रैशनैस का फील करवाना है? और सुनो...थोड़ी सी दाढ़ी चिट्टी क्या नज़र आने लगी..कहने लगे कि...

"उठा कूची और फेर से समूची।"

"कोई बताए इनको कि इस उम्र में इनको अब भजन कीर्तन और माला जपना वगैरह शुरू कर देना चाहिए लेकिन नहीं...जनाब को तो संजय दत्त के कीड़े ने काटा है। कहते हैं कि 300 प्लस की गिनती पार कर के रहेंगे। डीजे पे डाँस करने लगें तो दो ठुमकों में ही हांफ..हांफ चिल्लाने लगते हैं कि....

"हाय मेरी कमर...उफ्फ मेरी कमर।" 

"लेकिन नहीं...जनाब को तो सदाबहार के कीड़े ने काटा है ना। बताओ... देव आनंद समझते हैं खुद को। रोज़ रोज़...नए नए सैलून और स्पा वगैरह सर्च करते रहते हैं ऑनलाइन। एक दिन मुझे कहने लगे कि....बैंगलोर में एक नया लगज़रियस स्पा खुला है...सुना है कि 100%  नैचुरल ...ऑर्गेनिक हेयर डाय इस्तेमाल करते हैं। दो चार दिन के लिए हो आऊँ?"

मैंने भी कह दिया कि चलो...कोई बात नहीं...थोड़ा "खर्चा ही तो है ना...हो आओ। बस...तसल्ली कर लेना कि सब नैचुरल...ऑर्गैनिक हो।"

"अब आप ही बताइए अगर सब नैचुरल है...ऑर्गेनिक है...तो फिर क्या बुराई है? बंदा आखिर...कमाता धमाता किसके लिए है...अपने लिए ही ना? थोड़ा खर्चा ही तो करते हैं मगर चलो...खुश तो रहते हैं कम से कम।"

"अच्छा फ्रैंडज़...आज तो मैंने आपका काफी समय ले लिया। अब मैं भी चलती हूँ...खाने की तैयारी भी तो करनी हैं।"

"एक मिनट मैं मेन बात तो करना भूल ही गयी। उस दिन जब ये वापिस बैंगलोर से आए तो बड़े खुश खुश थे। मैं भी खुश कि चलो...कैसे भी कर के ये बस खुश रहा करें। लेकिन एक बात समझ नहीं आयी कि बाद  में आ के पुलिस वाले जाने क्यूँ हमारे घर के बाहर स्टिकर लगा के चले गए कि इस घर को दो हफ्तों के लिए क्वारैंटाइन किया जा रहा है। माना की एहतिहातन किया होगा लेकिन उन घरों को जा कर करें ना जहाँ से कोई विदेश गया हो।  हमारे यहाँ से तो कोई बैंकाक गया ही नहीं है।"
(समाप्त)

इसी का शार्ट वीडियो देखने के लिए नीचे दिए गए लिंक को क्लिक करें।

9 comments:

Seema Bangwal said...

हाहा...बढ़िया

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बढ़िया तंज।

राजीव तनेजा said...

शुक्रिया

राजीव तनेजा said...

शुक्रिया

रेखा श्रीवास्तव said...

तुम्हारे विडिओ न मूड फ्रेश कर देते हैं । लगे रहो बीबी भी खुश और देखने वाले भी।

राजीव तनेजा said...

शुक्रिया

Jyoti Singh said...

मजेदार ,बहुत बढ़िया ,

संगीता पुरी said...

वाह !

संजय भास्‍कर said...

हाहा..

 
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