दुल्हन माँगे दहेज- वेद प्रकाश शर्मा

अगर आप पल्प फिक्शन याने के लुगदी साहित्य दीवाने या फिर मुरीद हैं या फिर कभी आपने अपने जीवन में इन तथाकथित लुगदी साहित्य के उपन्यासों पर एक गंभीर या फिर सतही तौर पर नज़र दौड़ाई है  तो यकीनन आप स्व.वेदप्रकाश शर्मा जी के नाम से अनजान नहीं होंगे। पल्प फिक्शन के जादूगर वेदप्रकाश शर्मा जी का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं हैं। सैंकड़ों की संख्या में उन्होंने जासूसी तथा सामाजिक ताने बाने में रचे थ्रिलर उपन्यासों की रचना की है। उनके लिखे कुछ उपन्यासों पर सीरियल तथा फिल्में भी बनी जो काफी हिट भी हुई।

कुछ महीने पहले फेसबुक पर एक पुराने नॉवेल बेचने तथा खरीदने के ग्रुप के बारे में पता चला और उसका सदस्य बनते ही मानों पुराने अरमां फिर से जागने को आतुर हो उठे। वहाँ पर वेदप्रकाश शर्मा तथा सुरेंद्र मोहन पाठक जी के उपन्यासों के ज़खीरे के ज़खीरे नज़र आने लगे। तो लगे हाथ मैंने भी बहुत से पुराने उपन्यास पेटीएम के ज़रिए भुगतान कर मँगवा लिए। उन्हें पढ़ने का मौका तो खैर अभी नहीं मिला। इसलिए उनका ज़िक्र फिर कभी।

1982 में उनको आखिरी बार पढ़ने के बाद मैंने 2017 में न्यूज़ हंट नामक मोबाइल एप से उनका एक उपन्यास "सुपर स्टार" खरीद कर पढा था लेकिन तब तक मैंने अपने द्वारा पढ़ी गयी किताबों पर लिखना शुरू नहीं किया था और अब जब लिखना शुरू किया तो इन पर भी लिखने से गुरेज़ क्यों? 

अभी फिलहाल में मैंने  किंडल पर खरीदा हुआ उनका "दुल्हन माँगे दहेज" उपन्यास पढ़ा। जैसे कि नाम से ही ज़ाहिर है कि उपन्यास दहेज प्रथा के बारे में है मगर खासियत ये कि इतने आम...सादे से विषय को उठा कर भी उन्होंने ऐसा थ्रिलर रच दिया है कि बरसों तक इसे पढ़ने वाले पाठक इसे भूल नहीं पाएँगे। अपने प्लाट और स्क्रीन प्ले के ज़रिए उपन्यास हर पल आपको चौंकाता है..विस्मित करता है..अचंभित करता है। एक ही उपन्यास में षडयंत्र,साजिश, प्रेम, इंतकाम, रहस्य आदि का सही मात्रा में नपा तुला मिश्रण कि बस आप...वाह कर उठें। 

हालांकि कई जगहों पर वर्तनी की त्रुटियाँ खलती हैं। अगर आप किंडल अनलिमिटेड के सब्सक्राइबर हैं तो आप यह तेज़ रफ़्तार उपन्यास मुफ़्त में पढ़ सकते हैं या फिर 99/- रुपए में इसे खरीद भी सकते है।

👍👍👌👌

2 comments:

विकास नैनवाल 'अंजान' said...
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विकास नैनवाल 'अंजान' said...

उपन्यास रोचक है और अंत तक बांधकर रखता है। हाँ, उपन्यास में कुछ बातें फिल्मी हैं जिससे बचा जा सकता था। मैंने भी डेलीहंट का संस्करण पढ़ा था जिसमें काफी त्रुटियाँ थी और उन्होंने पढ़ने के अनुभव को खराब किया था। पुस्तक पर मेरी राय:
दुल्हन माँगे दहेज

 
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